हस्तिनापुर में प्राचीन पांडव टीला की खुदाई में मिली रोचक जानकारियां, मिले अवशेष

Meerut News: हस्तिनापुर में प्राचीन पांडव टीला उल्टाखेड़ा पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कराए जा रहे उत्खनन में कई रोचक जानकारियां मिली हैं। जिनमें राजपूतकालीन की महलों की दीवारें, चित्रित मृदभांड, मिट्टी के बर्तन, चूड़ियां, आग में जली हुई हड्डियां और जानवरों की हड्डियों के अवशेष शामिल हैं।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2022-02-24 17:38 GMT

खुदाई में मिले अवशेष। (Social Media) 

Meerut News: मेरठ जिला मुख्‍यालय से 40 किलोमीटर दूर महाभारत (Mahabharata) के गवाह हस्तिनापुर (Hastinapur) में प्राचीन पांडव टीला उल्टाखेड़ा पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) द्वारा कराए जा रहे उत्खनन में कई रोचक जानकारियां मिली हैं। जिनमें राजपूतकालीन की महलों की दीवारें, चित्रित मृदभांड, मिट्टी के बर्तन, चूड़ियां, आग में जली हुई हड्डियां और जानवरों की हड्डियों के अवशेष शामिल हैं। इससे 2 साल पहले अगस्त में लगातार बारिश के बाद हस्तिनापुर टीले (Hastinapur Mounds) में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के मिट्टी के बर्तनों की खोज की गई थी।

एएसआई के नव-निर्मित मेरठ सर्कल के सुपरिटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट ब्रजसुंदर गडनायक (Superintending Archaeologist Brajsundar Gadnayak) की मानें तो अभी तक टीले वाले क्षेत्रों के संरक्षण और पुराने मंदिरों को नया रूप देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। गौरतलब है कि हस्तिनापुर (Hastinapur) उन पांच स्थलों में शामिल है, जिनका विकास केंद्र की ओर से प्रस्तावित किया गया है। 2020 के केंद्रीय बजट में राखीगढ़ी (हरियाणा), शिवसागर (असम), धोलावीरा (गुजरात) और आदिचल्लानूर (तमिलनाडु) के साथ हस्तिनापुर को आइकॉन‍कि साइटों के रूप में विकसित करने के लिए चिह्नित किया गया था।

कैलाशदीप शिखर संग्रहालय (Kailashdeep Peak Museum) के संस्थापक एवं पुरातत्ववेत्ता 74 वर्षीय सतीश जैन का कहना है कि उत्खनन में मृदभांड, टेराकोटा के खिलौना गाड़ी का एक हिस्सा, पोटला (पीने के पानी को ले जाने वाला मिट्टी का बर्तन), सिल बट्टा, मनके और गेहूं, उड़द तथा चावल आदि के अलावा मानव अस्थियों के अवशेष मिले हैं। उन्होंने बताया कि यह तमाम अवशेष प्रारंभिक जांच में राजपूत काल यानी सातवीं से आठवीं शताब्दी के पाए गए हैं। दो साल पहले अगस्त में हस्तिनापुर टीले (Hastinapur Mounds) में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व (3rd century BC) के मिट्टी के बर्तनों की खोज की गई थी। डॉ. केके शर्मा (Dr. KK Sharma) के अनुसार डिजाइन बरेली की आंवला तहसील (Aonla Tehsil of Bareilly) के एक प्राचीन टीले, अहिच्छत्र के समान था। अहिच्छत्र का जिक्र 'महाभारत' में उत्तरी पांचाल की राजधानी के रूप में किया गया है। वास्तव में यह हस्तिनापुर, मथुरा, कुरुक्षेत्र और काम्पिल्य जैसे 'महाभारत स्थलों' से मिट्टी के बर्तन थे जो बीबी लाल मानते थे कि यह सबूत था जो उन सभी को जोड़ता था।

1952 में हुई थी हस्तिनापुर में पहली खुदाई

बता दें कि हस्तिनापुर में पहली खुदाई 1952 में हुई थी। जब आर्कियोलॉजिस्ट प्रोफेसर बीबी लाल (Archaeologist Professor BB Lal) ने निष्कर्ष निकाला कि महाभारत काल लगभग 900 ईसा पूर्व था और शहर गंगा की बाढ़ से बह गया था। दरअसल बीबी लाल (Archaeologist Professor BB Lal) अयोध्‍या (Ayodhya) में विवादित ढांचे बाबरी मस्जिद के नीचे 12 मंदिर स्तंभों की 'खोज' के लिए जाने जाते हैं। मोदीनगर के मुल्तानिमल मोदी कॉलेज (Multanimal Modi College in Modinagar) में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केके शर्मा (Associate Professor of History Dr. KK Sharma) ने कहा कि 1952 बाद कोई ठोस विकास नहीं हुआ। फिर 2006 में हस्तिनापुर से लगभग 90 किमी दूर सिनौली में एक प्राचीन कब्रगाह की खोज और 2018 में एक तांबे के घोड़े से चलने वाले युद्ध रथ की खोज ने इस सिद्धांत को दर्शाया कि वे महाभारत काल के थे क्योंकि महाकाव्य में रथों का जिक्र किया गया है। शर्मा 2006 की सिनौली खुदाई का हिस्सा थे।

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