राम मंदिर: केंद्र सरकार की ओर से SC में अर्जी दायर करने पर लोगों ने दी ऐसी प्रतिक्रियाएं

राम मंदिर पर केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर करने पर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सैफ़ अब्बास नक़वी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। नक़वी ने कहा कि पहले मन्दिर-मस्जिद मामले का निपटारा होना चाहिए। जब तक इस मामले में कोई फैसला न आ जाये तब तक वहां पर कोई निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए।

Update: 2019-01-29 07:26 GMT

लखनऊ: राम मंदिर पर केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर करने पर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सैफ़ अब्बास नक़वी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। नक़वी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर विवादित जगह पर यथास्थिति बनाये रखने को खत्म करने की अपील की है। पहले मन्दिर-मस्जिद मामले का निपटारा होना चाहिए। जब तक इस मामले में कोई फैसला न आ जाये तब तक वहां पर कोई निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए।

उन्होंने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार भी ये बात भलीभाति जानती है कोर्ट से उसे परमिशन नहीं मिलेगी। इसलिए सरकार अब 2019 का चुनाव विकास के नाम पर नहीं बल्कि मन्दिर-मस्जिद के नाम पर लड़ना चाहती है। इसीलिए ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन जनता सब जानती है। इस मुद्दे का हल केवल संविधान के दायरे में या उच्च न्यायालय के ज़रिए ही निकल सकता है। जनता समझदार है वह अब गुमराह नहीं होने वाली है।

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मौलाना सुफियान ने कहा कि जिस ज़मीन को लेकर रिट दाखिल हुआ है। उन पर पहले से सरकार का आर्डर है कि उस पर न तो कोई निर्माण कार्य कराया जा सकता है और न ही वहां पर कोई इबादत हो सकती है। ऐसे में सरकार एक नए विवाद को जन्म दे रही है। सरकार राम मन्दिर और बाबरी मस्जिद के मामले को लेकर हल नहीं चाहती है। इसलिए जब -जब हल की बात आती है तब तूल देने की कोशिश होती है।

वहीं बीजेपी प्रवक्ता हीरो बाजपाई का भी इस मुद्दे पर बयान आया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि राम मन्दिर के निर्माण में जो जो बाधाएं है, सरकार उन को दूर करने की ओर अग्रसर है। विपक्ष आरोप लगाता था कि सरकार क्या कर रही है। अब सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है तो देश में चारों तरफ इस का स्वागत हो रहा है। लोग मानते हैं, जहां पर विवाद है, वो मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। उसे सुप्रीम कोर्ट अपने समय से सुनेगा। जनता हताश और निराश है। सरकार ने आज जो महत्वपूर्ण कदम उठाया है। देश के हिन्दू ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के हिन्दू इस कदम का स्वागत कर रहे हैं।

उधर शिया वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो अर्ज़ी दाखिल की है। जो विवादित से अलग भूमि है। उस को वापस किया जाए। हम समझते हैं कि ये बहुत अच्छी पहल है क्योंकि उस भूमि का कोई विवाद नही है। विवादित ज़मीन बहुत थोड़ी सी है। अगर ये ज़मीन छोड़ देता है, जिस पर बेवजह का स्टे है तो हम समझते हैं राम मंदिर का निर्माण फौरन शुरू हो सकता है। ये अच्छी सोच और बड़ी पहल है।

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अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष का बयान

महंत कन्हैया दास ने कहा कि श्रीराम जन्म भूमि न्यास की बहुत सी भूमि नरसिम्हा राव सरकार ने अधिग्रहण कर के1992 में सुप्रीम कोर्ट के हवाले कर दिया था। तभी से हमारी मांग थी कि हमें जो निर्विवाद भूमि है वो न्यायस को वापस कर दिया जाए ताकि वहां धार्मिक कार्यक्रम को कर सके। लेकिन ये हो नहीं सका। अब केंद्र सरकार इस कि मांग कर रही है। अयोध्या की संत समिति और सम्पूर्ण भारत के हिन्दू जनमानस इस का स्वागत कर रहा है। सरकार का कदम स्वागत योग्य है।

निर्विवाद भूमि हिंदुओं को समर्पित कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट से भी निवेदन है कि सरकार की मांग को स्वीकार कर भूमि राम जन्म न्यास को दिया जाए और राम जन्म भूमि का मुक़दमा भी 2.77 एकड़ का भी जल्द स्व जल्द निस्तारण किया जाए। क्योंकि ये राष्ट्रहित का मामला है। राष्ट्र सर्वोपरि है। राष्ट्र के निर्माण में राम जन्म भूमि का निर्माण मील का पत्थर साबित होगा।

गौरतलब है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर अयोध्या विवाद मामले में विवादित जमीन छोड़कर बाकी जमीन को लौटने और इस पर जारी यथास्थिति हटाने की मांग की है।

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