UP के कई जगहों पर गहरा सकता है बिजली संकट, एनटीपीसी की तीन इकाई हुई ठप
एनटीपीसी के उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा 3000 मेगावाट क्षमता वाले रिहंद परियोजना के स्टेज प्रथम की 500 मेगावाट की एक और स्टेज दो की 500-500 मेगावाट वाली दोनों इकाइयां शनिवार की देर रात तकनीकी कारणों के कारण ट्रिप कर गई। इसके चलते जहां एनटीपीसी रिहंद के दूसरे स्टेज से विद्युत उत्पादन पूरी तरह शून्य हो गया।
सोनभद्र न्यूज। एनटीपीसी के उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा 3000 मेगावाट क्षमता वाले रिहंद परियोजना के स्टेज प्रथम की 500 मेगावाट की एक और स्टेज दो की 500-500 मेगावाट वाली दोनों इकाइयां शनिवार की देर रात तकनीकी कारणों के कारण ट्रिप कर गई। इसके चलते जहां एनटीपीसी रिहंद के दूसरे स्टेज से विद्युत उत्पादन पूरी तरह शून्य हो गया। वहीं पावर सेक्टर की विद्युत उपलब्धता में लगभग 1500 मेगावाट की कमी आने से हड़कंप मच गया।
दो इकाइयों को देर रात तक उत्पादनरत हो जाने की उम्मीद है
एनटीपीसी के अभियंता इकाइयों को उत्पादन पर लाने में लगे हुए हैं। दो इकाइयों को देर रात तक उत्पादनरत हो जाने की उम्मीद है। एक इकाई में एक-दो दिन की देरी लग सकती है। उधर, जुलाई की शुरुआत के साथ ही इंद्रदेव की बेरुखी ने प्रदेश में इस वर्ष अब तक के बिजली खपत के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। द्विपक्षीय करार के परिप्रेक्ष्य में केंद्रीय और निजी सेक्टर से बिजली लेने के साथ ही पीक आवर में आपूर्ति की स्थिति नियंत्रित रखने के लिए महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है।
वहीं राज्य के कई हिस्सों में देर रात से लेकर रविवार की दोपहर तक कुछ-कुछ समय के लिए आपात कटौती का क्रम जारी रहा। दोपहर बाद सोनभद्र सहित प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश होने से जहां उमस से राहत मिली। वहीं 3:15 बजे के करीब बिजली की मांग घटकर 17592 पर आ गई। नॉर्दन रीजन लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक शनिवार की शाम प्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश होने से बिजली की मांग में थोड़ी गिरावट भी दर्ज हुई।
शनिवार की रात 10 बजे अधिकतम 22659 मेगावाट दर्ज की गई
इसके चलते 24000 मेगा वाट के करीब पहुंच रही डिमांड शनिवार की रात 10 बजे अधिकतम 22659 मेगावाट दर्ज की गई लेकिन रिहंद परियोजना के सेकंड स्टेज का उत्पादन शून्य होने तथा प्रथम स्टेज की भी एक इकाई बंद होने के कारण राज्य, केंद्र, निजी सेक्टर, महंगी बिजली खरीद के बावजूद विद्युत उपलब्धता में 350 मेगावाट की कमी बनी रही। इसके चलते सिस्टम कंट्रोल की तरफ से रात से लेकर दोपहर तक जगह-जगह कटौती का क्रम जारी रखा गया। इस दिन न्यूनतम मांग में भी गिरावट दर्ज की गई।
13 हजार मेगावाट से ज्यादा चल रही न्यूनतम डिमांड 12040 पर आ गई लेकिन राज्य सेक्टर से काफी कम मिल पा रही बिजली के कारण परेशानी बनी रही। बता दें कि लोड डिस्पैच सेंटर की तरफ से जुलाई में बिजली की अधिकतम मांग 18 से 20000 मेगा वाट रहने का अनुमान लगाया गया था और इससे अधिक की विद्युत उपलब्धता रहने की उम्मीद जताई गई थी लेकिन मानसून में नरमी और बारिश न होने के चलते भारी उमस ने अनुमान के विपरीत स्थिति पैदा कर दी।
उधर एनटीपीसी प्रवक्ता का कहना है कि ट्रिप हुई तीन इकाइयों में से दो को आज रात तक उत्पादन पर आने की उम्मीद है। शेष एक इकाई को कल तक उत्पादन पर आ जाने की उम्मीद है। उधर स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार की दोपहर में 20000 मेगावाट के करीब बिजली की डिमांड बनी हुई थी, जो घटकर 3:15 बजे के करीब 17542 पर आ गई है।