Meerut News: पशुओं को लू लग जाए तो इन तरीकों से करें उपचार

Meerut News: लू के कुप्रभाव से पशु का दुग्ध उत्पादन गिर जाता है। इसके साथ ही उचित देखरेख एंव प्रबन्धन न होने से पशु के बीमारी से प्रभावित होने से मृत्यु भी हो सकती है।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2024-05-13 10:33 GMT

पशुओं को लू लग जाए तो इन तरीकों से करें उपचार (न्यूजट्रैक)

Meerut News: गर्मी के मौसम में पशुपालकों को अपने पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए भी सावधान रहने की आवश्यकता होती है। गर्मियों के मौसम में चलने वाली गर्म हवाएं (लू) जिस तरह हमें नुकसान पहुंचती हैं ठीक उसी तरह ये हवाएं पशुओं को भी बीमार कर देती हैं। अगर पशुपालक उन लक्षणों को पहचान लें तो वह अपने पशुओं का सही समय पर उपचार कर उन्हें बचा सकते हैं।

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. राजेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि जनपद मेरठ गंगा यमुना दोआब में उष्ण कटिबंधीय आई पर्णपाती वनस्पतीय क्षेत्र जहां प्रायः मई, जून एवं जुलाई के महीने में तापमान 40 डिग्री से अधिक हो जाता है। जिससे गर्म हवाओं और लू का प्रभाव बढ़ जाता है। इस अवस्था में उचित प्रबन्धन से पशुओ को लू से बचाना आवश्यक है। लू के कुप्रभाव से पशु का दुग्ध उत्पादन गिर जाता है। इसके साथ ही उचित देखरेख एंव प्रबन्धन न होने से पशु के बीमारी से प्रभावित होने से मृत्यु भी हो सकती है।

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024 में सामान्य से अधिक तापमान होने का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि हीट-स्ट्रोक की स्थिति उत्पन्न होने की दशा में पशु स्वास्थ्य रक्षा एवं उनके रख रखाव के सम्बन्ध में प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, जिससे पशुओं को किसी प्रकार की हानि न होने पाये। पशुओं एवं मुर्गियों को लू के प्रभाव से बचाने के लिये उन्होने बताया कि हीट स्ट्रांक से बचाव के लिये पशुओं को छायादार, नम, ठण्डे वृक्षयुक्त वातावरण में रखना आवश्यक है। बैल व भैसा आदि भार ढोने वाले पशुओं को श्रमकार्यों के लिए प्रातः काल एव सायंकाल के समय में प्रयोग करें।

उन्होंने ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सम्मानित जनसमान्य से अपील की है कि वह जगह-जगह पक्षियों व पशुओं के लिये स्वच्छ पेयजल व चारा दाना की व्यवस्था करें। हीटवेव की दशा में अपने पशुओं को सीधे गर्म हवा युक्त खुले स्थान में न रखकर छाया/शैड के अन्दर बांधे। कन्संट्रेट संतुलित आहार पशुओं को दें तथा खली, दाना, चोकर की मात्रा को बढ़ा दें, साथ ही नमक एवं गुड का प्रयोग करे। पशुओं को कम से कम दिन में एक बार अवश्य नहलाये। मुर्गीशाला में शीतल जल एवं राशन पर्याप्त मात्रा में रखें। पशु को लू लगने पर यदि तेज बखार एव अन्य लक्षण प्रदर्शित हो रहे हो तो तत्काल स्वच्छ व ठण्डा जल पिलाये तथा निकटवर्ती पशु चिकित्सालय में सम्पर्क करें।

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