CM साहब! आधी आबादी के लिए 4 कमरों का आॅफिस, एक हफ्ते तक नहीं आता पानी

Update: 2016-03-27 15:06 GMT

लखनऊ: अगर आप किसी भी सरकारी अधिकारी के फोन पर कॉल करें तो महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा को सरकार की प्रोयोरिटी वाली रिंग टोन बजती है। सूत्रों की माने तो इस टोन के लिए सरकार ने करोड़ों खर्च किए हैं। इतना ही नहीं सीएम अखिलेश यादव हर जनसभा में महिला सम्मान को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हैं, लेकिन अगर महिलाओं के सम्मान की बात की जाए तो सरकार ने पहल करते हुए टाइप 4 के आवास में महिला सम्मान प्रकोष्‍ठ की स्थापना कर दी है, लेकिन आलम यह है कि प्रकोष्ठ के उस मुख्यालय में सात-सात दिन तक पानी नहीं आता हैं, जबकि यहां पर प्रदेश भर की महिलाएं सहायता लेने आती हैं।

इतना ही नहीं इस ऑफिस में एडिशनल एसपी के भी बैठने के लिए जगह नहीं है। एक सीट पर दो अधिकारी बारी-बारी बैठते हैं। महिला सम्मान प्रकोष्ठ में अधिकारी के रूप में उत्तर प्रदेश की पहली महिला डीजी सुतापा सान्याल को प्रमुख बना दिया गया। इसके अलावा दो सीओ के साथ एक महिला इंस्पेक्टर और चार महिला सब इंस्पेक्टर समेत 2 एएसआई, 17 कांस्टेबल की नियुक्ति कर दी गई। हाल ही में एक महिला एडिशनल एसपी को भी वहां तैनात किया गया। आलम यह है कि एक महीने से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी एडिशनल एसपी के लिए कोई सेपरेट चैम्बर नहीं बन सका। जिसमें बैठकर वे प्रदेश भर से आने वाली महिलाओं की समस्या सुन सकें और सलाह दे सकें।

चार सीटर हाल में करनी पड़ती है काउंसलिंग

पीड़िताओं के परिवार की काउंसिलिंग करने के साथ-साथ उनके परिवार को बैठाकर समझाने बुझाने के लिए जिस हॉल का इस्तेमाल होता है वह महज 10*8 का है जिसमें चार कुर्सियां हैं। मजबूरी में काउंसलिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला यह हाल आगंतुकों के लिए बना है। इस बारे में नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि रिसोर्सेज हमारे पास नहीं हैं। इसलिए हम इसी में अपना बेस्ट करने की कोशिश करते हैं।

काउंसलिंग के दिन सड़क तक लगती है लाइन

वैसे तो महिला सम्मान प्रकोष्ठ में रोज महिलाएं अपनी फरियाद लेकर आती हैं। लेकिन प्रदेश भर की महिलाओं की शिकायतों का निस्तारण और काउंसलिंग के लिए हर बुधवार और शनिवार को सैकड़ों लोगों को बुलाया जाता है। ऐसे दिनों में हालत यह होती है कि फरियादी सड़क तक इधर-उधर भटकते नजर आते हैं।

मेल-फीमेल के लिए सिर्फ चार टॉयलेट

महिला सम्मान प्रकोष्ठ के इस हेड ऑफिस में सिर्फ चार टॉयलेट हैं। इसमे से एक टॉयलेट डीजी सुतापा सान्याल के चैम्बर से अटैच है। जबकि दो टॉयलेट दोनों सीओ के चैम्बर से अटैच हैं, जबकि एक टॉयलेट इंस्पेक्टर सत्ता सिंह के चैम्बर से अटैच है। इसका ज्यादातर इस्तेमाल यहां की फीमेल स्टाफ करती हैं। एडिशनल एसपी और पुरुष कर्मियों के लिए कुछ नहीं है।

फरियदियों के लिए नहीं है कोई मेल-फीमेल टॉयलेट

अन्य सुविधाएं तो दूर की बात है महिला सम्मान प्रकोष्ठ में अपने बेटी या बहन के साथ प्रदेश भर से आने वाले लोगों के लिए शौचायल जैसी बुनियादी सुविधा का अभाव है। बाराबंकी से आए प्रदीप ने बताया कि यहां पर टॉयलेट के लिए भी मुझे ऑटो करके शुलभ शौचालय तक जाना पड़ा था। जबकि फरियादी महिलाएं अधिकारियों के टॉयलेट इस्तेमाल करती हैं।

महिलाओं को भी होती है असुविधा

दूर-दूर से आने वाली महिलाओं से जब बात की गई तो उन्होंने भी महिला सम्मान प्रकोष्ठ में व्याप्त समस्याओं के बारे में बताया कि किस तरह से वहां आने के बाद बैठने और अन्य बुनियादी समस्याओं का अभाव है। सूत्रों की माने तो इंदिरा भवन में एक फ्लोर खाली है जिसके मिल जाने पर महिला सम्मान प्रकोष्ठ सम्मान से काम सकती है।

डीजी ने कहा हमने शासन को कई बार लिखा है लेटर

इस बारे में बात करने पर डीजी महिला सम्मान प्रकोष्ठ सुतापा सान्याल ने बताया कि अपनी इस समस्या को प्रक्रिया के तहत शासन पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया गया है और ऑफिस की जरूरत को बता दिया गया है। फिलहाल हम उपलब्ध संसाधनों में बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं।

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