Dushehra Special : मुफलिसी में Ravan बनाने वाले कारीगर, नहीं मिले पुतले बनाने के आर्डर

Dushehra Special : रावण (Ravan) के पुतले बनाने वाले कारीगर मुफलिसी (Muflisi) की चपेट में आकर दाने दाने को मोहताज हो रहे हैं।

Report :  Syed Raza
Published By :  Shraddha
Update:2021-10-15 11:41 IST

 मुफलिसी में Ravan बनाने वाले कारीगर

Dushehra Special :  कोरोना काल (Corona Period) और बढ़ती महंगाई से रामलीलाओं (Ramleela) पर छाए संकट के चलते सालों से रावण (Ravan) के पुतले बनाने वाले कारीगर मुफलिसी (Muflisi) की चपेट में आकर दाने दाने को मोहताज हो रहे हैं, रावण पुतलों का आर्डर (Ravan Putlo ka Order) कम मिलने से इन कागज और बांस से बुराइयों के प्रतीक रावण का पुतला बनाने वाले इन शिल्पियों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है।

पिछले साल की तरह इस साल भी दशहरा (Dushehra) को लेकर रावण का पुतला बना रहे मूर्तिकार बेहद उदास और निराश हैं। जहां 2 साल पहले दशहरा आने से 10 दिन पहले से ही रावण के पुतले का निर्माण होना शुरू हो जाता था लेकिन इस बार रावण दहन के लिए आर्डर ना आने की वजह से मूर्ति कलाकार गमगीन हैं। देश दुनिया में फैले कोरोना वायरस का असर कम होने के बाद भले ही बाजारों में रौनक वापस लौटनी शुरू हो गई हो लेकिन इन कलाकारों का कारोबार अभी भी कोरोना महामारी की चपेट में ही है।

प्रयागराज (Prayagraj) के कीडगंज थाना क्षेत्र (Kidganj Police Station Area) की हॉली वाली गली के कारीगर पिछले साल की तरह इस बार भी काफी मायूस हैं जिसकी एकमात्र वजह है देश में फैला कोरोना वायरस। प्रयागराज की हॉली वाली गली रावण दहन के लिए बनाए जाने वाले पुतले के लिए मशहूर है। 2 साल पहले जहां इस गली में दशहरे से 10 दिन पहले से ही अनेकों रावण के पुतले बनते हुए नजर आते थे। वही इस बार मुश्किल से 3 से 5 रावण के पुतले का ऑर्डर मिला हुआ।


 रावण बनाने वालों का कारोबार ना के बराबर हुआ 

कारीगरों का कहना है कि साल भर के इस त्यौहार को लेकर के वह काफी उत्साहित थे लेकिन इस बार भी कोरोना महामारी के चलते पहले दुर्गा प्रतिमाओं के शिल्पी निराश हुए अब रावण बनाने वालों का कारोबार ना के बराबर हुआ है। जिससे रोजी रोटी पर असर पड़ रहा है। लगता है यह पुश्तैनी काम छोड़ना पड़ेगा।


प्रयागराज के हॉली वाली गली पर 2 साल पहले आसपास के जिलों का भी आर्डर मिला करता था लेकिन बीते 2 सालों से किसी दूसरे ज़िले से कोई आर्डर नही मिला है जबकि प्रयागराज से भी ऑर्डर न के बराबर मिला है। हालांकि पिछली बार की तरह इस बार भी दशहरे में रावण के पुतले को खास तरीके से प्रयागराज में बनाया जा रहा है। रावण के पुतले पर कोरोना वायरस के चित्र को दर्शाया जा रहा है।


कारीगरों के मुताबिक इस बार जो भी व्यक्ति रावण के पुतले का ऑर्डर देने के लिए आया है वह रावण के साथ साथ कोरोना वायरस के चित्र को भी बनाने का आर्डर दिया है ताकि रावण के साथ-साथ इस महामारी का भी अंत हो। कारीगर रावण के पुतले को अंतिम रूप दे रहे हैं।

रावण का पुतला बना रहे मूर्तिकार बेहद उदास और निराश हैं


 कारीगरों के मुताबिक सरकार ने जो गाइडलाइंस पिछली बार जारी की थी उसमें 30 फीट से ज्यादा लंबा रावण का पुतला नहीं बन सकता है। ऐसे में इस बार भी पुतले बनाने का कम आर्डर मिला है साथ ही साथ देवी की मूर्तियां भी इस बार नहीं बिकी हैं। कारीगरों का कहना है कि पिछले साल की ही तरह इस साल भी 80% नुकसान हुआ है जिसकी तीन वजह है पहली कोरोना वायरस का बढ़ता संक्रमण, दूसरा बढ़ती महंगाई और तीसरा लोगों के पास रोजगार ना होना।

कारीगरों का मानना है कि अगर महंगाई ऐसे ही बढ़ती गई तो वह दिन दूर नहीं जब रावण दहन का आर्डर मिलना भी खत्म हो जाएगा। क्योंकि बढ़ती महंगाई के चलते रावण पुतला बनाने का खर्चा भी बढ़ता जा रहा है जिससे लोग ऑर्डर देने से बच रहे हैं।

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