National Crafts Fair: अलविदा राष्ट्रीय शिल्प मेला,'...हमरी अटरिया पे आजा रे सांवरिया' पर जमकर थिरके श्रोता

National Crafts Fair at Prayagraj: सांस्कृतिक संध्या की आखिरी शाम लोकनृत्यों से होती है जिसमें उषा श्रीवास्तव तथा साथी कलाकारों ने होली नृत्य की प्रस्तुति पेश कर दर्शकों से वाहवाही पायी। छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।

Report :  Syed Raza
Update: 2023-12-12 15:46 GMT

 राष्ट्रीय शिल्प मेला (Social Media)

National Crafts Fair: राष्ट्रीय शिल्प मेले की यात्रा 12 दिनों तक चलने के बाद मंगलवार (12 दिसंबर) को समाप्त हो गया। 12 दिवसीय यात्रा अपनी अमिट यादों के साथ अलविदा कह गया। इस बीच चर्चित गजल गायक कुमार सत्यम के लाइव परफार्मेंस के साथ रंगारंग कार्यक्रमों ने दर्शकों का मन मोह लिया। शिल्प मेले में इस साल भीड़ ने नया कीर्तिमान स्थापित किया।

राष्ट्रीय शिल्प मेला संगीत प्रेमियों और शिल्पकारों के लिए बेहद खास रहा। आखिरी दिन भी मेला अपने पूरे शबाब पर रहा। राष्ट्रीय शिल्प मेले में सुंदर एवं पारंपरिक रूप से स्थापित स्टालों पर चंदेरी, सिल्क व सूती वस्त्रों तथा राजस्थान के आभूषण, कालीन, टेरीकोटा, मिट्टी के बर्तनों और कश्मीर के ड्राई फ्रूट्स जैसे उत्पादों के साथ सांस्कृतिक संध्या ने एक लघु भारत का दर्शन प्रयाग वासियों सहित दूर-दराज के लोगों का करा गया। प्रत्येक दिन सांस्कृतिक संध्या के दौरान दर्शक भी कलाकारों के साथ खुद को थिरकने से नहीं रोक पाए।

'हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह..' 

वहीं, स्टार नाइट में गजल गायक कुमार सत्यम (Ghazal singer Kumar Satyam) की प्रस्तुति के साथ ही कभी न भूलने वाली यादों के साथ शिल्प मेले का समापन हो गया। मंगलवार को उन्होंने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को संगीत से सराबोर कर दिया। लगातार बजती तालियों के बीच कुमार सत्यम का मंच पर आगमन होता है। उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत 'चल मेरे साथ ही चल, ऐ मेरी जाने ग़ज़ल' से किया। उसके बाद 'पत्थर उतर गये, पानी में छूकर जिसका नाम', 'वह है पालनहारे राम' गाकर लोगों को श्रीराम के अद्भुत चरित्र से रूबरू कराया। इसके बाद सुरों से महफिल को सजाया। जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना, हमरी अटरिया पे आजा रे सांवरिया, हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह और श्रोताओं की फरमाइश पर एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को खूब झुमाया।

लोकनृत्यों ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

सांस्कृतिक संध्या की आखिरी शाम लोकनृत्यों से होती है जिसमें उषा श्रीवास्तव तथा साथी कलाकारों ने होली नृत्य की प्रस्तुति पेश कर दर्शकों से वाहवाही पायी। इसके बाद छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने राउत नाचा व सुआ कर्मा नृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। फाग और घूमर नृत्य की प्रस्तुति कामिल एवं दल ने दी। बिहू लोकनृत्य की प्रस्तुति बापू जी कोंवर और साथी कलाकारों ने प्रस्तुत कर खूब वाहवाही पायी।

झारखंड के कलाकारों की रंगारंग प्रस्तुति  

झारखंड के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत छाउ व पुरुलिया नृत्य दर्शकों को खूब पसंद आया। केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा ने कलाकारों को पुष्प गुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। मेले के समापन पर केंद्र निदेशक ने कहा कि संगीत का कोई सीमित दायरा नहीं होता है। इसका रिश्ता आत्मा से होता है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र हर साल राष्ट्रीय शिल्प मेले का आयोजन करता रहा है, जिसके तहत देश के विभिन्न सांस्कृतियों और संगीत से लोगों को परिचित होने का मौका मिलता है।

Tags:    

Similar News