Ramcharitmanas Controversy: सच हुआ स्वामी प्रसाद मौर्य का दावा, इस रणनीति से अखिलेश पास होंगे या फेल

Ramcharitmanas Controversy: उम्मीद के विपरीत समाजवादी पार्टी में पूर्व कैबिनेट मंत्री और वर्तमान में एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य का प्रमोशन हुआ है यानी की उनका कद बढ़ा है। वे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए हैं।

Update: 2023-01-29 13:25 GMT

Ramcharitmanas Controversy Swami Prasad Maurya (Social Media)

Ramcharitmanas Controversy: हिंदू धर्मग्रंथ रामचरितचमानस पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर यूपी की राजनीति को गरमा देने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का दावा सच साबित हुआ है। विवादित टिप्पणी को लेकर बीजेपी और संत समाज के अलावा पार्टी के अंदर से भी प्रहार का सामने करने वाले मौर्य ने पिछले दिनों सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के मौन समर्थन का दावा किया था। सपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के ऐलान के बाद स्पष्ट हो गया है कि ये बात उन्होंने ऐसी ही नहीं बोली थी।

उम्मीद के विपरीत समाजवादी पार्टी में पूर्व कैबिनेट मंत्री और वर्तमान में एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य का प्रमोशन हुआ है यानी की उनका कद बढ़ा है। वे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए हैं। मौर्य अब पार्टी के उन दिग्गज नेताओं के कतार में शामिल हो गए हैं, जिनमें शिवपाल सिंह यादव और आजम खान जैसे नेता मौजूद हैं।

अलग-थलग पड़ गए थे मौर्य

रामचरितचमानस पर प्रतिबंध लगाने और उसके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य पर न केवल बीजेपी बल्कि सपा के भी कुछ नेता उनपर टूट पड़े थे। यहां तक कि शिवपाल यादव ने भी उनके बयान से पल्ला झाड़ लिया था। पूर्व कैबिनेट मंत्री मौर्य पार्टी में बिल्कुल अलग-थलग पड़ गए थे। संत – समाज और सवर्णों की नाराजगी को देखते हुए माना जा रहा था कि अखिलेश कोई कार्रवाई कर सकते हैं। लेकिन सपा सुप्रीमो ने इस पर चुप्पी साधे रखना ही बेहतर समझा।

अखिलेश के समर्थन का किया था दावा

शुक्रवार को सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस विवाद को लेकर अखिलेश यादव के समर्थन का दावा कर सूबे की सियासत में हलचल मचा दी थी। दरअसल, एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान जब उनसे सपा सुप्रीमो की चुप्पी को लेकर सवाल पूछा गया तब उन्होंने एक श्लोक पढ़ते हुए कहा कि मौनं स्वीकृति: लक्षणम् यानी इस मामले पर अखिलेश की चुप्पी का मतलब है कि वह समर्थन में हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य को नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में आजम खान और शिवपाल यादव के बराबर का ओहदा देना दिखाता है कि इस विवाद में सपा सुप्रीमो पूरी तरह उनके साथ खड़े हैं। अखिलेश का यह कदम ये भी दर्शाता है कि आने वाले समय में राज्य की राजनीति किस और जाएगी। यूपी की राजनीति में एकबार फिर मंडल बनाम कमंडल की दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल सकती है।

बीजेपी ने बोला हमला

स्वामी प्रसाद मौर्य को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने पर सत्तारूढ़ ने निशाना साधा है। बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी प्रसाद को रामचरितमानस के अपमान का पुरस्कार मिला है। सपा यूपी में जातीय संघर्ष उत्पन्न करना चाहती है। अखिलेश यादव का हिंदू विरोधी और जातिवादी चेहरा सामने आ चुका है। 

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