निर्मला सीतारमण ने बदल दी परंपरा, हाथ में नहीं दिखा ब्रीफकेस

देश की पहली पूर्णकालिक पहली महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार एक परंपरा बदल दी। अभी तक यह होता रहा है कि देश के वित्त मंत्री हाथों में ब्रीफकेस लेकर बजट पेश करने के लिए संसद पहुंचते थे। निर्मला सीतारमण जब बजट पेश करने के लिए पहुंचीं तो उनके हाथ में लाल रंग का ब्रीफकेस की जगह लाल रंग का मखमली पैकेट था।

Update:2019-07-05 12:03 IST

इस बार वित्त मंत्री के हाथ में नहीं दिखा ब्रीफकेस

नई दिल्ली: देश की पहली पूर्णकालिक पहली महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार एक परंपरा बदल दी। अभी तक यह होता रहा है कि देश के वित्त मंत्री हाथों में ब्रीफकेस लेकर बजट पेश करने के लिए संसद पहुंचते थे। निर्मला सीतारमण जब बजट पेश करने के लिए पहुंचीं तो उनके हाथ में लाल रंग का ब्रीफकेस की जगह लाल रंग का मखमली पैकेट था। निर्मला ने अभी तक चली आ रही प्रथा को पूरी तरह बदल दिया। इसे बजट नहीं बल्कि बहीखाता कहा गया।

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सुब्रमण्यन ने कहा-बजट नहीं, बहीखाता

पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करने के लिए जब वित्त मंत्री मंत्रालय से बाहर निकलीं तो सभी चौंक गए क्योंकि उनके हाथ में वित्त मंत्रियों के हाथ में हर बार दिखने वाला ब्रीफकेस नहीं बल्कि लाल रंग का अशोक स्तंभ चिह्न वाला एक पैकेट था। जानकारों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ जब ब्रीफकेस की जगह बजट को एक लाल कपड़े में रखा गया है। इसका कारण बताते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार के.सुब्रमण्यन ने कहा कि यह भारतीय परंपरा है। यह पश्चिमी विचारों की गुलामी से निकलने का प्रतीक है। यह बजट नहीं बहीखाता है।

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वैसे बहुत से लोगों को पता नहीं होगा कि अभी तक वित्त मंत्रियों के हाथ में दिखने वाले ब्रीफकेस का भी इतिहास है। अभी तक के वित्त मंत्री बजट भाषण से पहले ब्रीफकेस के साथ मीडिया के सामने पोज देते नजर आते थे। वैसे आपको यह जानकारी भी नहीं होगी कि संविधान में बजट शब्द का इस्तेमाल ही नहीं किया गया है। इसे वार्षिक वित्तीय विवरण कहा गया है। बजट शब्द भी इसी बैग से जुड़ा हुआ है।

कैसे हुई शुरुआत

ब्रिटिश संसद को सभी संसदीय परंपराओं की जननी माना जाता है। ऐसे में बजट भी इसका अपवाद नहीं है। यदि इतिहास पर नजर डालें तो 1733 में जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री रॉबर्ट वॉलपोल संसद में देश की माली हालत का लेखाजोखा पेश करने के लिए पहुंचे तो वह अपना भाषण और उससे जुड़े सारे दस्तावेज चमड़े के एक बैग में लेकर आए। चमड़े के बैग को फ्रेंच भाषा में बुजेट कहा जाता है। यही कारण था कि इस परंपरा को पहले बुजेट और फिर कालांतर में बजट कहा जाने लगा।

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लेदर बैग लेकर पहुंचे थे पहले वित्त मंत्री

जब वित्त मंत्री चमड़े के बैग में दस्तावेज लेकर वार्षिक लेखाजोखा का पूरा ब्योरा लेकर पहुंचते हैं तो सांसद कहते हैं कि बजट खोलिए, देखें तो इसमें क्या है। इस तरह बजट शब्द का प्रयोग लगातार बढ़ता चला गया और यह नामकरण साल दर साल और मजबूत होता गया। अंग्रेजों ने अपनी कई परंपराएं भारत में भी आगे बढ़ाईं और यह परंपरा भी उन्हीं में से एक है। आजादी के बाद पहले वित्त मंत्री आरके शानमुखम चेट्टी बने थे। उन्होंने जब संसद में पहली बार बजट पेश किया तो वे भी इससे जुड़े दस्तावेज लेदर बैग में रखकर ही संसद पहुंचे थे।

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समय-समय पर बदला रंग

वैसे गौर करने वाली एक बात यह भी है कि इतने सालों में इस बैग का आकार भले ही करीब-करीब बराबर रहा हो मगर इसके रंग में कई बार बदलाव देखने को मिला। पूर्व प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री ने मनमोहन सिंह ने 1991 में परिवर्तनकारी बजट पेश किया था। उस समय वे वे काला बैग लेकर संसद भवन पहुंचे थे। जवाहरलाल नेहरू व यशवंत सिन्हा भी काला ब्रीफकेस लेकर ही बजट पेश करने पहुंचे थे, जबकि पूर्व राष्ट्रपति व देश के वित्त मंत्री रह चुके प्रणब मुखर्जी ने जब बजट पेश किया तो वे लाल ब्रीफकेस के साथ पहुंचे थे। 2014 में वित्त मंत्री बने अरुण जेटली जब अपना बजट भाषण पढऩे के लिए संसद पहुंचे तो उनके हाथों में भूरा व लाल ब्रीफकेस दिखा था। 2019 की शुरुआत में अंतरिम बजट पेश करने वाले कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल लाल ब्रीफकेस के साथ बजट घोषणाओं का पिटारा खोला था।

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