कोरोना संकट: कारोबार में आई 80 फीसद की कमी, 50 हजार करोड़ का कारोबार प्रभावित

कोरोना काल में जहां लोगों की जिदगी दांव पर है। वहीं लगातार औद्योगिक नगरी में अर्थव्यवस्था धराशायी हो रही है।

Reporter :  Deepankar Jain
Published By :  Ashiki
Update: 2021-05-10 12:18 GMT

File Photo

नोएडा: कोरोना संकट काल में संक्रमण के बढ़ते प्रकोप से जहां लोगों की जिदगी दांव पर है। वहीं लगातार औद्योगिक नगरी में अर्थव्यवस्था धराशायी हो रही है। पिछले दो माह से महामारी से जिले से 50 हजार करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हो चुका है। जल्द हालात में नहीं सुधरे तो इकाइयों पर तालाबंदी शुरू हो जाएगी। मार्च माह की तुलना में अप्रैल व मई में कारोबार में 80 फीसद की कमी आई है। निर्यात इकाईयों का कारोबार बिल्कुल बंद हो चुका है। वाजिफ वजह यह है कि देश लॉकडाउन के दौर से गुजर रहा है। वहीं यूरोपियन देश कारोबार के लिए खुले है। नए आर्डर नहीं मिल रहें। कच्चा मॉल नहीं मिलने से समय पर पुराने आर्डर पूरा करने संकट मंडरा रहा है।

पिछले एक वर्ष से तमाम निर्यात व अन्य उत्पाद की इकाइयां 25 फीसद क्षमता संचालित हो रही है, जो आर्डर पूरा नहीं कर पाने से बंदी की ओर अग्रसर है। इसमें सबसे अधिक बुरी स्थिति में नोएडा विशेष आर्थिक जोन (एनएसईजेड) में संचालित इकाइयों की है। लॉकडाउन लग जाने के बाद अब स्टॉफ तो पूरा आ रहा है। कामगार है नहीं लॉकडाउन के चलते वह पलायन कर चुके है। प्रोडक्शन महज पांच प्रतिशत ही रह गया है। औद्योगिक संगठन ने बताया कि 2019-20 व 2020-21 में सैकड़ों की संख्या में कंपनियों पर ताला लटक चुके हैं।

कोरोना काल में करीब एक लाख करोड़ का नुकसान

उद्यमियों के मुताबिक गौतमबुद्धनगर में 20 हजार बड़ी, छोटी, मझौली इकाइयां संचालित हो रही है। इनका कुल वार्षिक कारोबार करीब चार लाख करोड़ रुपये का है। वर्ष 2019-20 में राजस्व आंकड़ों के आधार पर करीब चालीस फीसद कम कारोबार जिले में हुआ है, कोरोना संकट काल में करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान उद्यमियों को झेलना पड़ा है। वहीं मार्च-अप्रैल में अब तक 50 हजार करोड़ रुपये के कारोबार प्रभावित होने की बात उद्यमियों की ओर से कही जा रही है।

यूरोपियन देश खुलने से हाल बेहाल

सबसे ज्यादा असर निर्यातक कंपनी को हुआ है। यहा से अधिकांश निर्यात यूरोपियन देशों को किया जाता है। शिपिंग महंगे होने विगत साल व वर्तमान में भी कंटेनर की उपलब्धता नहीं होने से तैयार मॉल गोदामों में रखा हुआ है। सबसे अहम प्रतिस्पर्धा की कमी होती जा रही है। कोरोना के चलते आर्डर कैंसल हो रहे है। कच्चा मॉल आयात नहीं होने से आर्डर पूरे करने में देरी हो रही है। इसका असर आने वाले महीनों में साफ देखने को मिलेगा।

फैक्ट्रिया खुल रही हैं। 25 प्रतिशत कामगार आ रहे हेैं। सैलरी सभी को देनी है। विगत महीनों की तुलना में प्रोडेक्शन महज पांच प्रतिशत हो रहा है। यहा का अधिकांश कारोबार दिल्ली से चलता है। कच्चा मॉल, मशीनरी उपकरण नहीं मिल रहे। नोएडा का भी व्यापाार बंद है। यही स्थिति रही तो उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच जाएंगे। विगत वर्ष से अब तक सैकड़ों की संख्या छोटी बड़ी कंपनियों पर ताला लटक चुके है। सरकार से उम्मीद है कि वह आर्थिक बोझ करेगा। साथ ही अलटरनेट क्रम में बाजार खुलने चाहिए। -सुरेंद्र नाहटा, एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा

-कोरोना संक्रमण के चलते करीब 80 प्रतिशत कारोबार प्रभावित हो चुका है। विगत वर्ष सभी देशों में लॉकडाउन था। लेकिन इस बार यूरोपियन कंट्री खुल चुकी है। यहा अधिकांश राज्यों में लॉकडाउन है। निर्यात कंपनियों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। आर्डर रद्य हो चुके हैं। मैनपावर नहीं होने से पुराने आर्डर तैयार करने में समस्या आ रही है। इसका असर दूरगामी होगा और आगामी महीनों में दिखने लगेगा। -कुलमणि गुप्ता, आईआईए , चैयरमेन नोएडा चैप्टर

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