लखनऊ: कांग्रेस की छवि सुधारने और आगामी विधानसभा की रणनीति बनाने के लिए मुख्यालय पर कांग्रेसियों की मीटिंग ले रहे प्रशांत किशोर को आज प्रश्नों की बौछार का सामना करना पड़ा। जिले से आए नेताओं ने उनसे पूछा कि बड़े नेता सिर्फ अपने क्षेत्रों तक ही क्यों सीमित रह जाते हैं? नेताओं ने कहा कि हम जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। पार्टी के बड़े नेताओं को अपने क्षेत्रों से निकलकर आगे भी जाना चाहिए जिससे पार्टी का और विस्तार हो सके।
क्या कहते है कांग्रेसी नेता
-कांग्रेस मुख्यालय पर प्रदेश के कोने- कोने से कार्यकर्ता-नेता पहुंचे हैं।
-सभी की नजर प्रशांत किशोर पर है कि वह किस तरह कांग्रेस का खोया जानाधार वापस लाएंगे।
-नाम न छापने की शर्त पर एक कांग्रेसी नेता ने बताया कि इस बार के चुनाव में पार्टी को प्रशांत किशोर के अलावा भी कोई नया चेहरा लाना चाहिए।
-जिसके बलबूते पूरी दावेदारी के साथ चुनाव लड़ा जा सके।
-क्योंकि प्रशांत किशोर कोई बड़ा चेहरा नहीं है, उनके दम पर चुनाव नही लड़ा जा सकता है।
तय होगा चुनावी एजेंडा
-पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो इस मीटिंग के साथ ही यह आगामी विधान सभा चुनाव का एजेंडा तय होगा।
-इस बार किस तरह से कांग्रेस को विधानसभा के चुनाव के लिए तैयार किया जाए।
-जिससे यूथ के अलावा अगड़ा पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक सभी को एक साथ साधा जा सके।
क्या कहते हैं कांग्रेस के प्रवक्ता
कांग्रेस प्रवक्ता बिरेंद्र मदान ने बताया कि मीटिंग के प्रदेश भर के जिला अध्यक्ष शहर अध्यक्ष के अलावा उत्तर प्रदेश प्रभारी मधुसूधन मिस्त्री और अखिलेश प्रताप सिंह के अलावा तीन सचिव लेवल के पदाधिकारी इस आयोजन में शामिल होंगे।
अल्पसंख्यकों पर दांव लगाएगी कांग्रेस
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में डुमरियागंज के मौलाना हमीदुल्लाह चौधरी ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान निर्मल खत्री ने कहा कि जिन्होंने भी अक्लियत (अल्पसंख्यक) का सियासी इस्तेमाल किया है और बाद में किनारे लगा दिया है अब वक्त आ गया है कि यही अक्लियत के लोग उन्हें पीछे नही धकेलेंगे बल्कि दफन कर देंगे।
क्या हैं प्रशांत किशोर के चैलेंज?
-यूपी कांग्रेस के लिए एक चेहरे की तलाश।
-पार्टी हाई कमान को प्रियंका गांधी के लिए मनाना।
-यूपी में जातिगत राजनीति को तोड़ना।
-यूपी कांग्रेस को एकजुट करना।
-प्रियंका-राहुल की इमेज मेक ओवर।
-एक ऐसी स्ट्रेटजी तैयार करना जिससे कांग्रेस का खोया वोट वापस आ सके।
-मुसलमानों, दलितों के प्रति कांग्रेस में रुझान पैदा करना।
-छोटी पार्टियों के साथ वेस्ट यूपी में गठबंधन बनाना।
-कांग्रेस को ग्रास रूट लेवल तक ले जाना।