Lakhimpur Kheri: छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध है ये शिव मंदिर, आज भी कुएं से आती है चीखने की आवाज, जानिए क्या है रहस्य
Lakhimpur Kheri: भूतनाथ पूजन वाले दिन कुएं से चीखने की आवाज आने का भी दावा किया जाता है।;
शिव मंदिर (फोटो: सोशल मीडिया)
Lakhimpur Kheri: जब भी सावन का महीना आता है तो मन में शिवलिंग उठाये प्रकांड विद्वान रावण और भगवान गणेश की लीला संजोये छोटी काशी यानी गोला गोकर्णनाथ का मनोरम दृश्य सजीव हो उठता है। लखीमपुर की धरा भी रामायण काल के प्रकरण संजो कर धन्य हो गई।
रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था। कैलाश पर्वत पर कठोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया। जब वर मांगने का समय आया तो रावण ने भोलेनाथ को लंका चलने का वरदान मांगा। फलस्वरूप भगवान शिव ने शिवलिंग भेंट करते हुए कहा कि इसे जहां भी रख दोगे वहां यह स्थापित हो जायेगा। रावण शिवलिंग को कंधे पर रखकर लंका के लिये निकल पड़ा। लक्ष्मीपुर (कालांतर में लखीमपुर) से होते हुए गोला तक पहुंचा। जहां भगवान श्री गणेश ने लीला रचकर रावण के मनोरथ को सफल होने से रोका।
इसलिए मनाया जाता है भूतनाथ मेला
सावन महीने के अंतिम सोमवार को भूतनाथ का विशेष मेला लगता है। यह मेला भगवान गणेश को समर्पित है। जब रावण शिवलिंग को लेकर गोला पहुंचा तो उसका मनोरथ विफल करने के लिये भगवान गणेश ने चरवाहे का रूप धर लिया। रावण को लघुशंका लगी। उसने चरवाहे का रूप धरे भगवान गणेश को बुलाया और उनके कंधे पर शिवलिंग रखते हुए कहा कि मेरे लौटने तक इसे कंधे पर ही रखना यदि जमीन में रखा तो उसका शीश धड़ से अलग हो जायेगा। रावण के जाते ही गणेश जी ने शिवलिंग को धरा पर रख दिया। वापस आने पर जब रावण ने यह दृश्य देखा तो गुस्से में शिवलिंग को अंगूठे से जमीन में धंसा दिया और चरवाहे का रूप धरे श्री गणेश को पास के कुएं में डाल दिया। इस कुएं की ही पूजा भूतनाथ के रूप में होती है।
आज भी आती है चीखने की आवाज
भूतनाथ पूजन वाले दिन कुएं से चीखने की आवाज आने का भी दावा किया जाता है। लोगों ने बताया कि भूतनाथ मेले वाले दिवस रात के वक्त एक बार कुए से चीखने की आवाज आती है। लोगों की आस्था है कि यह आवाज भगवान गणेश की ही है।
सावन में सोमवार को नहीं खुलेगा मंदिर
कोरोना काल के चलते सावन के माह में यह प्रसिद्ध प्राचीन शिव मंदिर हर सोमवार को बंद रहेगा। अन्य दिनों में सुबह 5:00 बजे आरती के लिए आधा घंटा खुलेगा। दोपहर 2:00 बजे साफ सफाई के लिए खुलेगा तथा रात में 9:00 बजे श्रृंगार पूजा के लिए लगभग एक घंटा खुलेगा। यह जानकारी प्रबन्ध समिति द्वारा साझा की गई।