Sonbhadra News: एमसीएच विंग में प्रसूता की तड़पकर मौत, परिजनों का आरोप-खून चढ़ाते समय गई जान, मौत के बाद सीरियस दिखा किया रेफर, घंटों हंगामा
Sonbhadra News: घटना की जानकारी पहुंची पुलिस को भी शव कब्जे में लेने से रोक दिया। पुलिस कार्रवाई का भरोसा देकर, नाराजगी जता रहे लोगों को शांत कराने के प्रयास में जुटी हुई थी।;
Sonbhadra News: एमसीएच विंग में प्रसूता की तड़पकर मौत होने का मामला सामने आया है। परिवार वालों का आरोप है कि प्रसव के बाद बरती गई लापरवाही के चलते प्रसूता की मौत हुई। दावा किया जा रहा है कि खून चढ़ाते समय बरती गई लापरवाही से, महिला ने दम तोड़ा। हालत बिगड़ना शुरू होने पर परिजनों ने डॉक्टर से मुलाकात की कोशिश की लेकिन मिलने नहीं दिया गया। आरोप है कि जब उसकी मौत हो गई तो उसे गंभीर दिखाते हुए वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया। इससे खफा परिजनों-ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया। घटना की जानकारी पहुंची पुलिस को भी शव कब्जे में लेने से रोक दिया। पुलिस कार्रवाई का भरोसा देकर, नाराजगी जता रहे लोगों को शांत कराने के प्रयास में जुटी हुई थी। वहीं, परिजन एमसीएच विंग के संबंधित स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े हुए थे।
बताया जा रहा है कि करमा थाना क्षेत्र के बहेरा-खैराही गांव के रहने वाले कमलेश कुमार 30 वर्षीय पत्नी उषा को लेकर प्रसव के लिए शनिवार को मेडिकल कॉलेज परिसर स्थित एमसीएच विंग पहुंचे हुए थे। रात में प्रसव भी हो गया। जच्चा-बच्चा दोनों की स्थिति सामान्य थी। रविवार को प्रसूता को खून चढ़ाया जा रहा था। उसी दौरान कुछ ऐसा हुआ जिससे उसकी हालत खासी बिगड़ गई। परिवार के लोगों का आरोप है कि हालत बिगड़ने के बाद भी मौके पर मौजूद स्टाफ नर्स मोबाइल देखने में लगी रहीं, डॉक्टर से मिलने भी नहीं दिया गया। इसके चलते स्थिति काफी गंभीर हो गई। जब तक डाक्टर पहुंचती, तब तक उसकी मौत हो गई। आरोप है कि मौत की जिम्मेदारी से खुद को बचाने के लिए हालत सीरियस दिखाते हुए, वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया।
नाराजगी जता रहे लोगों-पुलिस के बीच चलती रही घंटों वार्ता:
जब यह बात परिवार के लोगों के साथ ग्रामीणों को पता चली तो वह एमसीएच विंग पहुंच गए। मौके पर डॉक्टर की मौजूदगी न देख सभी का पारा चढ़ गया। लापरवाही के चलते मौत की बात कहते हुए जमकर हंगामा किया। जानकारी पाकर पहुंची पुलिस नाराजगी जता रहे लोगों को कार्रवाई का भरोसा देकर शांत कराने की कोशिश में जुटी रही। लोढ़ी चौकी इंचार्ज संजय सिंह की भी परिजनों से देर तक वार्ता हुई लेकिन वह इसके लिए दोषी स्टाफ और संबंधित चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई के बाद ही शव कब्जे में लेने देने की बात पर अड़े रहे।
मृत व्यक्ति को जिंदा बताने की होती रही देर तक कोशिश:
प्रधानपति धीरज और मृतका के पति कमलेश का कहना था कि एक तरफ उपचार में लापरवाही बरती गई। वहीं, दूसरी तरफ मौत के बाद जिंदा बताते हुए रेफर किया गया। आरोप लगाया कि पुलिस भी प्रसूता को जिंदा बताने में लगी रही। जबकि प्रसूता की मौत दोपहर एक बजे के करीब ही हो चुकी थी। पति कमलेश का कहना था कि सुबह तक उनके पत्नी की हालत ठीक थी। शनिवार की रात ब्लड मंगाया गया था जिसे रविवार को चढ़ाया जा रहा था। कहा कि एक दूसरे मरीज के तीमारदार से हालत बिगड़ने की जानकारी पर वह पहुंचे तो देखा कि ब्लड चढ़ाते वक्त डॉक्टर नदारद थीं। स्टाफ नर्स मौजूद थीं लेकिन वह भी मोबाइल देखने में मशगूल थीं। कहा कि वह और उसके परिवार वालों ने मरीज के पास जाने की कोशिश की तो रोक दिया गया। डॉक्टर से भी नहीं मिलने दिया गया।
पति का दावा: मौत के 50 मिनट बाद किया रेफर:
पति कमलेश का दावा है कि उसके पत्नी की मौत लगभग एक बजे हो चुकी थी लेकिन अपनी लापरवाही पर पर्दा डालने के लिए एक बजकर 50 मिनट पर हालत सीरियस बताते हुए वाराणसी रेफर कर दिया। जब परिवार वाले प्रसूता के पास पहुंचा तो देखा कि न तो सांस चल रही थी ना ही नब्ज। दावा किया कि एमसीएच के ही एक स्टाफ को देखवाया गया तो उन्होंने भी पुष्टि की कि मौत हो चुकी है। इसके बाद डॉक्टर को बुलाने की कोशिश की गई लेकिन कोई भी स्टाफ मौके पर नहीं पहुंच गया।
पांच घंटे तक चलता रहा हंगामा, जिम्मेदार भी बने रहे उदासीनः
अस्पताल में पांच घंटे से अधिक समय तक हंगामे की स्थिति बनी रही। पुलिस लोगों को शांत कराने का प्रयास करती रही लेकिन शुरूआत में पुलिस की तरफ से भी प्रसूता को जिंदा बताए जाने की बात को लेकर परिजन-ग्रामीण नाराजगी का इजहार करते रहे। उनका कहना था कि जब तक मौत के लिए जिम्मेदार डॉक्टर-स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो जाती, तब तक वह शव को पीएम के लिए जाने देंगे। समाचार दिए जाने तक मौके पर गतिरोध की स्थिति बनी हुई थी।