Lakhimpur Kheri: लाल किले पर आजादी के पर्व में अतिथि होंगे खीरी से थारू समुदाय के रामकुमार और सुदामा राना
थारू समुदाय के रामकुमार और सुदामा राना (महिला) इस स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय समारोह में बतौर विशेष अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में लाल किले पर अपने थारू समुदाय की नुमाइंदगी करने जा रहे हैं।
Lakhimpur Kheri: लखीमपुर खीरी जिले के थारू समुदाय के रामकुमार और सुदामा राना ने जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की होगी, वह अविस्मरणीय पल उनके जीवन में आने वाला है। थारू समुदाय के रामकुमार और सुदामा राना (महिला) इस स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय समारोह में बतौर विशेष अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में लाल किले पर अपने थारू समुदाय की नुमाइंदगी करने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि लाल किले के स्वतंत्रता दिवस समारोह में पूरे उत्तर प्रदेश से कुल 10 लोगों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है। खीरी जिले की तहसील व ब्लॉक पलिया के सुदूरवर्ती स्थित ग्राम पचपेड़ा से थारू जनजाति के राम कुमार राना और ग्राम बरबटा की सुदामा राना को सरकार की योजनाओं से स्वयं लाभान्वित होने, क्षेत्र के विकास से अवगत कराने हेतु स्वतंत्रता दिवस पर देश की राजधानी नई-दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग हेतु चयनित किया है।
13 अगस्त को जायेंगे दिल्ली
थारू समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले ये प्रतिभागीगण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी व अन्य विशिष्ट अतिथियों के समक्ष केंद्र सरकार व उप्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से लाभान्वित होने के फलस्वरूप अपने अनुभव साझा करेंगे और थारू जनजाति के पारम्परिक, सांस्कृतिक व आर्थिक उन्नयन से परिचित करायेंगे। 13 अगस्त को दोनों प्रतिभागी नई दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
क्या है थारू जनजाति
थारू जनजाति (Tharu Tribe) भारत और नेपाल की जनजातियों में से एक है। यह जाति भारत के उत्तरांचल और नेपाल के दक्षिण भाग में हिमालय के तराई क्षेत्र में प्रमुखत: पाई जाती है। थारू जाति के लोग सांस्कृतिक रूप से भारत से जुड़े हैं और ये भारतीय-आर्य उपसमूहों की भाषा बोलते हैं।
थारू जनजाति की आजीविका
थारू जनजाति के अधिकांश लोग अपनी आजीविका के लिये वनों पर आश्रित रहते हैं। हालांकि इस समुदाय के कुछ लोग कृषि भी करते हैं।
थारू जनजाति की संस्कृति
थारू समुदाय के लोग थारू भाषा (हिंद-आर्य उपसमूह की एक भाषा) की अलग-अलग बोलियां और हिंदी, उर्दू तथा अवधी भाषा के भिन्न रूपों/संस्करणों का प्रयोग बोलचाल के लिये करते हैं। इस समुदाय के लोग भगवान शिव को महादेव के रूप में पूजते हैं और वे अपने उपनाम के रूप में 'नारायण' शब्द का प्रयोग करते हैं, उनकी मान्यता है कि नारायण धूप, बारिश और फसल के प्रदाता हैं।