लखनऊ: सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपना सरकारी बंगला बचाने के लिए पहले सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। फिर राज्य संपत्ति अधिकारी को पत्र लिखकर बंगला खाली करने के लिए दो साल का समय मांगा। जब उनकी मांग को हर स्तर पर खारिज कर दिया गया तो अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
उनके समर्थकों का कहना है कि मुलायम सिंह यादव ने सरकारी बंगला बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। अब तक कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार नहीं की है। हालांकि इसमें उन्होंने अपनी सुरक्षा और स्वास्थ्य का हवाला देते हुए मकान खाली करने के लिए समय मांगा है।
सीएम योगी से मिलकर मकान बचाने को पेश कर चुके हैं फार्मूला
इसके पहले सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव बीते 17 मई को सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर अपना और बेटे अखिलेश यादव का बंगला बचाने के लिए फार्मूला भी पेश कर चुके हैं। उन्होंने अपने बंगले को नेता विधानमंडल दल रामगोविन्द चौधरी और अखिलेश यादव के बंगले को सपा के वरिष्ठ नेता और एमएलसी अहमद हसन के नाम ट्रांसफर किए जाने का फार्मूला पेश किया था। पर सरकार ने उनके इस फार्मूले को तवज्जो नहीं दी।
राज्य सम्पत्ति अधिकारी को भी लिख चुके हैं पत्र
इसके बाद उन्होंने राज्य सम्पत्ति अधिकारी योगेश कुमार शुक्ला को पत्र भेज कर अपना बंगला खाली करने के लिए दो साल की मोहलत मांगी। उन्होंने दलील दी कि इस समय राजधानी में उनके पास कोई घर नहीं है और न ही उन्हें अब तक किराए का कोई मकान पसंद आया है।
मुलायम सिंह के सरकारी बंगले का किराया मात्र 4200 रूपये लगता है।
अब वह बाजार दर पर भी मकान का किराया देने को तैयार हैं।
उनके साथ छोटे बेटे प्रतीक यादव अपनी पत्नी अपर्णा यादव के साथ रहते हैं।