Chandauli News: पुलिस और अधिवक्ताओं में हुई नोकझोंक, वकीलों ने दी सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी, जानें मामला
आत्मदाह करने के लिए लकड़ियों को इकट्ठा करने के दौरान पुलिसऔर अधिवक्ताओं में नोकझोंक हुई।
Chandauli News: चंदौली को जिला बने हुए 24 वर्ष बीतने के बाद भी न्यायालय भवन नहीं होने के कारण अधिवक्ता लंबे समय से आंदोलन करते रहे हैं। पुनः फिर क्रमिक आंदोलन करते हुए अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को सामूहिक आत्मदाह करने के लिए लकड़ियों को इकट्ठा करने के दौरान पुलिस से नोकझोंक हुई। पुलिस एवं अधिवक्ताओं के गुत्थमगुत्थी के बाद भी धरना स्थल पर लकड़ी पहुँच गई। अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को आत्मदाह करने की चेतावनी दी है। वहीं जिला मुख्यालय के नगर व्यापार मंडल के व्यापारी भी धरना स्थल पर पहुंच अधिवक्ताओं की मांग का समर्थन करते हुए, बुधवार से अनिश्चितकालीन व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद करने की बात कही है।
बता दें कि चंदौली जिला बने हुए 24 वर्ष बीत गए, लेकिन अभी तक कलेक्ट्रेट के अलावा किसी और को अपना सरकारी भवन मुहैया नहीं हो पाया है। न्याय के लिए जजों को गली गली न्यायालय खोलकर मामले का निस्तारण करने के लिए घूमकर सुनवाई करनी पड़ती है। वहीं गलियों में न्यायालय को खोजने के लिए वादकारी व अधिवक्ता परेशान होते हैं। इन्हीं कठिनाइयों को दूर करने के लिए लंबे समय से अधिवक्ताओं द्वारा न्यायालय भवन की मांग होती रही है। इसके पहले आंदोलन के द्वारा न्यायालय की जमीन अधिग्रहण करने की कार्यवाही हो पाई थी, लेकिन न्यायालय नहीं बनने पर पुनः अधिवक्ताओं ने 6 दिन से क्रमिक अनशन पर बैठे हुए हैं।
अधिवक्ता प्रतिदिन आंदोलन के दौरान नए तरीके से प्रदर्शन करते हैं। अपनी मांगों के संबंध में 2 दिन पूर्व नेशनल हाईवे 2 को जाम किया गया था। वहीं सोमवार को छठवें दिन सामूहिक आत्मदाह करने के लिए लकड़ियां को मंगाकर चिता लगाने का आह्वान किया गया था। इसको देखते हुए न्यायालय परिसर पूरी तरह से पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था। नोकझोंक के बाद किसी तरह अधिवक्ताओं ने चिता लगाने के लिए लकड़ियों को धरना स्थल पर पहुंचा दिया।
अधिवक्ताओं के आंदोलन को समर्थन देने के लिए व्यापार मंडल भी पूरी तरह से व्यापारियों के साथ मौके पर पहुँचकर जब तक अधिवक्ताओं की मांग पूरा नहीं होती है तब तक बुधवार से व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद करने का आह्वान किया। इस संबंध में आंदोलन मूर्त रूप देने वाले अधिवक्ता जन्मेजय सिंह ने बताया कि प्रशासन पूरी तरह से तानाशाही रवैया अपना रहा है। हम लोगों का पूर्व नियोजित कार्यक्रम था कि अगर हमारी मांगे पूरी नहीं की जाती हैं तो धरना के छठवें दिन चिता सजाने के लिए लकड़ी लाई जाएंगी और दसवें दिन सामूहिक आत्मदाह किया जाएगा।
प्रशासन चंदौली के सभी लकड़ी बेचने वालों को लकड़ी देने से मना कर दिया था, इसके बावजूद हम लोग लकड़ी खोज कर लाए, यही नहीं नगर निगम की गाड़ी लकड़ी लेकर आई थी, उस गाड़ी का चलन भी पुलिस द्वारा कर दिया गया। पुलिस के तानाशाही से अधिवक्ता एवं व्यापारी आक्रोश में हैं। अगर हम लोगों के न्यायालय की मांग के सम्बंध में सार्थक पहल नहीं होगी तो शुक्रवार को अधिवक्ता इसी धरना स्थल पर सामूहिक आत्मदाह करेंगे और इसकी पूरी जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होगी। व्यापारियों के समर्थन के बाद अधिवक्ताओं का आंदोलन और भी उग्र हो गया है।