Mahakumbh 2025: धर्म के साथ जैव विविधता के संरक्षण का मंच बनेगा प्रयागराज महाकुंभ

Mahakumbh 2025: इसके अलावा इसके आयोजन से प्रकृति आधारित इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। आयोजन में उत्तर प्रदेश के जैव विविधता से भरपूर वन्यजीव रिजर्व और अभयारण्यों की जानकारी साझा होगी।

Report :  Syed Raza
Update:2024-11-09 15:17 IST

Mahakumbh 2025  (photo: social media )

Prayagraj News: भारतीय संस्कृति में धर्म और प्रकृति के बीच पूरकता का संबंध है। प्राकृतिक उपादानों को धार्मिक प्रतीकों के साथ जोड़कर प्रकृति संरक्षण का जो संकल्प हमारी धार्मिक परम्पराओं और विश्वास में निहित है उसे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और समृद्ध कर रही है। सरकार की इस सोच को धरातल में उतारने के लिए महाकुंभ में बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है।

जैव विविधता और प्रकृति संरक्षण का मंच बनेगा महाकुंभ

भारतीय संस्कृति की पहचान प्रकृति संरक्षण की संस्कृति के रूप में भी की जाती है। इस संस्कृति में पेड़-पौधों, नदी-पर्वत, ग्रह-नक्षत्र, अग्नि-वायु सहित प्रकृति के विभिन्न रूपों को धार्मिक प्रतीकों और मानवीय रिश्तों से जोड़कर प्रकृति के संतुलन का जो संदेश छिपा है उसमें पवित्र नदियों के किनारे महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक समागम भी शामिल हैं। इसी संदेश को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रदेश की सरकार प्रयागराज महाकुंभ में बर्ड फेस्टिवल का आयोजन कर रही है। प्रभागीय वनाधिकारी प्रयागराज अरविंद कुमार बताते हैं कि प्रयागराज महाकुंभ में 1-2 फरवरी, 2025 को बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जाना है। इसका प्रस्ताव शासन के पास भेजा जा रहा है। इसका प्रमुख उद्देश्य प्रकृति और वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति युवाओं में जागरूकता पैदा करना है।

इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा

इसके अलावा इसके आयोजन से प्रकृति आधारित इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। आयोजन में उत्तर प्रदेश के जैव विविधता से भरपूर वन्यजीव रिजर्व और अभयारण्यों की जानकारी साझा होगी। वन विभाग यूपी पर्यटन के साथ मिलकर राज्य के जंगल, ऐतिहासिक स्थल और प्राकृतिक सुंदरता के समृद्ध भंडार में खूबसूरत सर्किट बनाने की कार्य योजना में भी मदद मिलेगी।

कुंभ की आस्था, प्रकृति संरक्षण और जलवायु परिवर्तन होगी थीम

महाकुंभ के आयोजन की वजह से प्रयागराज में इसका आयोजन सुनिश्चित किया गया है। वैसे प्रयागराज पक्षियों की प्रजाति को देखते हुए एक समृद्ध जनपद कहा जाता है जहां विभिन्न पक्षियों की 90 प्रजातियां मौजूद हैं। जिले के कई वेटलैंड इसके लिए आश्रय प्रदान करते हैं। इस बार के बर्ड फेस्टिवल की थीम 'कुंभ की आस्था, प्रकृति संरक्षण और जलवायु' रखी गई है। डीएफओ प्रयागराज के मुताबिक इस दो दिवसीय कॉन्क्लेव में बर्ड फेस्टिवल के साथ तय की गई थीम पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषय विशेषज्ञों के साथ परिचर्चा का आयोजन भी किया जायेगा। कई पैनल डिस्कशन भी होंगे जिसमें साधु संतो को भी शामिल किया जाएगा।

आसपास के क्षेत्रों के शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों को भी इसमें जगह दी जाएगी। इसमें साइट विजिट की भी योजना शामिल है। पक्षी विज्ञान, प्रकृति संरक्षण और वन्यजीव पर्यटन और फोटोग्राफी के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए इसमें फोटो प्रदर्शनी भी आयोजित होगी।

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