Moradabad News: अस्तित्व खो रही है, शहर के बीचों बीच बहने वाली राम गंगा नदी
Moradabad News: काला गढ़ डैम से निकलने वाली राम गंगा नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है। यह नदी बरेली से आगे गंगा में समाहित हो जाती है। इसकी लगभग दस सहायक नदी भी हैं।
Moradabad News: काला गढ़ डैम से निकलने वाली राम गंगा नदी (Ram Ganga river ) अपना अस्तित्व खोती जा रही है। यह नदी बरेली से आगे गंगा में समाहित हो जाती है। इसकी लगभग दस सहायक नदी भी हैं। जो पानी की कमी और गंदगी की मार झेल रही हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान (Kartik Purnima Snan 2022) के लिए आए श्रद्धालु नदी की दुर्दशा देखकर नाराज दिखे हालाकि आस्था के चलते मुरादाबाद लालबाग रामघाट (Moradabad Lalbagh Ramghat) पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
दरअसल आपको बता दें एक तरफ जहां पूरे देश में गंगा स्नान का पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। वहीं मुरादाबाद के लाल बाग स्थित रामघाट पर दूर-दूर से पहुंचे श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के पावन पर्व पर आस्था की डुबकी लगाई। राम गंगाघाट पर मेले का आयोजन भी किया गया जहां पर सभी भक्तों और छोटे-छोटे बच्चों ने मेले लुफ्त उठाया। पर्व के अवसर पर भंडारे का आयोजन भी किया गया, जहां सभी भक्तों ने विशाल भंडारे में पहुंचकर प्रसाद भी ग्रहण किया है।
राम गंगा नदी को पाट कर अपने मूल स्थान से दूर कर दिया गया
मुरादाबाद के बीचों बीच बहने वाली राम गंगा नदी दो दशकों से अपने अस्तित्व के लिए आंसू बहा रही है। उसे पिछली सरकारों ने अतिक्रमण (Encroachment) की आग में झोंक दिया है। राम गंगा नदी के किनारे बस्तियां बसा दी गईं और राम गंगा नदी को पाट कर अपने मूल स्थान से दूर कर दिया गया।
हालांकि मुरादाबाद की विकास प्राधिकरण एमडीए ने भी इन बस्तियों को अवैध करार दे रखा है और मुरादाबाद प्रशासन ने इन्हें हटाने के कई बार प्रयास भी किए परंतु राजनीति और वोट बैंक की राजनीति के चलते इन बस्तियों को नहीं हटाया जा सका।
राम गंगा नदी, बस एक नहर की तरह रह गई है
यहां संतोषी मां मंदिर के पुजारी पंडित सुभाष उम्र न्यूजट्रैक से बात करते हुए बताया कि राम गंगा नदी यहां घाट पर बहती थी परंतु सन 2000 के बाद से जब नदी के किनारे कब्जे होने लगे तो आज राम गंगा नदी भी लगभग आधा किलोमीटर दूर एक नहर की तरह रह गई है। धर्म प्रेमी जो गंगा को मां कहते हैं इससे अत्यंत दुखी हैं। कुछ श्रद्धालुओं ने कहा कि जब बीजेपी की सरकार आई थी तो हमें उम्मीद जागी थी कि अब शायद राम गंगा का उद्धार हो सकेगा पर नतीजा सिफर ही रहा। सरकार ने भले ही नमामी गंगे पर अरबों रुपया खर्चा किया हो परंतु मुरादाबाद की ये राम गंगा नदी की तकदीर में कोई बदलाव नहीं आया है।