UP Politics: रिमोट कंट्रोल से चल रही हैं राजनीतिक दलों की यूपी यूनिट

चुनाव खत्म हुए लगभग डेढ से दो महीने होने को आ रहा है पर भाजपा कांग्रेस सपा और बसपा अपने नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश अब तक पूरी नही कर पा रही है।

Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-05-02 11:19 IST

राजनीतिक दल (फोटो- सोशल मीडिया)

UP Politics: विधानसभा चुनाव के बाद देश के सबसे बडे़ सूबे यानी उत्तर प्रदेश में मुख्य राजनीतिक पार्टियां इन दिनों हाईकमान के रिमोट से चल रही हैं। चुनाव खत्म हुए लगभग डेढ से दो महीने होने को आ रहा है पर भाजपा कांग्रेस सपा और बसपा अपने नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश अब तक पूरी नही कर पा रही है। सवाल इस बात का है कि बदलते राजनीति के दौर में प्रदेश अध्यक्षों की उपयोगिता खत्म होती जा रही  है और सब कुछ अब हाईकमान के हाथों में ही सिमट कर रह गया है।

18वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव के बाद जब प्रदेश में भाजपा सरकार का गठन हुआ तो प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे स्वतंत्रदेव सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। जिसके बाद से हाईकमान इस पद को नहीं भर पाया है। हाल यह है कि स्वतंत्रदेव सिंह को संगठन और सरकार दोनो की जिम्मेदारियों को निभाना पड़ रहा है।

वहीं इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा। उसे इतिहास में सबसे कम एक सीट से ही संतोष करना पड़ा जिसके बाद प्रदेश  अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने नैतिकता के आधार पर अपना इस्तीफा दे दिया। इसके बाद अब तक कांग्रेस की प्रदेश  इकाई का यह पद खाली पड़ा है। केन्द्रीय हाईकमान से ही पूरी प्रदेश  यूनिट संचालित हो रही है।

वहीं हाल मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का भी है। विधानसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता ने मिलने के बाद पार्टी के अंदर और बाहर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को हटाए जाने की बातें उठ रही हैं। हाईकमान भी इसे लेकर गंभीर बताया जा रहा है पर अब तक वह इस पद के लिए  किसी उचित नेता की तलाश नहीं कर सका है। यह बात अलग है सपा और बसपा में प्रदेश  अध्यक्ष का कभी महत्व नहीं रहा पर संवैधानिक ढांचे के तहत प्रदेश  अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है।

यही हाल लगभग एक और दल बसपा का भी है। यहां पर विधानसभा चुनाव में पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा। उसे केवल एक सीट से ही संतोष करना पड़ा। यहां तक कि पार्टी के प्रदेष अध्यक्ष भीम राजभर खुद अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। मऊ सदर से बसपा से भीम राजभर, सपा गठबंधन से अब्बास अंसारी और भाजपा से अशोक सिंह मैदान में थे।  लेकिन मुख्तार अंसारी का गढ़ माने जाने वाली मऊ सदर पर अब्बास अंसारी ने अपना परचम लहराया। बसपा के भीम राजभर को 44516 वोट मिले। भीम राजभर को जमानत बचाने के लिए 46499 वोट चाहिए थे, जबकि उन्हें मात्र 44516 वोट मिले और  मऊ सदर प्रत्याशी भीम राजभर की जमानत ज़ब्त हो गई। इसके बाद से हाईकमान भीम राजभर से बुरी तरह से असंतुष्ट है और उनकी जगह किसी अन्य नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाह  रहा है।

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