आधुनिकता के साथ आस्था को भी सहेजने की तैयारी

मोदी चाहते हैं कि हर की पौड़ी और सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर काशी विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प हो। इसके तहत उन्होंने गंगा तट से काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच कॉरीडोर बनाने का फैसला किया गया। बीस-बीस फीट के दो कॉरीडोर बनाए जा रहे हैं।

Update:2019-01-07 17:23 IST

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र बनारस को नई पहचान देने में जुटे हैं। पिछले साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान शहर के विकास पर पानी की तरह पैसा बहाया गया। मोदी के कार्यकाल में धरती, आकाश और पाताल तीनों ही क्षेत्रों में वाराणसी ने विकास को देखा। मोदी की कोशिश है कि आधुनिकता के साथ शहर की परंपरा भी कायम रहे।

मोदी जितना काशी के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में लगे हैं, उतना ही आध्यात्मिक धरोहरों को सहेजने में जुटे हैं। यही कारण है कि मोदी जब जापान के दौरे पर गए तो उन्होंने क्योटो शहर का दौरा किया और उसी के तर्ज पर बनारस के विकास को आगे बढ़ाया। बनारस के मंदिरों और घाटों के विकास के लिए लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए की परियोजनाएं चल रही हैं।

मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर

कहते हैं बनारस के कण-कण में भगवान भोले वास करते हैं। द्वादश ज्योर्तिलिंगों में एक काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के लिए हर महीने करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु बनारस पहुंचते हैं। लेकिन यहां की संकरी गलियों से होकर गुजरना हर श्रद्धालु के लिए कष्टकारी रहता था। मंदिर में सुविधाओं का टोटा था, लिहाजा एक सांसद के तौर पर मोदी ने भक्तों के इस परेशानी को समझा। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्रों के कायाकल्प के लिए योगी सरकार को आदेश दिए।

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मोदी चाहते हैं कि हर की पौड़ी और सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर काशी विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प हो। इसके तहत उन्होंने गंगा तट से काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच कॉरीडोर बनाने का फैसला किया गया। बीस-बीस फीट के दो कॉरीडोर बनाए जा रहे हैं। जबकि एक कॉरीडोर छत्ताद्वार से मंदिर तक बनाया जा रहा है। कॉरीडोर बनाने के लिए 250 से अधिक मकानों का अधिग्रहण किया गया। इस प्रोजेक्ट पर 650 करोड़ खर्च कर ललिता और मणिकर्णिका घाट से मंदिर तक एक कॉरीडोर बनाने का प्लान है। भक्तों के लिए बाबा विश्वनाथ तीर्थ हॉल, दो हजार से अधिक श्रद्धालुओं के एक साथ खड़े होने की सुविधा, कॉरिडोर में आरती, पूजा के टिकट काउंटर तथा पेयजल के अलावा प्रसाद वितरण काउंटर भी होगा।

श्रद्धालुओं को मिलेगी काफी सहूलियत

इस परियोजना के मूर्त रूप लेने के बाद मंदिर में श्रद्धालुओं के आवागमन में तो सहूलियत होगी ही, लंबी कतारें लगने से भी मुक्ति मिल जाएगी। इस कॉरिडोर में चारों वेद, 18 पुराण, उपनिषद और वेदांग, वेदांत की झलक मिलेगी। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना न्यास परिषद की अब तक की सबसे अहम परियोजना होगी। चौक से लगी सड़क से छत्ताद्वार होते हुए बाबा के गर्भगृह को जोड़ने वाले इस कॉरिडोर की लंबाई 130 मीटर होगी।

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इस कॉरीडोर में मंदिर परिसर में लगे नक्काशीदार पायों के अलावा दीवारें भी देवी-देवताओं से चित्रित होंगी। इसके अलावा कॉरिडोर के दोनों तरफ देव प्रतिमाओं के विग्रह स्थापित किए जाएंगे। खास बात यह है कि इस कॉरिडोर में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की ऋचाओं के अलावा वेदांत, वेदांग, उपनिषद और पुराणों के मंत्र भी गूंजते रहेंगे। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधाओं का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा।

पावन पथ बनाने की योजना

सिर्फ काशी विश्वनाथ मंदिर ही नहीं बनारस के अन्य मंदिरों को भी भव्य रुप देने की योजना है। श्रद्धालुओं की सहूलियत को देखते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ शहर के अन्य मंदिरों को जोड़ने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत शहर में पावन पथ की परिकल्पना की गई है. काशी का विश्वस्वरूप पुन: वापस लाये जाने के लिए श्री काशीविश्वनाथ को केंद्र मानते हुए महामृत्युंजय महादेव, कालभैरव सहित नौ दुर्गा व नौ गौरी के मंदिरों का सर्किट के रूप में विकसित करने की तैयारी है।

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पावन पथ के मार्गो को अतिक्रमणमुक्त कराकर मार्गो का सुन्दरीकरण, लाइट व्यवस्था सहित सफाई कराये जाने पर जोर दिया। सिर्फ पावन पथ ही नहीं बीजेपी सरकार ने पंचकोशी परिक्रमा मार्ग के सुंदरीकरण के लिए काफी प्रयास किया है। सावन में सीएम योगी आदित्यनाथ खुद पंचकोशी परिक्रमा करने के लिए वाराणसी पहुंचें थे। योगी सरकार ने पंचकोशी परिक्रमा के लिए 97.03 करोड़ की योजना बनाई है। इसके तहत पंचकोशी परिक्रमा मार्ग के चौड़ीकरण के साथ ही इसके प्रमुख पड़ावों को विकसित किया जा रहा है।

गंगा किनारे घाटों को दिया जा रहा है नया लुक

बनारस आने वाले सैलानी और श्रद्धालु मां गंगा के तट पर जरुर जाते हैं। गंगा के तट पर 84 घाटों की अर्धचंद्राकार ऋंखला हर किसी को लुभाती है। न सिर्फ पौराणिक रुप से बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी ये घाट बेहद महत्वपूर्ण हैं। लेकिन देखरेख के अभाव में अधिकांश घाटों की स्थिति बेहद खराब हो गई है। इस बीच बीजेपी सरकार ने इन घाटों का कायाकल्प हो रहा है।

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बनारस के इन विश्वप्रसिद्ध घाटों को बचाने के लिए नमामि गंगे योजना के तहत 10.3 करोड़ रुपए की लागत से 26 घाटों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। घाटों पर पत्थर लगाने के साथ ही आकर्षक तौर से सजाया जा रहा है। सिर्फ घाट ही नहीं शहर के प्राचीन और धार्मिक रुप से महत्वपूर्ण कुंडों बचाने के लिए बीजेपी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। हृदय योजना के तहत कुंडों के मरम्मत करने के लिए 41 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। सरकार की इस कोशिश का असर भी दिख रहा है। शहर के अधिकांश कुंड फिर से अपने पुरातन रुप में लौट आए हैं।

मारकंडेय महादेव मंदिर का कायाकल्प

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा कैथी में मारकंडेय महादेव मंदिर काफी प्रसिद्ध है। पौराणिक रुप से इस मंदिर की काफी महत्ता है। यही कारण है कि सावन के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। बनारस से लगभग 30 किमी दूरी पर गंगा तट पर बने इस मंदिर में सुविधाओं का टोटा था लेकिन बीजेपी सरकार ने श्रद्धालुओं को सहूलियत देते हुए मंदिर को भव्य रुप दिया है।

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मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए योगी सरकार ने 5 करोड़ की धनराशि दी है। इसके तहत मंदिर में श्रद्धालुओँ के लिए बैठने के साथ ही मुख्य मार्ग से मंदिर को जोड़ने वाली सड़क को बनाया गया है। इस साल से पर्यटन विभाग की ओर से मारकंडेय महोत्सव की शुरुआत की गई है। पिछले दिनों आयोजित इस महोत्सव में शिरकत करने के लिए हेमामालिनी भी पहुंचीं थीं।

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