Sonbhadra News : उलझी पड़ी है एमसीएच विंग में प्रसूता की मौत की मिस्ट्री, वीडियो कैमरे की निगरानी में पीएम
Sonbhadra News: एमसीएच विंग में ब्लड चढ़ाने के तत्काल बाद हुई प्रसूता के मौत, मौत का कारण दूर, इस मामले की जिम्मेदारी कौन लेगा? यह तस्वीर ही अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है।;
Sonbhadra News : मेडिकल कॉलेज परिसर स्थित एमसीएच विंग में ब्लड चढ़ाने के तत्काल बाद हुई प्रसूता के मौत की मिस्ट्री, अभी तक साफ नहीं हुई है। मौत का कारण दूर, इस मामले की जिम्मेदारी कौन लेगा? यह तस्वीर ही अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि एमसीएच विंग पीपीपी मॉडल से जुड़ी हुई है। इसलिए वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते। वहीं, सीएमओ की तरफ से भी, एमसीएच के चीज एक्ज्यूक्यूटिव ऑफिसर (CEO) के जरिए आने वाली रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के नोडल के नाते सीएमओ की तरफ से, पीपीपी मॉडल के सीईओ को पत्र भेजकर, बार-बार हो रही मौतों पर चिंता जताई गई है और ऐसी घटनाओें पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाने के लिए कहा गया है।
यह था मामला, जिसको लेकर होता रहा घंटों हंगामा
बताते चलें कि करमा थाना क्षेत्र के बहेरा-खैराही निवासी कमलेश कुमार, पत्नी उषा को प्रसव के लिए लेकर एमसीएच विंग आए हुए थे। शनिवार की रात प्रसव भी हो गया। रविवार की सुबह 10 बजे तक सब कुछ ठीक चलता रहा। इसके बाद खून चढ़ाए जाने के दौरान मरीज की हालत बिगड़ गई। आरोप है कि खून चढ़ाने के तत्काल बाद, प्रसूता की मौत हो गई। एक तरफ मौत, दूसरी तरफ मृत महिला को जिंदा दिखाते हुए, वाराणसी रिफर किए जाने को लेकर ग्रामीणों-परिजनों ने घंटों हंगामा किया। छह घंटे से अधिक समय तक हंगामे की स्थिति बनी रही। बीच-बीच में पुलिस से हल्की नोंकझोंक के भी हालात बनते रहे। रात आठ बजे सीएमओ डा. अश्वनी कुमार के निर्देश पर पहुंचे डिप्टी सीएमओ और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. सुरेश सिंह ने डॉक्टरों का पैनल गठित कर वीडियो कैमरे की निगरानी में पीएम कराने और टीम गठित कर प्रकरण की जांच कराने का भरोसा दिया, तब जाकर लोग शांत हुए।
पीएम के साथ ही, परिजनों ने पुलिस को सौंपी तहरीर
बताया जा रहा है कि पुलिस जहां इस मामले में पीएम रिपोर्ट मिलने के आधार पर कार्रवाई के लिए आगे बढ़ने की बात कह रही थी। वहीं, परिवार वालों की तरफ से एमसीएच विंग के संबंधित डॉक्टर और स्टाफ को मौत के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए एक तहरीर पुलिस को सौंप कर कार्रवाई की मांग की। सोमवार को पीएम के बाद शव को परिजन अंतिम संस्कार के लिए लेकर वाराणसी चले गए। बताया गया कि वहां से लौटने के बाद, पुलिस से मिलकर मामले में प्राथमिकी दर्ज करते हुए कार्रवाई किए जाने की मांग की जाएगी।
टीम गठित करने के लिए रिपोर्ट का इंतजार: सीएमओ
सीएमओ डा. अश्वनी कुमार ने फोन पर बताया कि चूंकि एमसीएच विंग का संचालन पीपीपी मॉडल पर किया जा रहा है। इसलिए वह सीधे इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते है। प्रकरण के लिए जांच टीम गठित करने के लिए, पीपीपी मॉडल के सीईओ के जरिए मिलने वाली प्राथमिक रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के नोडल होने के नाते उन्होंने सीईओ को बार-बार हो रही मौतों का जिक्र करते पत्र भेजा है और आगे किसी प्रसूता की मौत न होने, इसके लिए कड़े और प्रभावी कदम उठाने के लिए कहा है।
मेडिकल कॉलेज से एमसीएच विंग का नहीं है जुड़ाव: प्राचार्य
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सुरेश सिंह ने फोन पर बताया कि एमसीएच विंग भले ही मेडिकल कॉलेज के परिसर में स्थित है, लेकिन वह पीपीपी मॉडल पर संचालित है। इसलिए मेडिकल कालेज को उसे हैंडओवर नहीं किया गया है। इस कारण मेडिकल कालेज के प्राचार्य के रूप में प्रशासनिक स्तर पर कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते।
तो होता रहेगा इसी तरह मौत का खेल?
पीपीपी मॉडल पर संचालन क्या किसी की मौत का लाइसेंस है? जैसे सवाल लोगों के जेहन में उठने लगे हैं। पीपीपी मॉडल का हवाला देते हुए एक तरफ जहां स्वास्थ्य महकमा सीधे हस्तक्षेप से इंकार कर रहा है। वहीं, मेडिकल कॉलेज की तरफ से, एमसीएच विंग से किसी तरह की जुड़ाव के बात से ही कन्नी काट ली जा रही है। ऐसे में आखिर यहां बरती जाती लापरवाही, जुगाड़ वाले अस्पतालों से जुड़े यहां के कथित तार, कभी प्रसूता तो कभी नवजात तो कभी जच्चा-बच्चा दोनों की मौत... के लिए आखिर किसे जिम्मेदार-जवाबदेह माना जाए? यह सवाल हर किसी के जेहन को मथने लगे हैं।
हस्तक्षेप का अधिकार नहीं तो संस्थागत प्रसव का अधिकार कैसे?
साथ ही सवाल उठाए जा रहे हैं कि स्वास्थ्य महकमे-मेडिकल कालेज के लोगों को जब पीपीपी माडल में सीधे हस्तक्षेप का अधिकार ही नहीं है फिर पीपीपी मॉडल से जुड़ेग एमसीएच विंग को संस्थागत प्रसव का अधिकार दिया ही क्यूं जा रहा है? जैसे सवाल भी लोगों के जेहन में सुलगने लगे हैं। आए दिन होती मौतों, लापरवाही-मनमानी की मिलती शिकायत पर कार्रवाई हो भी जाएगी या फिर विभागीय प्रक्रिया के दांवपेंच में उलझा यह मामला पूर्व की प्रकरणों की तरह नेपथ्य में चला जाएगा? इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।