Monsoon SPL: CM सिटी में सारे दावे फेल, योगी भी बजबजाते शहर से न दिला सके मुक्ति

Update: 2018-06-29 07:48 GMT

गोरखपुर: स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत की तस्वीर का असली रूप विगत दिन मानसून की पहली बारिश के बाद देखने को मिला। लाखों, करोड़ों खर्च करने के बाद भी नगर निगम के सारे दावे फेल साबित हुए। शहर के छोटे बड़े नाले अधिकतर चोक होकर ओवरफ्लो हो गए हैं जिससे शहर के सभी मुख्य सड़कों, बाजारो, कॉलोनियों में बाढ़ जैसी स्थिति हो गई।

यह भी पढ़ें: तृणमूल के किले में सेंध लगाने में जुटे शाह

27 जून को लगभग सुबह 8:30 बजे तक हुई जोरदार बारिश ने मुख्यमंत्री व नगर निगम के दावों की पोल खोल दी और गोरखपुर शहर के अधिकांश क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। हालांकि, जलजमाव की जानकारी होने पर मुख्यमंत्री खासे नाराज दिखे।

मुसलाधार बारिश के बाद हुई जनता को परेशानी

मुसलाधार बारिश के बाद नगर में हुए जलजमाव से लोगों को हुई दिक्कत की जानकारी जैसे ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंची उन्होंने इसे लेकर महापौर समेत उच्च अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि जल्द से जल्द ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए जिससे बारिश का पानी नगर निगम में देर तक ना टिकने पाए।

कल एक निजी कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जनप्रतिनिधियों ने जलजमाव से अवगत कराया यह समस्या सुनकर मुख्यमंत्री ने पहले तो महापौर को इसके लिए हिदायत दे डाली महापौर से उन्होंने कहा कि नगर निगम को जो धनराशि मिली है इसका सदुपयोग हर हाल में सुनिश्चित कराएं।

नगर निगम के अफसरों को सीएम ने लगाई फटकार

बाद में नगर निगम के अफसरों को फटकार लगाई मुख्यमंत्री ने जिला अधिकारी विजेंद्र पांडियन और नगर आयुक्त को पानी निकासी के लिए कारगर योजना बनाने और ज्यादा से ज्यादा पंप सेट लगाकर शहरवासियों को जलभराव की समस्या से निजात दिलाने को कहा।

मुख्यमंत्री की फटकार के बाद और अपनी किरकिरी करा चुका नगर निगम भविष्य में ऐसी नौबत ना आए इसकी तैयारी में जुट गया है। नगर निगम का अमला सर्वे कर उन वजहों को ढूंढने की कोशिश कि जिसके कारण पूरा शहर पानी-पानी हो गया था नगर निगम अब फौरी तौर पर कुछ नालों को चौड़ी एवं गहरा करेगा सुमेर सागर के पास एक नाला है जो धर्मशाला होते हुए पुलिस लाइन की तरफ आता है।

अब नाले को दो हिस्सों में बांटा जाएगा

निगम के अधिकारी उस नाले को जलजमाव की एक बड़ी वजह मान रहे हैं। अब नाले को दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा पुलिस लाइन की ओर आने वाले नाले के पानी को मोहदीपुर की तरफ निकाला जाएगा जबकि सावित्री हॉस्पिटल एवं बक्शीपुर की तरफ जाने वाले नाले के पानी को लाल डिग्गी की तरफ भेजा जाएगा।

मुख्यमंत्री की फटकार के बाद नगर निगम ने जिन इलाकों में जल भरा हुआ था वहां चूना एवं ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर रहा है जहां-जहां हैंडपंप पानी में डूब गए थे वहां हैंडपंप में क्लोरीन की गोली डाली जा रही है अलग-अलग क्षेत्रों में जल निकासी के लिए निगम ने 45 पंप लगाएं हैं।

ब्लीचिंग का छिड़काव कराया जा रहा

इस संबंध में प्रेम प्रकाश सिंह नगर आयुक्त ने बताया कि जिन क्षेत्रों में जलभराव हुआ था वहां सफाई कराकर चुना और ब्लीचिंग का छिड़काव कराया जा रहा है। सर कुछ निचले हिस्से में पानी निकासी के लिए पंप के साथ-साथ कर्मचारियों को लगाया गया है जिन कारणों से जलभराव की नौबत आई थी उसे दूर करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है तत्काल कुछ जगहों पर नालों को चौड़ा एवं गहरा किया जाएगा।

मुख्यमंत्री के आदेश के बाद गोरखपुर के जिला अधिकारी विजेंद्र पंडियांन ने महानगर में जल निकासी की व्यवस्था ठीक कराने का निर्देश दिया है उन्होंने जलजमाव वाले क्षेत्रों का निरीक्षण किया और जलजमाव को समाप्त करने को कहा निरीक्षण के बाद उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक भी की।

मेयर अपनी नाकामी से पल्ला झाड़ रहे

जिलाधिकारी ने नगर अधिकारियों के साथ शहर की जल निकास के सभी स्रोतों की विस्तार से जानकारी ली जिलाअधिकारी विजेंद्र पंडियांन ने बताया कि नालों का वृहद स्तर पर नियमित सफाई अभियान चलाने के साथ ही लोगों से नालों में प्लास्टिक का कचरा नहीं फेंकने की अपील की है। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक के वजह से अधिकांश नाले चोक हो रहे हैं।

हालांकि, गोरखपुर के मेयर सीताराम जायसवाल अपनी नाकामी से पल्ला झाड़ते हुए नजर आए और कहा कि ज्यादा बारिश होने के कारण पूरे शहर में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हुई थी लेकिन गुरुवार दोपहर तक करीब 80 फीसद स्थानों से जल निकासी हो गई है।

निचले स्थानों पर जलजमाव है

कुछ निचले स्थानों पर जलजमाव है। पंप लगाकर वहां से पानी निकाला जा रहा है ।इस मसले पर मुख्यमंत्री से चर्चा हुई है। जो बड़े नाले चौक हैं उसे नए सिरे से साफ कराया जाएगा। हालांकि नगर निगम ने जल निकासी के लिए जो इंतजाम किए थे वह नाकाफी साबित हो रहे हैं दरिया चक भट्ठा में गुरुवार की शाम तक 176 घरों दो,दो, फीट पानी लगा हुआ था।

इस कारण बहुत से लोग घर छोड़कर सड़क पर रहने को मजबूर हैं सिंह हरिया में गैस गोदाम के पीछे सड़क पर डेढ़ फीट पानी जमा हुआ है इस तरह देवरिया रोड पर भी 1 फीट पानी है झरना टोला वार्ड के काशीपुरा में पानी लगने से लोग बेहाल हैं गुरुवार को भी वहां से पानी निकासी नहीं हो सकी इस वार्ड का अधिकांश हिस्सा जलमग्न हो गया था।

मुख्यमंत्री को फैक्स कर इसकी शिकायत की

बीजेपी पार्षद संध्या गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री को फैक्स कर इसकी शिकायत की है पहले से जलजमाव का सामना कर रहे चकसा हुसैन की हालत और भी खराब हो गई है इलाके में तीन पंपिंग सेट लगने के बावजूद से 100 से ज्यादा घर अब भी पानी में डूबा हुआ है हर तरफ पानी लगा होने के कारण लोग मोहल्ले से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

वहीं सपा के पार्षद जिया उल इस्लाम ने इसका जिम्मेदार गोरखपुर के मेयर सीताराम जायसवाल और नगर निगम के अधिकारियों को बताया उन्होंने कहा कि हम लोगों ने सदन में जल निकासी के मुद्दे पर बहुत बार चर्चा की लेकिन ना तो मेयर और ना ही नगर निगम के अधिकारीयो ने हमारी बात सुनी।

अधिकारी बातों को नहीं दे रहे तवज्जो

यही नहीं, अधिकारी हमारी बातों को तवज्जो नहीं देते हैं। हमने इस मामले को लेकर कई बार मेयर से भी शिकायत की नाले में जमे सिल्ट को निकलवाने के लिए कई बार कहा लेकिन हमारी बातों को सुना नही गया।

वही फल और सब्जी मंडी में लगभग 1800000 रुपए का व्यापारियों का नुकसान उठाना पड़ा आम की कीमत आधी हो गई ₹10 प्रति किलोग्राम आम बिके फिर भी कोई खरीदार नहीं था।

लगभग तीन हिस्सा सब्जियों में सर्वाधिक नुकसान प्याज का हुआ बारिश के तीसरे दिन भी मंडी में जलभराव व कीचड़ व्यापारियों को चुनौती दे रहा है ।कीचड़ से होकर खरीदार मंडी में पहुंच रहे हैं। लिहाजा कच्चा माल सड़ने के डर से व्यापारियों को औने-पौने दाम में बेचना पड़ा व्यापारी नेताओं के अनुसार लगभग आठ लाख रुपये के फल व लगभग दस लाख रुपए की हरी सब्जियां व प्याज खराब हो गई।

बारिश में डूब जाती है मंडी

बारिश में मंडी डूबेगी यह पहले से तय था फिर भी इसके लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया मंडी समिति व नगर निगम एक-दूसरे पर इस मामले को खेलते रहे ना तो मंडी के चैंबरों का सिल्ट साफ किया गया और ना ही सचिव परिसर में बना टैंक मंडी समिति नगर निगम को इसकी सफाई के लिए लिखते रही नगर निगम के अधिकारी मौके का निरीक्षण करते रहे लेकिन कार्यवाही एक कदम आगे नहीं बढ़ पाई लिहाजा पहली बरसात में ही मंडी पानी-पानी हो गई।

मंडी की जल निकासी के लिए नालियां बनी है। जगह-जगह चेंबर बनाए गए हैं। इसके अलावा सचिव कार्यालय परिसर में वर्ष 2000 में एक सीवर टैंक का निर्माण भी कराया गया और उसे नगर निगम के नाले से जोड़ दिया गया नालियों वह चैंबरों से होते हुए पानी शिविर में जाता था।

मंडी जलजमाव का शिकार हो जाती है

वहां से नगर निगम के नाले से होते हुए बाहर निकल जाता था जब टैंक बना उसकी सफाई नहीं हुई टैंक के बने 18 साल हो गए जगह-जगह मंडी में बने चेंबर भी शील्ड से भर गए हैं अब मंडी का पानी नालियों में घूमता रहता है हल्की बारिश होने पर मंडी जलजमाव का शिकार हो जाती है।

वह सब्जी व्यापारी अवध गुप्ता ने बताया कि समस्या पहले से पता थी लेकिन कोई व्यवस्था नहीं की गई मंडी को अब दो माह के लिए जल निकासी की विशेष व्यवस्था करनी चाहिए तभी जलजमाव से राहत मिल सकेगी अन्यथा पूरी बरसात हम झेलते रहेंगे।

जलमग्न हुए स्थानों पर बीमारियों का खतरा

गोरखपुर में भारी बारिश होने के बाद जलमग्न हुए स्थानों पर अब बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। हालांकि नगर निगम का दावा है कि जलमग्न हुए स्थानों पर चूना और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जाएगा और लोगो को , क्लोरीन की गोली भी वितरित की जाएगी जिससे बरसात में होने वाली बीमारियों पर लगाम लगाया जा सके

इस संबंध में हमने बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आर एन सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि जलमग्न हुए स्थानों पर बीमारियों का खतरा हंड्रेड परसेंट बढ़ जाता है लोगों को इससे सावधान होने की जरूरत है लोक कोशिश करें कि पानी को उबालकर पिये।

इस तरह बीमारियों से करें बचाव

भोजन हल्का ले और सब्जियों को अच्छी तरह से धुलकर सेवन करे। बरसात के सीजन में होने वाली बीमारियों में खासकर मलेरिया टाइफाइड हैजा चिकनगुनिया डेंगू और मस्तिष्क ज्वर जैसी बीमारियो का खतरा बढ़ जाता है। लोग से मेरा निवेदन है कि अपने घरों के आसपास पानी को जमा ना होने दें उनकी निरंतर सफाई करते रहें।

इन बीमारीयो की चपेट में सबसे अधिक प्रभावित छोटे बच्चे होते हैं।खास कर लोगों से मेरी अपील है कि अपने बच्चों पर विशेष रुप से ध्यान दें।

हालांकि, मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद और नगर निगम के अधिकारियों को फटकार लगाने के बाद अब यह देखना होगा कि नगर निगम के अधिकारी इस बरसात में होने वाले जलजमाव से कितना राहत दिला सकते है।यह तो आने वाले समय मे पता चल जाएगा।

Tags:    

Similar News