दृष्टिहीन को आवास की आस: बिचौलियों की भेंट चढ़ी प्रधानमंत्री की ये योजना

अहरौरा नगर के वार्ड नंबर 8 निवासिनी दिव्यांग सुनीता देवी पुत्री सुरेश का है, जिसके सास - ससुर व पति भी दृष्टिहीन हैं। इन्होंने प्रधानमंत्री आवास के लिए निवेदन किया था लेकिन बेनिफिसरी सूची में 27 दिसंबर 2018 को नाम तब आया जब अधिकारियों से शिकायत की गई।

Update:2020-02-27 22:00 IST

मिर्ज़ापुर: शहरी आवास की सूची में पात्र एक दिव्यांग महिला को शायद इसलिए आवास नहीं मिल सका कि उसने किसी बिचौलियों को किसी प्रकार की सुविधा शुल्क नहीं दी या यूं कहें तो वह देने लायक भी नहीं है क्योंकि आजकल खुलेआम आवास को लेकर सैकड़ों में नहीं बल्कि हजारों में खेल खेला जा रहा है।

जिसका उदाहरण जिले के नगरों सहित प्रदेश के अन्य जिलों में भी देखने को मिल रहा है और संबंधित संस्था के कई कर्मचारियों पर कार्यवाही भी हो चुकी है। शिकायतकर्ताओं द्वारा बार-बार शिकायत के बाद भी ना जाने क्यों प्रशासन के लोग इस बात को समझने को तैयार नहीं है कि बगैर ठोस कार्रवाई के प्रधानमंत्री के इस महत्वाकांक्षी योजना 'आवास' का लाभ पात्र लोगों को तब तक नहीं मिल सकता है। जब तक कि बिचौलियों से संस्था व डूडा के कर्मचारियों के मधुर तालमेल बने हैं जिसमें दृष्टिहीन भी पीस रहे हैं।

आइये जानते है पूरा मामला

अहरौरा नगर के वार्ड नंबर 8 निवासिनी दिव्यांग सुनीता देवी पुत्री सुरेश का है, जिसके सास - ससुर व पति भी दृष्टिहीन हैं। इन्होंने प्रधानमंत्री आवास के लिए निवेदन किया था लेकिन बेनिफिसरी सूची में 27 दिसंबर 2018 को नाम तब आया जब अधिकारियों से शिकायत की गई। लेकिन फिर जियो टेगिंग के लिए लाभार्थी के पति रमेश को चक्कर लगाने पड़े।

ये भी देखें: विधान परिषद में उठा विशेषाधिकार हनन का मामला

बिचौलियें मिले और सुविधा शुल्क देने की बात की थी लेकिन दंपतियों ने किसी को फूटी कौड़ी नहीं दी और किसी की सहायता से जिला मुख्यालय स्थित डूडा कार्यालय पहुंचे और अपनी दयनीय स्थिति से विभाग के लोगों को अवगत कराया। लेकिन विभाग और संस्था के आलाधिकारियों को इन गरीब असहाय दृष्टिहीन पर दया नही आई और अलग-अलग दो बार लाभार्थियों को खाते में पैसा भेजने के लिए बनाई गई सूची में सुनीता का नाम नहीं भेजा गया।

जनसुनवाई पर किया शिकायत तो अधिकारियों ने लगाई गलत आख्या

दृष्टिहीन लाभार्थी व उनके पति ने जनता दरबार सहित मुख्यमंत्री पोर्टल पर कई बार शिकायत की लेकिन उसमें गलत आख्या लगाए गए ऐसा आरोप है। इसके बारे में डूडा के एक अधिकारी ने बताया कि उनसे दिव्यांग लाभार्थी मिले थे, उनका फाइल संस्था को डीपीआर के लिए दिया गया था जिसके बाद संस्था की जिम्मेदारी थी।

संस्था के हेड कलक्टर मंडल हेड अभिषेक गौतम से बात की गई तो वह मिलने का समय देकर भी नहीं मिले और इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाए। डूडा परियोजना के अधिकारी प्रतिभा श्रीवास्तव ने बताया कि मामला प्रोसेस में है 15-20 दिन में पैसा खाते में चला जाएगा।

ये भी देखें: इस महिला की यूरिन में मिला अल्कोहल, रिपोर्ट देख डॉक्टर रह गए दंग

Tags:    

Similar News