Mahakumbh 2025: परम धर्म संसद में शंकराचार्य का ऐलान, त्रिवेणी का जल स्नान योग्य नहीं, सरकार कराए जांच

Prayagraj Mahakumbh 2025: ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने तो परम धर्म संसद बुलाकर सीधे देश के प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री को इसे लेकर आगाह किया है।;

Report :  Dinesh Singh
Update:2025-01-11 08:05 IST

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Prayagraj Mahakumbh 2025: महाकुंभ नगर । प्रयागराज महाकुंभ के आयोजन के पहले ही महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए उपलब्ध काजल की निर्मलता लेकर बड़े सवाल खड़े होने लगे हैं। ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने तो परम धर्म संसद बुलाकर सीधे देश के प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री को इसे लेकर आगाह किया है।

महाकुंभ में त्रिवेणी के जल की निर्मलता पर उठे सवाल

यूपी सरकार की तरफ से महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए गंगा जल की निर्मलता और उपलब्धता पर किए गए दावे को अभी दो दिन भी नहीं गुजरे थे कि इसी सवाल पर ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सरकार को घेरा है। महाकुंभ में आयोजित परम धर्म संसद में उन्होंने कई प्रस्ताव पारित किए हैं जिसमें महाकुंभ में त्रिवेणी के जल की निर्मलता और उपलब्धता बड़ा सवाल है।

धर्मसंसद के समक्ष यह प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मेला क्षेत्र प्रवाहित त्रिवेणी संगम में दूषित जल होने की शिकायतें आ रही हैं और चूंकि मेले में संत महात्मा एवं श्रद्धालुजन शाही पर्व स्नान के अवसर पर एवं सामान्य तिथियों में भी आस्था की डुबकी लगाते हैं। ऐसी स्थिति में त्रिवेणी संगम का जल स्नान योग्य है या नहीं उसकी तत्काल जांच कराई जाकर यथायोग्य कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। यह प्रस्ताव पारित किया गया।

पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की धर्म ध्वजा हटाने पर उठे सवाल

परम धर्म संसद के सामने यह प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद जी ने वर्ष 1954 में इसी महाकुंभ मेले में एक माह का कल्पवास किया था तथा धर्मध्वज की स्थापना की थी वह वर्तमान मेले में स्थान परिवर्तित कर अन्यत्र स्थापित तत्कालीन अपमान है। यह धर्मध्वज एक राष्ट्रीय धरोवर के रूप में प्रतिष्ठापित था उस धरोहर में किसी प्रकार का परिवर्तन उचित नहीं है अतः प्रस्ताव पारित किया गया है कि धर्मध्वज की गरिमा को देखते हुए धर्मध्वज यथास्थान प्रतिष्ठापित किया जाए।

महाकुंभ की तारीख पर उठे सवाल परम धर्म संसद में तीसरा प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया जिसमें विभिन्न स्थानों पर लगे हुए विभिन्न बोर्ड एवं होर्डिंग में कुंभ मेले का वर्ष इस्वी सन 2025 उल्लेख किया गया है, उसके स्थान पर हिन्दी विक्रम संवत 2081 किया जाना चाहिए। चूंकि मेले का शुभारंभ, पर्व स्नान की तिथियां एवं अन्य सभी आयोजन हिन्दी विक्रम संवत के आधार पर ही निर्धारित होकर संचालित होते हैं अतः यह प्रस्ताव पारित किया गया है कि महाकुंभ वर्ष 2025 के स्थान पर महाकुंभ विक्रमी संवत 2081 का उल्लेख विभिन्न बोर्ड एवं होर्डिंग तथा शासकीय पत्राचार में किया जाए।

योगी और मोदी के अव्यवस्थित पड़े चित्रों पर भी सवाल

धर्म संसद के समक्ष प्रस्ताव यह प्रस्तुत हुआ कि संपूर्ण मेला क्षेत्र में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के नालियों के पास असम्मानजनक तरीके से रखे गए चित्र उन्हें हटाकर सम्मानजनक तरीके से रखा जाए। इस पर विचारोपरांत यह प्रस्ताव पारित किया गया कि देश के प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री की गरिमा के अनुकुल इन्हें तुरंत हटाया जाकर सम्मानजनक स्थान दिया जाए। इन सभी पांचों प्रस्ताव सर्वसम्मति से धर्मसंसद में पारित कर निर्देशित किया गया कि उन्हें मेला अधिकारी को भेजकर उनका पालन सुनिश्चित कराया जाए।

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