विधि विरुद्ध एक इंच भी जमीन कब्जा नहीं किया है: राजेश मिश्रा
पूर्व मंत्री अजय राय ने पत्रकारों से वार्ता करते हुये कहा कि मुख्यमंत्री ने पद की शक्तियों का दुरुपयोग किया है।;
Mirzapur News: कांग्रेस के नेता और पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा और पूर्व मंत्री अजय राय ने पत्रकारों से वार्ता करते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पद की शक्तियों का दुरुपयोग किया है। उन्होंने कहा कि शासन के निर्देश पर जिस तरह 14, 15 जून की रात दो बजे पूर्व एमएलसी राजेश पति त्रिपाठी एवं ललितेश पति त्रिपाठी पूर्व विधायक, न्यायधीश गिरधर मालवीय, हथियाराम मठ के महन्थ समेत कुल 42 लोगों पर मडिहान थाने में अपराधिक एफआईआर दर्ज करवाया है वह असत्य एवं आधारहीन, तथ्यहीन व काल्पनिक कहानी है। मुख्यमंत्री की एक प्रतिष्ठित परिवार को बदनाम एवं प्रताड़ित करने की मंशा है।
जिस परिवार की आजादी की लड़ाई के बाद से चार पीढ़ी की बेदाग लोकतांत्रिक राजनीति एवं जनसेवा की परंपरा जुड़ी रही, उस पारिवार की साफ सुथरी प्रतिष्ठा का लंबा इतिहास रहा है। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि प्रतिष्ठित त्रिपाठी परिवार ने एक इंच भी जमीन पर न तो विधि विरुद्ध कब्जा किया है और न कोई विधि विरुद्ध काम किया है। भूमि गोपालपुर सहकारी समिति की है, जिसे वर्ष 1951 में तत्कालीन जमींदार अमरेश चंद्र और नरेश चंद्र ने पंजीकृत इस्तमरारी पट्टे के माध्यम से समिति सदस्यों को बेचा था। जिसे उसी वर्ष गोपालपुर संयुक्त सहकारी कृषि समिति लिमिटेड नाम की सोसायटी में समाहित किया गया था। वह समिति एवं भूमि आज तक पूर्ण विधिसम्मति ढंग से यथावत है, जिसका लगान हर वर्ष समिति सरकार को देती है। सहकारिता की स्थापित विधियों के अनुरूप समिति का चुनाव हमेशा सरकारी पर्यवेक्षक के सामने होता है, सरकारी सहकारी विधान के मानकों पर काम करती रही है।
कांग्रेस नेताओं ने बताया कि 1971-72 में मूल पट्टाधारकों के उत्तराधिकारियों में से कुछ ने 229बी के तहत राजस्व रिकार्ड की खतौनी में अपना नाम अंकित करवा लिया था। उसके विरुद्ध समिति खुद हाईकोर्ट गई थी। वहां समिति के पक्ष में निर्णय देते हुये अदालत ने 229 बी में दर्ज सभी नाम अवैध ठहराये और हटा दिये। जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि ऐसे सभी अवैध कब्जे खाली करा कर समिति के अधीन सौंपे जाएं। इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय ने अपील भी खारिज कर दिया। हाईकोर्ट का निर्णय कायम रहा और आज भी है।
शासन को भी समिति एवं उसके कामकाज को लेकर कभी कोई आपत्ति नहीं रही। शासन का तेवर दो वर्ष पूर्व सोनभद्र में ऊंभा कांड से लेकर कांग्रेस के आन्दोलन एवं उसमें ललितेश पति त्रिपाठी की सक्रिय भूमिका से योगी सरकार की नाराजगी के बाद बदला माना जा रहा है। उस समय कहा गया था कि आन्दोलन छोड़ राजनीतिक पाला बदलो नहीं भुगतोगे। रेणुका कुमार की एक जांच समिति सहकारी कृषि फार्म पर गठित हुई। उसे सभी न्यायिक निर्णयों तथा विधिसम्मत कामकाज के हर रिकार्ड दिखाये गये और उनकी सारी आशंकाओं का विधि सम्मत समाधान किया गया, फिर भी जांच समिति ने राजनीतिक दबाव में समिति के विरुद्ध आधारहीन आरोप लगाये। उसकी रिपोर्ट को चुनौती हाईकोर्ट में विचाराधीन है। वहां न्यायिक निर्देश से पूर्व समिति और समिति के सदस्यों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किये जाने का आश्वासन था।
समिति की इस याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार द्वारा न्यायालय में उसके एडवोकेट जनरल द्वारा यह अन्डरटेकिंग दी गयी है कि समिति और समिति के सदस्यों के खिलाफ किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की जायेगी। सभी को मालूम है कि कोविड काल में काफी समय तक न्यायिक प्रक्रियायें भी अवरोधित रही हैं इस बीच आम चुनाव निकट आता देख अचानक दो साल के बाद उसी रेणुका चौधरी कमेटी को आधार बना कर राजनीतिक द्वेष भाव से मुख्यमंत्री के दबाव पर सक्रिय प्रशासन ने प्राथमिकी दर्ज करा दी। हम न केवल उसकी कड़ी निन्दा करते हैं, बल्कि स्पष्ट करते हैं कि जरूरी होने पर इसके विरुद्ध जनान्दोलन भी किया जायेगा।