PHOTOS: 'नमामि गंगे' पर खर्च हो रहे करोड़ों रुपए, नाले घोंट रहे गोमती मैया का गला

Update: 2017-09-27 11:25 GMT

लखनऊ: बड़े अच्छे लगते हैं, ये धरती, ये नदिया, ये रैना और? और ..... इससे पहले आप अपने किसी चाहने वाले को ऊपर दिखाई गई तस्वीर वाली जगह पर यह गाना गाएं, हम आपको इसकी हकीकत से रूबरू करवा देते हैं।

दरअसल ऊपर आप जिस तस्वीर को देख रहे हैं, वह ना तो किसी हिल स्टेशन का वाटर फॉल है और ना ही किसी झील का गिरता हुआ पानी, यह है नवाबों की नगरी लखनऊ में बहने वाली गोमती नदी में गिरता हुआ नाला, जिसे देखकर आप खुद सोचने पर मजबूर जो जाएंगे। नदी में गिरने वाले नालों की वजह से इसका पानी प्रदूषित और काला हो गया है।

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हैरानी की बात तो यह है कि एक तरफ जहां 'नमामि गंगे' जैसे प्रोजेक्ट पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं राजधानी लखनऊ की नदी गोमती का, उसमें गिरते नालों उसका मुंह ही काला कर दिया है।

बड़े-बड़े पदों पर आसीन लोग नदियों को कहने मात्र को मां का दर्जा देते हैं, लेकिन उसका ख्याल रखने के नाम पर चुप्पी साधे बैठे हुए हैं।

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इन सब बातों को दरकिनार करते हुए आपको यह जानकर और हैरानी होगी कि गोमती नदी में गिर रहा यह गंदा नाला कहीं और नहीं बल्कि गोमती रिवर फ्रंट का है, जिसपर पिछली सरकार ने करोड़ों रुपए ख़त्म किए थे। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने तक वह सरकार सत्ता से चली गई, जिसकी वजह से इसकी साफ़-सफाई का दारोमदार वर्तमान सरकार पर आ गया।

कहने को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पीएम मोदी के नक़्शे-कदम पर चलते हुए प्रदेश भर में स्वच्छता कार्यक्रम पर जोर दे रहे हैं, पर राजधानी की नदी गोमती की बदहाली से वह पूरी तरह से अंजान हैं।

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ध्यान देने वाली बात यह है कि हाल ही में मुख्यमंत्री योगी ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सदगुरू जग्गी वासुदेव की अगुवाई में चलाए जा रहे ‘रैली फॉर रिवर्स’ अभियान का हिस्सा बने थे और उन्होंने कहा था कि नदियों को बचाने के लिए जनभागीदारी जरूरी है। पर सोचने वाली बात यह है कि बीती सरकार के जाने के बाद गोमती नदी के संरक्षण की जिम्मेदारी योगी सरकार पर आ गई हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

गोमतीनगर स्थित गोमती रिवर फ्रंट पर हर रोज शाम को घूमने वालों का तांता लगा रहता है, पर यहां नदी से उठने वाली बदबू से भी वह परेशान रहते हैं। देखा जाए तो सरकार ने ना तो परियोजना को ही आगे बढ़ाया है और ना ही नदी को प्रदूषित करने वाले गंदे नालों का कोई तोड़ निकाला जा रहा है। अगर हाल ऐसा ही रहा, तो आने वाले समय में केवल गोमती फ्रंट ही बचेगा, रिवर तो विलुप्त ही हो जाएगी।

 

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