Mahant Narendra Giri Ki Maut Ya Aatmahatya : कुछ दिनों पहले शिष्य से जमीन बेचे जाने को लेकर हुआ था विवाद, परेशान थे महंत

Mahant Narendra Giri Ki Maut Ya Aatmahatya : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का संदिग्घ परिस्थितियों में शव मिलने के बाद से तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं।

Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-09-20 20:15 IST

महंत नरेंद्र गिरी का निधन (फोटो- सोशल मीडिया)

Mahant Narendra Giri Ki Maut Ya Aatmahatya : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी का पिछले साल उनके शिष्य आनन्द गिरि से बाघंबरी गद्दी को लेकर विवाद हुआ था। जिस पर महंत नरेन्द्र गिरि ने उनको अखाड़े से निष्कासित कर दिया था। उनके शिष्य ने उन पर मठ की जमीन बेचने का आरोप लगाया था। इस आरोप से महंत नरेन्द्र गिरि काफी आहत हुए थे। हालांकि महंत नरेन्द्र गिरि ने माना था कि उन्होंने जमीन बेची है पर उसका सारा ब्योरा कोर्ट में है।

महंत नरेंद्र गिरि की मौत या आत्महत्या

महंत नरेंद्र गिरि (फोटो- सोशल मीडिया)

महंत नरेंद्र गिरि का निधन (Mahant Narendra Giri ka Nidhan) हो गया है। सोमवार शाम को प्रयागराज (Mahant Narendra Giri Prayagraj) के अल्लापुर स्थित बाघंबरी गद्दी के कमरे से महंत का शव मिला है। जिसके बाद से हड़कंप मच गया है। महंत के निधन की खबर सुनते ही उनके भक्तगण मठ पहुंच गए हैं। वहीं अब उनका संदिग्घ परिस्थितियों में शव मिलने से तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं।

उल्लेखनीय है कि यह अखाड़ा लगभग एक हजार साल पुराना है। वह इस अखाड़े के अध्यक्ष भी थें। महंत नरेंद्र गिरी के प्रमुख शिष्य आनंद गिरि ने पिछले साल उन पर आरोप लगाया था कि 2012 में नरेंद्र गिरि ने 8 बीघा जमीन एक विधायक को बेचने का काम किया था। यह जमीन प्रयागराज के अल्लापुर इलाके में है।

आनंद गिरि को अखाड़ा से किया बाहर

महंत नरेंद्र गिरि के बगल में आनंद गिरि उनका शिष्य (फोटो- सोशल मीडिया)

शिष्य ने दावा किया था इस जमीन के बेचे जाने का जब खुलासा किया तो उनके गुरू ने उनको अखाड़े से निकाल दिया। आनंद गिरि श्री निरंजनी अखाड़ा से भी जुड़े थे। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के पत्र के बाद श्री निरंजनी अखाड़ा के पंच परमेश्वरों ने संत आनंद गिरि के अपने परिवार के साथ संबंध होने की जांच की।

आरोपों की पुष्टि होने पर संत आनंद गिरि को 14 मई को अखाड़ा से बाहर कर दिया था।

यहां यह भी बताना जरूरी है कि बुद्ध पूर्णिमा पर संत आनंद गिरि ने जब प्रयागराज पहुंचकर श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के पैर पकड़कर माफी मांगी थी। इस पर नरेन्द्र गिरि ने उनको माफ करने की बात कही थी। उन्हे आशीर्वाद  भी दिया था।  

तब महंत नरेन्द्र गिरि ने अपने शिष्य से कहा था वह श्री मठ बाघम्बरी गद्दी और बड़े हनुमान मंदिर में आकर पूजा कर सकते हैं। उन्होंने अपने शिष्य  को माफ कर दिया है।

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