काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर: अयोध्या के बाद काशी से भाजपा का बड़ा सियासी दांव, जाने ये लोकार्पण बनेगा कितना मददगार

kashi vishwanath corridor: विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण भाजपा ने लोकार्पण समारोह को मेगा इवेंट बनाने के लिए व्यापक तैयारियां कर रखी थीं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2021-12-13 11:29 GMT

Kashi vishwanath Dham: प्रदेश में जल्द ही होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly elections) से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आज काशी में विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का शिलान्यास पिछले साल ही कर चुके हैं। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह को भाजपा (BJP) बिग शो बनाने में कामयाब रही है और इसमें बड़ी सियासी हस्तियों के अलावा देश भर से आए बड़े साधु संतों ने हिस्सा लिया।

विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण भाजपा ने लोकार्पण समारोह (Kashi Vishwanath Corridor Inauguration) को मेगा इवेंट बनाने के लिए व्यापक तैयारियां कर रखी थीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) और उनकी टीम अपने प्रयासों में पूरी तरह कामयाब होती दिखी और इसके जरिए बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की गई। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह की कामयाबी के बाद भाजपा को सियासी फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

काशी की महिमा का जमकर बखान

लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi Statement) ने काशी से अपने रिश्तो की डोर को और मजबूती प्रदान की। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने काशी की महत्ता का जमकर बखान किया। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वनाथ धाम कॉरिडोर को बनाने में महादेव की कृपा के साथ ही काशीवासियों की मदद का भी बड़ा योगदान है।

पीएम मोदी काशी से ही लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए और अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि काशी के कण-कण में शंकर का वास है और काशीवासियों को मैं शंकर के गण के रूप में ही देखता हूं। धार्मिक नजरिए से महत्वपूर्ण होने के साथ ही काशी पूर्वांचल का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता रहा है। इसलिए माना जा रहा है कि काशी से निकला संदेश पूर्वांचल में असरकारी साबित हो सकता है।

पूर्वांचल में सपा दे रही चुनौती

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्वांचल से बड़ी कामयाबी मिली थी और अगले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी इस बढ़त को नहीं खोना चाहती। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी पूर्वांचल की आजमगढ़ संसदीय सीट से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे हैं।

अखिलेश यादव इस बार पूर्वांचल में भाजपा की कड़ी घेरेबंदी में जुटे हुए हैं और उन्होंने ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा से गठबंधन कर लिया है। ऐसे में पूर्वांचल को लेकर भाजपा के चिंताएं बढ़ी हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के अन्य दिग्गज नेताओं ने हाल के दिनों में पूर्वांचल में अपनी सक्रियता बढ़ाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों गोरखपुर में बड़ा कार्यक्रम करके एम्स और खाद कारखाने का तोहफा दिया था। अब वे दो दिवसीय दौरे पर काशी पहुंचे हैं और भाजपा पीएम मोदी के इस काशी दौरे को भुनाने की कोशिश में जुटी हुई है।

विरोधियों पर भी मोदी का निशाना

काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने इशारों में विरोधियों पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के लिए काम शुरू करने पर कहा जाता था कि यह काम कभी पूरा नहीं होगा। विरोधियों का कहना था कि मोदी जैसे बहुत लोग आए और चले गए। उन लोगों की तरह मोदी भी इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर सकेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे काशी के लोगों पर पूरा भरोसा था और काशी के लोगों की मदद और महादेव की कृपा से ही इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में कामयाबी मिली है। उन्होंने कहा कि काशी में सिर्फ एक ही सरकार है जिनके हाथों में डमरू है। यहां तो महादेव की सरकार है।

सियासी मकसद साधने की कोशिश

काशी में विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के मौके पर भाजपाई दिग्गजों के साथ ही 12 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों का भी जमावड़ा लगा है। इन मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री सुशासन पर चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री इन भाजपाई क्षत्रपों के साथ गंगा विहार करने के अलावा गंगा आरती का भी आनंद लेंगे। भाजपा इस पूरे आयोजन को बिग शो बनाकर बड़ा सियासी मकसद हासिल करने की कोशिश में जुटी हुई है। मीडिया पर भी इस कार्यक्रम को व्यापक कवरेज मिला है और इसके जरिए पार्टी घर-घर तक दस्तक देने में कामयाब हुई है।

सियासी जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले अयोध्या के साथ काशी देश भर में चर्चा का विषय बन गई है। लोग विश्वनाथ धाम को आकर्षक स्वरूप दिए जाने से काफी खुश बताए जा रहे हैं और अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा इस मुद्दे को सियासी रूप से भुनाने में कहां तक कामयाब हो पाती है।

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