World Carrom Championship: मुफलिसी और गरीबी की जंग ने बनाया चैंपियन, विश्व के नंबर दो के खिलाड़ी हैं अब्दुल रहमान
World Carrom Championship: कहते हैं पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को ,उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते और इसी कहावत को सच करके दिखाया है प्रयागराज के रहने वाले अब्दुल रहमान ने। अब्दुल रहमान कैरम के विश्व के नंबर दो के खिलाड़ी हैं।
World Carrom Championship: कहते हैं पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को ,उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते और इसी कहावत को सच करके दिखाया है प्रयागराज के रहने वाले अब्दुल रहमान ने। अब्दुल रहमान कैरम के विश्व के नंबर दो के खिलाड़ी हैं। मलेशिया में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में अब्दुल रहमान उप विजेता बने और लोगों के बीच चर्चा का विषय भी बने रहे । अब्दुल के इस सफर की कहानी सुनकर के आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे कि आखिर कितनी मुफलिसी से अब्दुल ने आम से चैंपियन बनने का सफर तय किया।
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पिता लिफाफे बनाने का काम जबकि विजेता अब्दुल रहमान थे कारपेंटर
अब्दुल रहमान बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं पिता लिफाफे बनाने काम करते हैं जबकि अब्दुल की मां हाउसवाइफ है पांच भाई बहनों के परिवार में अब्दुल सबसे बड़े हैं । अब्दुल के पिता बताते हैं कि अब्दुल को बचपन से ही कैरम खेलने का शौक था लेकिन आर्थिक तंगी के चलते अब्दुल की इच्छा पूरी करने में काफी समस्या हुई। किसी दिन तो दो वक्त की रोटी खाना भी मुश्किल होता था।
वर्ल्ड कैरम चैंपियनशिप में अब्दुल रहमान बने थे उपविजेता
थोड़ी सी आमदनी मे पूरे घर को चलाना पड़ता था लेकिन अब्दुल इस परेशानी को समझते हुए भी बड़ी समझदारी से आगे बढ़ता गया। आपको बता दें अब्दुल रहमान ने अब तक कई प्रतियोगिताएं जीती हैं और अब अब्दुल का सपना है कि वर्ल्ड चैंपियनशिप में वह विजेता बने और भारत के लिए गोल्ड लेकर आए। मलेशिया में हुई प्रतियोगिता में 17 देशों ने भाग लिया था जबकि अब्दुल रहमान मेंस सिंगल में उपविजेता जबकि डबल में विजेता बने । आज भी अब्दुल का परिवार किराए के मकान में रहता है जबकि अब्दुल के पिता लिफाफा बनाने का ही काम करते हैं । प्रतियोगिता जीतने से पहले अब्दुल की पहचान एक उभरता हुआ खिलाड़ी के तौर पर होती थी लेकिन अब्दुल कारपेंटर का काम भी करता था हालांकि अब स्पोर्ट्स कोटा के तहत अब्दुल को तमिलनाडु के पांडिचेरी में इनकम टैक्स विभाग में इंस्पेक्टर की नौकरी मिली है और जल्द ही अब्दुल की जॉइनिंग है।
अब्दुल बताते हैं कि जब उनको पता चला कि वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए उनको मलेशिया जाना है तो आर्थिक तंगी के चलते उसको लगा कि उनका सपना टूट जाएगा लेकिन प्रयागराज के रहने वाले मोहम्मद सिराजुद्दीन और मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने अब्दुल रहमान के खर्चे को उठाया जिसको अब्दुल आज भी नहीं भूलता। इलाहाबाद कैरम एसोसिएशन के सचिव मोहम्मद सिराज का कहना है कि अब्दुल के खेल के वह मुरीद है और अब्दुल की इस प्रतिभा को उन्होंने कई साल पहले ही पहचान लिया था, उनको गर्व है कि अब्दुल ने प्रयागराज के साथ साथ पूरे विश्व में अपना नाम रोशन किया है।
गौरतलब है कि अब्दुल रहमान की मेहनत और लगन ने उसके सपने को साकार किया है। कैरम बोर्ड पर अब्दुल की उंगलियां इस तरह चलती है कि अच्छे अच्छे लोग भी दांतो तले उंगली दबा लेते हैं ।अब्दुल का सपना है कि वह एक कोचिंग सेंटर भी खोलें जिसमें युवा प्रतिभाओं को इस खेल के प्रति मौका मिले और य़ह खेल भी क्रिकेट की तरह जगह बनाये । अब्दुल का कहना है कि आज के युवा मोबाइल में गेम ज्यादा खेलते हैं जो बेहद खतरनाक है। जो भी खेल खेले उसको फिजिकली खेले ताकि उसका लाभ आगे भी मिल सके। अब्दुल का परिवार अब्दुल की कामयाबी से बेहद खुश है परिवार की आंखें आज भी नम हो जाती है जब वह अपने बीते लम्हों को याद करते हैं ।घर पर अब्दुल के द्वारा जीती हुई ट्रॉफीओ का अंबार है और परिवार के लोगों के चेहरे पर मुस्कान भी है।