Sonbhadra News: CBSE पैटर्न स्कूलों में पढ़़ाई के नाम पर काटी जा रही अभिभावकों की जेब, निश्चित दुकान से पाठ्य सामग्री खरीदने का दबाव, लिस्ट वायरल

Sonbhadra News: CBSE पैटर्न वाले स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर जेब काटी जा रही है। हालत यह है कि एक तरफ जहां प्रतिवर्ष कुछ किताबों में फेरबदल कर प्रत्येक अभिभावकों को नई किताबें खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है।;

Update:2025-04-01 20:55 IST

CBSE pattern schools  (Photo: Social Media)

Sonbhadra News: सीबीएसई पैटर्न वाले स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर जेब काटी जा रही है। हालत यह है कि एक तरफ जहां प्रतिवर्ष कुछ किताबों में फेरबदल कर प्रत्येक अभिभावकों को नई किताबें खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है। वहीं, एनसीईआरटी या एससीईआरटी की किताबों की जगह, प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें, पाठ्यक्रम में शामिल कर ली जा रही हैं। किस प्रकाशन की कौन सी किताब खरीदनी है, कितनी कापियां, कितने पेज की लेनी हैं, इसकी सूची जारी करते हुए, एक निश्चित दुकान से ही इसे खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है। अगर कोई अभिभावक महंगी कापियां लेने से मना कर रहा है तो कई जगह, उन्हें पाठ्यपुस्तकें भी देने से मना कर दिया है।

करोड़ों का है बाजार, कानपुर-प्रयागराज से होती है सेटिंग

बताते चलें कि महज सोनभपद्र में ही, किसी भी पब्लिक स्कूल, कान्वेंट स्कूल या हायर सेकेंड्री स्कूल से जुड़ी कापी-किताबों का बिजनेस करोड़ों में हैं। इसके जरिए होने वाली मोटी कमाई, कई दुकानदारों के साथ ही कई विद्यालयों के लिए अच्छे मुनाफे और अच्छे आकर्षण का केंद्र बनी रहती है। चर्चाओं की मानें तो सोनभद्र में संचालित हो रहे सीबीएसई पैटर्न वाले विद्यालयों में कई विद्यालय ऐसे हैं, जिनके यहां नया पाठ्यक्रम निर्धारित करने, संबंधित विद्यालय प्रबंधन की ओर से अनुमन्य की गई किताबों की बिक्री कथित ठीका लेने के कारोबार की सेटिंग प्रयागराज या फिर कानपुर से हो रही है। स्थानीय स्तर पर या तो किसी बुकसेलर को इसका माध्यम बनाया जा रहा है या फिर सीधे प्रयागराज या कानुपर से जुड़ी बुकसेलर की दुकान ज्यादा बिक्री वाली एरिया में संचालित होनी शुरू हो जा रही है। कापी-किताब की दुकानों के नियमन या पंजीयन की कोई खास व्यवस्था न होने के कारण, यह दुकान कहीं भी आसानी से खुल जाती है।

सीबीएसई की है यह गाइडलाइन और यहां हो रहा खेल

CBSE की तरफ से जारी हालिया गाइडलाइन में कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों के लिए एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) या एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) की पाठ्यपुस्तकों को, विद्यालयों के पाठयक्रम में शामिल करने के लिए कहा गया है। वहीं, कक्षा नौ से 12 तक के लिए इसे पूरी तरह से अनिवार्य कर दिया गया है। बावजूद जहां कक्षा से आठ तक के लिए यह निर्देश, आकांक्षी जनपद के रूप में चयनित सोनभद्र जैसे जिले में बेमानी बने हुए हैं। वहीं, कक्षा नौ और इससे आगे की कक्षा में एनसीआईआरटी के साथ अन्य प्रकाशन की पुस्तकें और कापी की लंबी चौड़ी लिस्ट थमाकर मुनाफे का बड़ा जुगाड़ लगाया जा रहा है। हालत यह है कि सोशल साइंस जैसे विषय की पुस्तक के छह सौ तो ड्राइंग-राइटिंग से जुड़ी पुस्तकों की कीमत दो सौ से ढाई वसूली जा रही है।

एक विद्यालय की लिस्ट हुई वायरल तो चर्चाओं ने पकड़ा जोर

प्रतिष्ठित विद्यालय के रूप में पहचान रखने वाले एक विद्यालय की तरफ से निर्धारित किए गए पाठ्यक्रम और उसके साथ कापियों की सूची तो वायरल हो ही रही है, सूची के साथ एक बुकसेलर का विजिटिंड कार्ड चस्पा सूची वायरल होने से तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है। जो वायरल सूची न्यूजट्रैक के सामने आई है, उसके मुताबिक कक्षा छह के पाठ्यक्रम में एक भी एनसीईआरटी या एससीईआरटी की पुस्तक नजर नहीं आ रही हैं। वहीं कक्षा नौ के पाठ्यक्रम में एनसीईआरटी की पुस्तकें नजर तो आ रही हैं लेकिन उसमें भी प्राइवेट प्रकाशनों की इंट्री तो दिख रही है, सूची के साथ चस्पा एक कथित बुकसेलर का विजिटिंग कार्ड भी कई सवालों को जन्म दे रहा हैं।

सीबीएसई के रिजनल आफिसर को है प्रकरण देखने का अधिकारः डीआईओएस

डीआईओएस जिला विद्यालय निरीक्षक जयराम सिंह ने फोन पर बताया कि सीबीएसई से जुड़ा प्रकरण देखने का क्षेत्राधिकारी सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी प्रयागराज को है। इसलिए वह चाहकर भी इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते। वहीं, इस मामले में जानकारी के लिए सीबीएसई के रिजनल आफिसर से उनके कार्यालय वाले नंबर पर संपर्क का प्रयास किया गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए।

Tags:    

Similar News