Sonbhadra News: विवेचक की लापरवाही से नहीं लिया जा सका दो पासरों का रिमांड, न्यायालय ने मांगा स्पष्टीकरण

Sonbhadra News: न्यायालय ने जहां आरोपियों के भेजे गए गिरफ्तारी रिमांड पर आपत्ति जताते हुए, उन्हें 20 हजार के स्वबंधपत्र पर रिहा करने का आदेश पारित किया है। वहीं, कहा कि क्यों न मामले में अवमानना की कार्रवाई की जाए।

Update:2024-05-04 19:57 IST

 विवेचक की लापरवाही से नहीं लिया जा सका दो पासरों का रिमांड, न्यायालय ने मांगा स्पष्टीकरण: Photo- Newstrack

Sonbhadra News: जनपद सोनभद्र में गिरफ्तारी को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से दिए गए दिशा-निर्देशों और नियत किए प्रावधानों की अनदेखी कर जल्दबाजी में दो कथित वाहन पासरों की गिरफ्तारी पुलिस के लिए भारी पड़ी है। न्यायालय ने जहां आरोपियों के भेजे गए गिरफ्तारी रिमांड पर आपत्ति जताते हुए, उन्हें 20 हजार के स्वबंधपत्र पर रिहा करने का आदेश पारित किया है। वहीं, क्यों न मामले में अवमानना की कार्रवाई की जाए, इसके लिए विवेचक से सपष्टीकरण तलब किया गया है। आदेश की एक प्रति एसपी को भी भेजे जाने के लिए कहा गया है।

बगैर परमिट परिवहन मामले में दो पासरों की हुई थी गिरफ्तारी

राबटर्सगंज कोतवाली पुलिस ने बगैर परमिट परिवहन मामले में दर्ज केस के क्रम में, वाहन पासर का काम करने वाले रामेश्वर सिंह उर्फ पप्पू निवासी बीरबल, हाल पता सिद्धी, कोतवाली राबर्टसगंज और रामनगीना चौहान निवासी खोराडीह, थाना राजगढ़, मिर्जापुर को गिरफ्तार किया। संबंधित धाराओं और एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को शनिवार को न्यायालय में पेश करते हुए, 14 दिन की रिमांड मांगी गई।

मामले पर हुई आपत्ति तो अभियोजन पक्ष नहीं दे पाया ठोस जवाब

रिमांड के लिए आरोपियों को न्यायालय में पेश करने के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता विकास शाक्य और ज्वाला प्रसाद ने गिरफ्तारी के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि, पुलिस की तरफ से गिरफ्तारी के समय अपनाई जाने वाली 41 सीआरपीसी की प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया गया है। अभियोजन पक्ष की तरफ से संबंधित सीआरपीसी के अनुपालन की चेक लिस्ट संलग्न होने का दावा किया गया।

कोर्ट ने किया मामले का परिशीलन तो मिली कई खामियां

न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की तरफ से अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश किए गए साक्ष्य और बचाव पक्ष की तरफ से जताई गई आपत्ति का परिशीलन किया तो पाया गया कि जो विवेचना पर्चा न्यायालय में पेश किया गया है उसके मुताबिक आरोपियां को महज उसके घर के आस-पास के लोगों से पूछे जाने पर मिली जानकारी के आधार पर ही मुल्जिम बना दिया गया है। इस मामले में संबंधित वाहन के चालक और स्वामी का बयान भी अंकित नहीं पाया गया। आरोपियों को न तो मौके से गिरफ्तार किया गया, न ही उनके पास से कोई सामग्री बरामद हुई।

नोटिस-उपस्थिति, दोनों की तिथि मिली एक

न्यायालय ने पाया कि 41ए की जो नोटिस तामिल कराई गई, उसमें राबटर्सगंज कोतवाली में तीन मई को उपस्थित होने के लिए कहा गया लेकिन उपस्थिति का समय अंकित नहीं मिला। साथ ही तीन मई को उपस्थिति की नोटिस जारी करने के साथ ही, उसी दिन उपस्थित दर्ज कराने के लिए कहा गया है। कोर्ट ने माना कि आरोपियों की गिरफ्तारी प्रथमदृष्ट्या विधि विरूद्ध है।

क्यों न की जाएगी अवमानना की कार्रवाई, मांगा जवाब

अधिवक्ता विकास शाक्य के मुताबिक न्यायालय ने पुलिस का रिमांड प्रार्थनापत्र निरस्त करने के साथ ही, जहां दोनों आरोपियों को 20 हजार के स्वबंधपत्र पर रिहा करने का आदेश पारित किया है। वहीं, विवेचक से इस बात का स्पष्टीकरण तलब किया गया है कि क्यों न उनके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों की अवहेलना किए जाने पर अवमानना की कार्रवाई की जाए? साथ ही, आरोपियों को पुलिस विवेचना में सहयोग करने, न्यायालय/विवेचक द्वारा अपेक्षा किए जाने पर उपस्थित रहने की हिदायत दी गई है।

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