Maha Shivaratri 2024: मिर्जापुर में प्राचीन पंचमुखी और ताड़केश्वर महादेव के दर्शन के लिए उमड़ा आस्था का सैलाब
Maha Shivaratri 2024: लाखों की संख्या में श्रद्घालु दूर-दूर से जलाभिषेक के लिया यहां पहुंच रहे हैं। मंदिर के कोने कोने में बम-बम भोले का जयकारा गूंज रहा है।
Maha Shivaratri 2024: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में शिवरात्रि (Shivratri 2024) को लेकर नगर के प्राचीन शिव मंदिर पंचमुखी महादेव मंदिर (Panchmukhi Mahadev Temple) में भक्तों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। यहां भगवान पंचमुखी महादेव का जलाभिषेक के साथ साथ उनकी पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों का तांता लग गया है। लाखों की संख्या में श्रद्घालु दूर-दूर से जलाभिषेक के लिया यहां पहुंच रहे हैं।मंदिर के कोने कोने में बम-बम भोले का जयकारा गूंज रहा है। मंदिर के आस-पास फूल, माला, दूध, खिलौने आदि की दुकानें भी सजी है। पूजा-अर्चना के बाद श्रद्घालु खरीदारी कर रहे हैं। पंचमुखी मंदिर पहुंच रहे श्रद्धालु मंदिर परिसर के पास स्थित गंगा से जल लेने भी श्रद्धालु पहुंच रहे है। जल लेने के बाद बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए जलाभिषेक के लिए कतार में लग रहे हैं। सुरक्षा की दृष्टिगत प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ भारी पुलिस बल भी तैनात है ।
महाशिवरात्रि पर उमड़ा आस्था का सैलाब
दरअसल मिर्जापुर जिले के नगर में स्थित पंचमुखी महादेव, ताड़केश्वर महादेव मंदिर में शिवरात्रि पर्व पर हर वर्ष श्रद्धालुओं की भीड़ शिवरात्रि को लेकर जनपद के नगरीय और ग्रामीण इलाको से गंगाजल लेकर भगवान पंचमुखी महादेव व ताड़केश्वर महादेव का जलाभिषेक करने आ रहे हैं। इनमें ज्यादातर श्रद्धालुओं का रात्रि में ही यहां पर डेरा डाल दिया है।साथ ही मंदिर के आसपास के परिसर में दूर-दूर तक दुकानें सज गई हैं। यहां पुलिस ने भी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये हैं। श्रद्धालुओं को बैरिकेडिंग के जरिए अंदर भेजा जा रहा है। कतार में लगे श्रद्धालु बम-बम भोले के जयकारे लगा रहे हैं।
जानिए पंचमुखी महादेव और ताड़केश्वर महादेव का धार्मिक महत्व
मंदिर के पुजारी ने बताया कि," विंध्य महात्म्य में भी मिलता है जिक्र यह शिव मंदिर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर शहर में स्थित है। जिसका वर्णन विंध्य महात्म्य में भी किया गया है। कहा जाता है कि ताड़कासुर ने महादेव की तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप भगवान शिव ने उसे वरदान दिया था। वरदान पाकर ताड़कासुर अत्याचारी हो गया था। ऋषि, मुनियों के निवेदन पर ही ताड़कासुर का वध महादेव के कहने पर इनके पुत्र कार्तिकेय ने इसी स्थान पर किया था। इसलिए मंदिर का नाम तारकेश्वर महादेव पड़ा,"।
पंचमुखी महादेव का धार्मिक महत्व
पंचमुखी महादेव श्रावण के महीने में भक्तों के आस्था के केंद्र हैं। लगभग चार सौ वर्ष प्राचीन पंमुखी महादेव का विग्रह नेपाल के काठमांडू के विख्यात पशुपतिनाथ के स्वरूप का विग्रह है। पवित्र श्रावण मास में नगर के बरिया घाट स्थित अति प्राचीन पंचमुखी महादेव धर्म संस्कृति के साथ शिव भक्ति-भाव के अनन्य वाहक हैं। आस्था और विश्वास के प्रतीक पंचमुखी महादेव के विग्रह की स्थापना नेपाली बाबा ने अपने हाथों से की है। बताते हैं नेपाल के नेपाली बाबा जगत जननी मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने के लिए लगभग चार सौ वर्ष पहले आए। माता विंध्याचल के श्रीचरणों में शीष झुका आशीर्वाद लिया। माता के दर्शन के बाद उनके मन में नेपाल के पशुपतिनाथ महादेव की तरह विंध्यक्षेत्र में पशुनाथ महादेव का विग्रह स्थापना की जिज्ञासा पैदा हुई।