Padma Shri 2023: बुंदेलखंड के 'जल योद्धा' उमा शंकर पांडे को पद्मश्री से नवाजा गया, PM मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

Padma Shri 2023: बुंदेलखंड के 'जल योद्धा' उमा शंकर पांडे को पद्मश्री पुरस्कार दिया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने उनके 'जल मॉडल' को लेकर देश भर के प्रधानों को पत्र भी लिखा था।

Written By :  aman
Update: 2023-01-26 11:16 GMT

Uma Shankar Pandey (Social Media) 

Padma Shri 2023: उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड इलाका सूखे की विभीषिका से त्रस्त रहा है। बुंदेलखंड के बांदा जिले के जखनी को 'जल ग्राम' बनाने में उमा शंकर पांडे (Uma Shankar Pandey) ने महती भूमिका निभाई। उमा शंकर पांडे का जन्म जखनी गांव में ही हुआ था। पांडे ने सामुदायिक प्रयास से मेड़बंदी का तरीका अपनाया और जखनी को 'जल ग्राम' बना दिया। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जिन हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई, इनमें उमा शंकर पांडे (Uma Shankar Pandey Padma Shri 2023) का नाम भी शामिल है। उमा शंकर पांडे  जीवन संघर्षों से भरा रहा है।

उमा शंकर पांडे आज 61 वर्ष के हैं। युवावस्था में विकलांग के बावजूद उमा पांडे ने सामाजिक कल्याण के अनेक कार्य किए। उन्होंने बांदा जिले में लोगों से सहयोग मांग कर एक झोपड़ी में विकलांगों को शिक्षित करने का प्रयास शुरू किया। बाद में जिला प्रशासन ने उन्हें एक भवन मुहैया कराया। इस दौरान उमा शंकर पांडे ने हजारों विकलांगों को शिक्षित किया।

विकलांगता को पीछे छोड़ बने 'जल योद्धा'

फिर उमा शंकर पांडे का मन सूखे से जूझ रहे बुंदेलखंड के लिए कुछ करने को किया। जल संकट के मद्देनजर उन्होंने पानी पर काम करना शुरू किया। पूर्वजों के किये कार्य और अनुभवों के सहारे उन्होंने दो दशक पहले 'मेड़बंदी' का तरीका अपनाया और सफल हुए। जखनी गांव को 'जल ग्राम' बनाकर ही वो माने। उमा शंकर पांडे के इस प्रयास से 2,000 बीघे में मेड़बंदी हुई। आज उनके गांव के कुएं और तालाब पानी से लबालब भरे हैं। धीरे-धीरे उमा शंकर पांडे की ख्याति बढ़ने लगी। उनके इस प्रयास की चर्चा पूरे देश में होने लगी। यहां तक की 25 सितंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी )Prime Minister Narendra Modi) ने भी उनके इस प्रयास की सराहना की। जिसके बाद उन्हें 'जल योद्धा' के रूप में पहचान मिली।

मिल चुके हैं कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार 

उमा शंकर पांडे का 'जल संचयन' मॉडल क्षेत्र के लोगों के बीच अपनी जगह बनाता चला गया। उन्हें 'जल योद्धा' के तौर पर न सिर्फ पहचान मिली बल्कि प्रधानमंत्री ने उनके 'जल मॉडल' पर देश भर के प्रधानों को पत्र भी लिखा। उमा शंकर पांडे ने बुंदेलखंड क्षेत्र में भू जल संरक्षण के लिए गांव के लोगों को जोड़कर जनसहभागिता का बेमिसाल उदाहरण पेश किया। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें अब तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिए जा चुके हैं। वहीं, नीति आयोग ने उमा शंकर पांडे को जल संरक्षण समिति का सदस्य भी नामित किया है। 

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