स्ट्रेचर और ऑक्सीजन के अभाव में मर गया 'राम', कंधे पर लाश लेकर भागता रहा विष्णु, देखें Video
भटहट के धोरकी मागी का रामबदन साहनी (35) हैदराबाद में पेंट-पालिश का काम करता था।हैदराबाद से तीन दिन पहले ही घर लौटा था।
गोरखपुर : उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( CM Yogi Adityanath) के गृह जनपद गोरखपुर (Gorakhpur) के बीआरडी मेडिकल कॉलेज (BRD Medical College Hospital ) परिसर में काम करने वाले कर्मचारियों की संवेदनहीनता का मामला सामने आया है। यहां पर एक मरीज को स्ट्रेचर नहीं दिया गया, जिसके अभाव में उसके छोटे भाई ने उसे कंधे पर लादकर काउंटर तक पहुंचाया है। वहां पर भी उसे ऑक्सीजन (Oxygen) नहीं मिलने के कारण तड़प तड़प कर अपना दम तोड़ दिया।
बताया जा रहा है कि भटहट के धोरकी मागी का रामबदन साहनी (35) हैदराबाद में पेंट-पालिश का काम करता था और हैदराबाद से तीन दिन पहले ही घर लौटा था। दो दिन से उसकी तबीयत खराब चल रही थी।
ना मिला एम्बुलेंस ना स्ट्रेचर
रविवार की रात में हालत ज्यादा बिगड़ी तो परिजनों ने एम्बुलेंस के लिए कई बार फोन किया, लेकिन एम्बुलेंस नहीं आई। उसके बाद सोमवार की सुबह छोटे भाई विष्णु ने एक बार फिर एम्बुलेंस बुलाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
उसके बाद जब रामबदन की सांस की परेशानी बढ़ने लगी तो छोटे भाई विष्णु ने दोस्त की मदद से बड़े भाई को बाइक से ही लेकर बीआरडी के 300 बेड वाले कोविड वार्ड लेकर पहुंच गया। बीआरडी पहुंचते रामबदन की हालत और बिगड़ने लगी।
इलाज न मिल पाने से भाई की मौत
कहा जा रहा है कि यहां पर 300 बेड का कोविड वार्ड जिस भवन में बनाया गया है उसका पोर्टिको काफी ऊंचाई पर है। एंबुलेंस तो पोर्टिको तक पहुंच जाती है, लेकिन मरीज लेकर बाइक से वहां तक नहीं जा सकता है। ऐसे में भाई को लेकर पहुंचे विष्णु ने पोर्टिको से आगे स्थित पूछताछ काउंटर पर पहुंचकर स्ट्रेचर मांगा, लेकिन कर्मचारियों ने कहा कि स्ट्रेचर मरीज को अंदर ले जाने के लिए है। इसके बाहर ले जाने के लिए नहीं दे सकते।
उनके जवाब से निराश विष्णु ने अपने बड़े भाई को कंधे पर लाद कर पूछताछ काउंटर तक ले गया। वहां भी उसे लिटाने के लिए स्ट्रेचर नहीं मिला। विष्णु ने ऑक्सीजन मांगी तो कर्मचारियों ने हाथ खड़े कर दिये। छोटा भाई हर जगह गुहार लगाता रहा और इसी बीच रामबदन की सांसें थम गईं।
भाई की मौत होते ही वहां मौजूद परिवार के लोग रोने लगे। विष्णु ने कहा कि समय से इलाज न मिल पाने से भाई की मौत हो गयी। उसकी मौत के बाद भी कर्मचारी संवेदनहीन बने रहे। दो घंटे तक मनुहार के बाद शव को पैक किया गया। इसके बाद दो हजार रुपये में तय कर एम्बुलेन्स से शव को घर ले गया।
जब यह बात बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य के कानों तक गयी तो उन्होंने कहा कि यह बेहद अमानवीय है। मरीज को हर हाल में स्ट्रेचर मिलना चाहिए था। स्ट्रेचर की कमी भी नहीं है। कुछ कर्मचारियों की वजह से पूरे संस्थान की छवि प्रभावित होती है। इस मामले में कर्मचारियों को सख्त हिदायत दी जाएगी ताकि इस तरह की अमानवीय घटना की पुनरावृत्ति न हो।