RTI के जरिए हुआ UP की जेलों का खुलासा, हर 26 घंटे में होती है एक कैदी की मौत

यूपी के जेलों की बदहाली और लापरवाही का सच एक आरटीआई के जरिए सामने आया है। यहां औसतन हर 26 घंटे में एक कैदी की मौत हो जाती है। यह जानकारी आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना पर राज्य के कारागार विभाग ने दी है। आगरा के मानवाधिकार कार्यकर्त्ता नरेश पारस ने आरटीआई के तहत यह सूचना मांगी थी। अब नरेश पारस ने मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) , यूपी के गवर्नर और पीएमओ को इस मामले में दखल देने के लिए लेटर लिखा है।

Update: 2016-10-17 15:18 GMT

आगरा: यूपी के जेलों की बदहाली और लापरवाही का सच एक आरटीआई के जरिए सामने आया है। यहां औसतन हर 26 घंटे में एक कैदी की मौत हो जाती है। यह जानकारी आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना पर राज्य के कारागार विभाग ने दी है। आगरा के मानवाधिकार कार्यकर्त्ता नरेश पारस ने आरटीआई के तहत यह सूचना मांगी थी। अब नरेश पारस ने मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) , यूपी के गवर्नर और पीएमओ को इस मामले में दखल देने के लिए लेटर लिखा है।

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74 महीनों में 2,062 कैदियों की मौत

-पारस ने आरटीआई के तहत यूपी की जेलों में कैदियों की होने वाली मौतों का आंकड़ा और कारण का ब्यौरा मांगा था।

-जवाब में मिले करीब 50 पन्नों की एक रिपोर्ट में उपलब्ध कराए गए आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि जेलों के अंदर कैदियो को लेकर लापरवाही चरम पर है।

-आरटीआई के जवाब में बताया गया कि यूपी की जेलों में हर 26 घंटे में एक कैदी की मौत होती है।

-यह आंकड़ा जनवरी 2010 से लेकर फरवरी 2016 तक का है।

-इन 74 महीनो के दौरान यूपी की जेलों में 2,062 कैदियो की मौत हुई हैं ।

-जिनमें से 50 प्रतिशत आंकड़ा उन कैदियों का है जिनके न्यायिक मुकदमे अंडर ट्रायल चल रहे थे।

-इस आरटीआई में बताया गया कि इतने ही महीनों में 44 कैदियों ने जेल में ही आत्महत्या की है।

नहीं होती अवसाद पीड़ित कैदियों की काउंसलिंग

मानवाधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस का कहना है कि जेल में ऐसे कैदी जो किसी तरह के अवसाद से घिरे है, उनके लिए कोई भी काउंसलिंग की व्यवस्था जेल प्रबंधन ने नहीं की है।

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क्या कहते हैं अधिकारी

-आईजी जीएल मीणा के मुताबिक, कैदियों को सुविधाएं देने के लिए पिछले दिनों कई कदम उठाए गए हैं।

-पिछले कुछ सालों में जेल के हालात में सुधार आया है, लेकिन कैदियों की संख्या भी बढ़ गई है।

-राज्य सरकार कुछ नए जेल बनाने की योजना बना रही है।

-जिससे भीड़ कम होगी और बेहतर सुविधाएं दी जा सकेंगी।

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