Prayagraj News: ट्रांसजेंडर फोबिया में मारे गए लोगों का साझा किया गया दर्द, प्रयागराज में आगे आए किन्नर

Prayagraj News: दुनिया भर में निरन्तर ट्रांसजेंडर की बढ़ती आबादी ने ट्रांस फोबिया की घटनाएं बढ़ रही हैं। ट्रांस फोबिया से मरने वाले ट्रांसजेंडर की याद में प्रयागराज में किन्नरों ने अंतर्राष्ट्रीय ट्रांस जेंडर डे ऑफ रिमेंब्रेंस मनाया।

Report :  Dinesh Singh
Update:2024-11-20 20:07 IST

 Prayagraj News ( Pic- News Track)

Prayagraj News:  ट्रांसजेंडर स्वयं अपने और समाज के लिए एक ऐसी हकीकत है जिसे न ट्रांसजेंडर समाज स्वीकार पा रहा है और न समाज । दुनिया भर में निरन्तर ट्रांसजेंडर की बढ़ती आबादी ने ट्रांस फोबिया की घटनाएं बढ़ रही हैं। ट्रांस फोबिया से मरने वाले ट्रांसजेंडर की याद में प्रयागराज में किन्नरों ने अंतर्राष्ट्रीय ट्रांस जेंडर डे ऑफ रिमेंब्रेंस मनाया।

किन्नर अखाड़ा ने मनाया TDOR डे

इंटर नेशनल ट्रान्स जेनडर डे आफ रिबरेंस है इसके परिपेक्ष्य में आज सिविल लाइन की सुभाष प्रतिमा पर किन्नर अखाड़ा,अखिल भारतीय संतरंगी सलाम संगठन,एल जी बी टी डेवलपमेंट ट्रस्ट व समर्पित ट्रस्ट के सदस्यों नें अंतर्राष्ट्रीय ट्रान्सजेनडर स्मरण दिवस मनाया। किन्नर अखाड़े की महा मंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी का कहना है कि कि ट्रान्स फोबिया से मारे गये या आकस्मिक रूप से मार दिए गए पूरे विश्व के किन्नरों/एल जी बी टी क्यू सदस्यों की याद में मनाया जाता है । इस अवसर पर आज सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के नीचे ट्रांसजेंडर समाज ने मोमबत्ती जलाकर दो मिनट का मौन रखा गया । कार्यक्रम किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी जी महाराज ,सदस्य उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड उत्तर प्रदेश सरकार के नेतृत्व में किया गया । किन्नर संजना का कहना है ट्रांसजेंडर को लेकर आज भी समाज का नजरिया बहुत नहीं बदला है। किन्नर उस अपराध की सजा पूरी जिंदगी झेलता है जिसके लिए वह खुद ज़िम्मेदार नहीं है । समाज जब तक अपना नजरिया नहीं बदलेगा ट्रांस फोबिया का शिकार ट्रांसजेंडर होते रहेंगे।

क्यों मनाते हैं ट्रांसजेंडर स्मरण दिवस

यह दिवस उन ट्रांसजेंडर लोगों को याद करने का दिन है जिनकी मौत ट्रांसजेंडर विरोधी हिंसा या पूर्वाग्रह के कारण हुई थी। हर साल 20 नवंबर को ट्रांसजेंडर समाज के लोग इसे मनाते है । इसे मनाने की शुरुआत उस समय हुई जब 1998 रीता हेस्टर ट्रांसजेंडर की 1998 में हत्या कर दी गई। रीता की याद में अधिवक्ता ग्वेन्डोलिन एन स्मिथ ने 1999 में इसे मनाने की शुरुआत की थी। जिसकी बड़ी वजह समाज में ट्रांसफोबिया माना जाता है। दरअसल ट्रांसफोबिया एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल ट्रांसजेंडर लोगों के प्रति तीव्र विरोध,नापसंदगी या पूर्वाग्रह है। इसमें ट्रांससेक्सुअल, इंटरसेक्स लोगों के प्रति नापसंदगी भी शामिल होती है।

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