Prayagraj News: विधानसभा प्रेयर रूम विवाद: किसी ने कहा खोला जाए, तो किसी ने कहा न बनाएं धार्मिक स्थल

कानपुर से समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी ने मांग उठाई थी कि विधानसभा में प्रेयर रूम बनाया जाए क्योंकि अक्सर ऐसा होता है कि सत्र के दौरान नमाज का समय हो जाता है जिसकी वजह से नमाज पढ़ने में दिक्कत आती है ।

Report :  Syed Raza
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2021-09-09 16:35 IST

विधानसभा प्रेयर रूम विवाद: सपा के विधायक इरफान सोलंकी: डिजाईन फोटो- सोशल मीडिया

Prayagraj News: उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रेयर रूम बनाने की मांग को लेकर के एक बार फिर मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है। संगम शहर प्रयागराज की आम जनता ने इस मामले पर अपनी मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। प्रयागराज के कोठा पारचा क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोगों से खास बातचीत की और जानने की कोशिश की कि आखिर वह इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं ।

विधानसभा में प्रेयर रूम बनाने के मुद्दे पर कुछ लोगों का कहना है कि एक प्रेयर रूम बना देना चाहिए जिसमें सभी धर्मों के लोगों को जगह दे देनी चाहिए, तो कुछ लोगों का कहना है कि विधानसभा को धार्मिक जगह ना बनाया जाए।

सपा विधायक ने प्रेयर रूम बनाने की मांग की थी

गौरतलब है कि कानपुर से समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी ने 3 दिन पहले यह मांग उठाई थी कि विधानसभा में प्रेयर रूम बनाया जाए क्योंकि अक्सर ऐसा होता है कि सत्र के दौरान नमाज का समय हो जाता है जिसकी वजह से नमाज पढ़ने में दिक्कत आती है । मांग उठाने के बाद अलग अलग राजनीतिक दलों से प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही है ।


हालांकि लोगों का यह भी मानना है कि चुनाव आते ही ऐसे मामले तूल पकड़ लेते हैं। प्रयागराज के व्यापारी बृजेश का कहना है कि मुस्लिम समुदाय में नमाज पढ़ने की समय सीमा है । समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी ने अपनी बात रखी है लेकिन विधानसभा में प्रेयर रूम खोला जाए या नही ये फैसला विधानसभा अध्यक्ष के हाथ में है कि वह क्या निर्णय लेंगे।

विधानसभा एक धार्मिक स्थल न बनाया जाय

उधर, प्रयागराज के अन्य व्यापारियों का कहना है कि ऐसे मुद्दों को विधानसभा में नहीं लाना चाहिए क्योंकि विधानसभा एक धार्मिक स्थल नहीं है अगर ऐसे ही मुद्दे समाज के जनप्रतिनिधि सामने लेकर आएंगे तो देश का माहौल भी बिगड़ सकता है और देश के विभिन्न हिस्सों में इसी तरह की अलग-अलग मांग उठने लगेगी।


हालांकि अब देखना दिलचस्प होगा की विधानसभा के अध्यक्ष इस पूरे मामले पर अपनी क्या राय रखते हैं और यह भी देखना होगा कि क्या 2022 के चुनाव में यह मुद्दा राजनीतिक दलों के लिए बनता है या नहीं।

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