Deepotsava 2024: अयोध्या में जलेंगे डेढ़ लाख गो दीप, पशुधन मंत्री ने भेंट किये गो दीप
Deepotsava 2024: सोमवार शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर पशुधन मंत्री धरमपाल सिंह ने प्रतीकात्मक रूप से गो दीप और अन्य गो उत्पाद भेंट किए। यह आयोजन प्रदेश में गोवंश के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
Deepotsava 2024: योगी सरकार द्वारा अयोध्या में अबतक के सबसे भव्य दीपोत्सव की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सभी विभाग अपनी अपनी ओर से दीपोत्सव की भव्यता को बढ़ाने में बढ़-चढ़कर शामिल हो रहे हैं। इसी क्रम में पशुधन विभाग ने अयोध्या में दीपोत्सव के अवसर पर डेढ़ लाख गो दीप जलाने का संकल्प लिया है। जो कि गाय के गोबर से बने हुए हैं। कहा जाता है कि जहां ये गो दीप जलते हैं वहां लक्ष्मी का वास होता है।
सोमवार शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर पशुधन मंत्री धरमपाल सिंह ने प्रतीकात्मक रूप से गो दीप और अन्य गो उत्पाद भेंट किए। यह आयोजन प्रदेश में गोवंश के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
गोदीप जलाने का संकल्प सराहनीय
बता दें कि अयोध्या में योगी सरकार की ओर से 35 लाख से अधिक दीपक जलाने का संकल्प लिया गया है। इसमें से अकेले 28 लाख दीये केवल सरयू नदी के 55 घाटों पर जलाए जाएंगे, जिसे विश्व कीर्तिमान के रूप में स्थापित किया जाएगा। इन दीपों में पशुधन विभाग की ओर से डेढ़ लाख गो दीप जलाने के संकल्प को मुख्यमत्री ने सराहा।
गो पूजन से फैलाएंगे जागरुकता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर गो संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और प्रदेश के सभी जिलों में गो आश्रय स्थलों पर गो पूजन के कार्यक्रम के आयोजन के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गोवर्धन पूजा के शुभ अवसर पर प्रदेश के गो आश्रय स्थलों में विधिवत गो पूजन आयोजित किया जाएगा। इसमें मंत्रीगण, सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधि, समाजसेवी और गो प्रेमी शामिल होंगे और गो पूजन संपादित करेंगे। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य गोवंश के प्रति समाज में जागरूकता फैलाना और उनकी देखभाल को बढ़ावा देना है।
गोवंश संरक्षण पहली प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी गो आश्रय स्थलों में गोवंश के भरण-पोषण, हरे चारे की समुचित व्यवस्था और नियमित स्वास्थ्य परीक्षण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि गोवंश का संरक्षण और संवर्धन प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
गोबर में मां लक्ष्मी का वास
आपको बता दें कि गाय के गोबर से तैयार किये गए दीपक गो संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। दीपावली पर ये दीपक प्रकाश के साथ गोसंवद्धर्न का संदेश भी देंगे। कार्तिक माह में विभिन्न मंदिरों में भी गोबर से बने दीपकों का वितरण भी किया जाता है। गाय के गोबर से बने दीपक का उपयोग न केवल आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उल्लेखनीय है कि हिंदू धर्म में गाय के गोबर का विशेष महत्व है। इसे पवित्र और शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय के गोबर में मां लक्ष्मी का वास होता है। गोबर का पूजा में इस्तेमाल करना काफी शुभ माना जाता है। ऐसे में गोबर का दीपक का भी विशेष महत्व है। यह दीपक जलने के बाद इसका खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है यह वनस्पति और पर्यावरण के लिए बहुत ही लाभदायक है।
गोमय दीप महाभियान
पशुधन मंत्री धरमपाल सिंह द्वारा इस वर्ष दीपोत्सव में डेढ़ लाख गोमय दीप जलाने का संकल्प पर्यावरण और गो सेवा में अहम योगदान रखता है। इसे गांव गांव में गोमय निर्मित दीपक जलाने के महा अभियान की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। गोमय दीप किसानों की आय बहुगुणा करने में समर्थ हैं। इसीलिए गाय बनाए करोड़पति अभियान को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का भी समर्थन है।
गोमय दीप के लाभ
इस तरह से गोबर से बने दीपक, मिट्टी के दीपों की तुलना में पर्यावरण के लिए बेहतर होते हैं. इनसे निकलने वाला धुआं वातावरण को साफ़ करता है। इन दीपकों को जलाने से घर में हवन की खुशबू आती है और पटाखों की गैस से होने वाला नुकसान कम होता है। दीपक जलने के बाद, इसे जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। दीपक में तुलसी और अश्वगंधा जैसे पौधों के बीज मिलाए जा सकते हैं। दीपक जलाने के बाद, इसे मिट्टी में डालने पर ये बीज अंकुरित हो जाते हैं। गोबर से बने दीपक बनाने से महिलाओं को रोज़गार मिलता है और उनकी आय बढ़ती है। हिन्दू धर्म में गाय के गोबर को शुद्ध माना जाता है। इसलिए, दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में इनका इस्तेमाल किया जाता है।