Azamgarh Lok Sabha by-election: आजमगढ़ में निरहुआ की जीत के बाद MLC यशवंत सिंह का निलंबन वापस होना तय
Azamgarh Lok Sabha by-election: बीजेपी से निलंबन MLC यशवंत सिंह ने दिनेश लाल निरहुआ के पक्ष में जमकर प्रचार किया और अब नतीजे आने के बाद उनकी पार्टी में वापसी तय मानी जा रही है।
Lucknow: आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव (Azamgarh Lok Sabha by-election) में बीजेपी (BJP) की शानदार जीत के बाद एमएलसी (BJP) यशवंत सिंह के नाम की चर्चा एक बार फिर से होने लगी है। बीजेपी से निलंबित एमएलसी यशवंत सिंह (MLC Yashwant Singh) ने दिनेश लाल निरहुआ (Dinesh Lal Nirhua) के पक्ष में जमकर प्रचार किया और अब नतीजे आने के बाद उनकी पार्टी में वापसी तय मानी जा रही है। क्योंकि इससे पहले यशवंत सिंह ने अपने बेटे को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर एमएलसी के चुनाव में जीत दिलाई थी। एमएलसी चुनाव में मिली जीत के बाद कहा जा रहा था कि यशवंत सिंह जैसे जमीनी नेता का निलंबन पार्टी को वापस लेना चाहिए।
यशवंत सिंह भी कह चुके हैं कि वह बीजेपी हैं और उसी में रहेंगे। अब आजमगढ़ (Azamgarh) में जिस तरह से सपा के किले को बीजेपी ने ध्वस्त कर दिया है। उसमें ऐसे जमीनी नेताओं का अहम योगदान माना जा रहा है। क्योंकि आजमगढ़ में यशवंत सिंह बीजेपी का ऐसा चेहरा रहे हैं जिसकी हर जाति और धर्म में पकड़ मानी जाती है। यही वजह है कि जब उनके बेटे को बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय के तौर पर ताल ठोंक दिया और यशवंत सिंह ने उन्हें विजयी भी कराया।
एमएलसी चुनाव से पहले हुआ निलंबन
एमएलसी यशवंत सिंह के निलंबन की खबर उस वक्त आई थी जब उनके बेटे ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर आजमगढ़-मऊ सीट से पर्चा भर दिया था। बीजेपी ने यहां से पूर्व सांसद और सपा विधायक रमाकांत यादव के बेटे को अपना उम्मीदवार बनाया था। लेकिन यशवंत सिंह ने ऐसी विसात बिछाई की बड़े –बड़े सूरमा ढेर हो गए और उनके बेटे ने जीत हासिल की थी। जीत के बाद तमाम इंटरव्यू में यशवंत सिंह ने साफ किया था उन्हें अपने निलंबन की कोई जानकारी नहीं है। ना ही पार्टी की ओर से उन्हें कोई पत्र मिला है। ऐसे में वह बीजेपी में थे और अभी भी हैं।