UP Ke Famous Mandir: प्रयागराज में अनोखा शक्तिपीठ मंदिर जहां नहीं है कोई भी मूर्ति

Navratri Special : प्रयागराज में अलोप शंकरी देवी मंदिर संगम के नजदीक स्थित है देवी का ये मंदिर आस्था का एक अनूठा केन्द्र है।

Report :  Syed Raza
Published By :  Shraddha
Update:2021-10-10 11:24 IST

प्रयागराज में अनोखा शक्तिपीठ मंदिर जहां नहीं है कोई भी मूर्ति

Navratri Special : प्रयागराज में अनोखा शक्तिपीठ मंदिर जहां नहीं है कोई भी मूर्ति, लोग पालने (झूला )की करते हैं पूजा, 51 शक्तिपीठ में से एक है अलोप शंकरी देवी मंदिर, आम दिन हो या नवरात्र यहां लगा रहता है श्रद्धालुओं का तांता, पढ़िए खास रिपोर्ट ।

प्रयागराज में देवी माँ का एक ऐसा भव्य मन्दिर है जहाँ कोई मूर्ति नहीं है। आस्था के इस अनूठे केन्द्र में लोग मूर्ति की नहीं बल्कि पालने की पूजा करते हैं। मान्यता है कि यहाँ शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरकर अदृश्य (aloap) हो गया था, इसी वजह से इस शक्तिपीठ को अलोप शंकरी (Alop Shankari) नाम देकर यह प्रतीक के रूप में रख दिया गया है। मान्यता है कि यहां हाथों पर रक्षा सूत्र बांधकर मांगने वालों की हर कामना पूरी होती है और हाथ में धागा बंधे रहने तक अलोपी देवी उनकी रक्षा करती हैं।

धर्म की नगरी प्रयागराज में अलोप शंकरी देवी मंदिर संगम के नजदीक स्थित है देवी का ये मंदिर आस्था का एक अनूठा केन्द्र है। ऐसा शक्तिपीठ मंदिर जिसमें कोई मूर्ति नहीं है। यहाँ मूर्ति न होने के बाद भी रोज़ाना देश के कोने -कोने से आने वाले हजारों श्रद्धालुओं का जमावाडा होता है। आस्था के इस अनूठे केन्द्र में मूर्ति के बजाय एक पालना (झूला) लगा है। श्रद्धालु मूर्ति की जगह इसी पालने का दर्शन करते हैं और इसकी पूजा करते हैं इसी पालने में देवी का स्वरूप देखकर उनसे सुख -समृध्दि व वैभव का आशीर्वाद लेते हैं। मान्यता है कि यहाँ जो भी श्रद्धालु देवी के पालने के सामने हाथों में रक्षा-सूत्र बाँधता है देवी उसकी सभी मनोकमनाएं पूरी करती हैं और हाथो में रक्षा सूत्र रहने तक उसकी रक्षा भी करती हैं।



पुराणों में वर्णित कथा के मुताबिक प्रयागराज में इसी जगह पर देवी के दाहिने हाथ का पंजा कुंड में गिरकर अदृश्य (aloap) हो गया था। पंजे के अलोप होने की वजह से ही इस जगह को सिद्ध -पीठ मानकर इसे अलोप शंकरी मन्दिर का नाम दिया गया। सती के शरीर के अलोप होने की वजह से ही यहाँ कोई मूर्ति नहीं है और श्रद्धालु कुंड पर लगे पालने (झूले) का ही दर्शन -पूजन करते हैं। आस्था के इस अनूठे केन्द्र में लोग कुंड से जल लेकर उसे पालने में चढ़ाते हैं और उसकी परिक्रमा कर देवी से आशीर्वाद लेते हैं।

Tags:    

Similar News