Lakhimpur Kheri Violence: जानिए कौन हैं आशीष मिश्रा, जिसकी वजह से लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा, हत्या का केस दर्ज

Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर हिंसा के बारे में बड़ा सवाल ये है कि आखिरी किसकी गलती से इतनी बड़ी घटना घटी और 8 निर्दोष लोगों की जान चली गई।

Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-10-04 11:06 GMT

Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिरी किसकी गलती से इतनी बड़ी घटना घटी और 8 निर्दोष लोगों की जान चली गई। अभी तक जो वीडियो और साक्ष्य मिले हैं, उसके मुताबिक केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने अपने दोस्तों के साथ किसानों के काफिले पर गाड़ी चढ़ाई, हालांकि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा और उनके बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra BJP) इससे इनकार कर रहे हैं कि वह उस गाड़ी (Lakhimpur Kheri Incident) में नहीं थे।

उनका कहना है कि जिस तीन गाड़ियों का जिक्र हो रहा है, उसमें उनके दोस्त थे । लेकिन किसान यह बता रहे हैं कि आशीष मिश्रा मौके पर मौजूद थे। फिलहाल किसानों और सरकार के बीच सुलह हो गई है । पूरे मामले की जांच हाईकोर्ट के रिटायर जज से कराने का सरकार ने फैसला किया है। इस मामले के बाद सबसे सुर्खियों में आशीष मिश्रा हैं, चलिए आपको बताते हैं कौन हैं आशीष और क्या काम करते हैं।

कौन हैं आशीष मिश्रा?

आशीष मिश्रा लखीमपुर से बीजेपी सांसद अजय मिश्र के छोटे बेटे हैं । उन्हें लोग मोनू के भी नाम से बुलाते हैं। वह अपने पिता के साथ राजनीति में काफी सक्रिय हैं और 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी भी कर रहे थे। लेकिन एक गलती उन्हें और उनके पिता को अब भारी पड़ गई है। लखीमपुर की घटना में आशीष मिश्र को आरोपी बनाया गया है। उनके खिलाफ मामला भी दर्ज हो गया है।


2012 में पिता के चुनाव प्रचार की संभाली जिम्मेदारी

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में जब अजय मिश्र बीजेपी के टिकट पर निघासन विधानसभा से प्रत्याशी बने तो उनके चुनाव प्रचार की कमान उनके बेटे आशीष ने ही संभाली थी। वह चुनाव जीतकर विधानसभा भी पहुंचे थे।

इसके बाद बीजेपी ने अजय मिश्र टेनी को साल 2014 में लोकसभा चुनाव का टिकट लखीमपुर से दे दिया। वह संसद पहुंच गए।.अजय मिश्र ने साल 2017 विधानसभा चुनावों में बेटे के लिए टिकट मांगा था ।लेकिन बात नहीं बनी। वह चुनाव नहीं लड़ सके थे।

पिता का बिजनेस संभालते है

आशीष मिश्रा लखीमपुर खीरी में अपने पिता का बिजनेस संभालते हैं। वह पेट्रोल पंप और राइस मिल की देखरेख भी करते हैं।जब से अजय मिश्र टेनी केंद्रीय मंत्री बने हैं आशीष मिश्र की सक्रियता अपने क्षेत्र में काफी बढ़ गई थी।

पिता-पुत्र 2022 के लिए मैदान तैयार कर रहे थे । इसीलिए उनके गांव में दंगल का आयोजन किया गया है, जिसमें शिरकत करने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य जा रहे थे।लेकिन उससे पहले यह घटना घट गई। अजय टेनी के साथ आशीष मिश्र किसानों और विपक्षी पार्टियों के नेताओं के निशाने पर आ गए हैं।


अजय मिश्र टेनी को जानिए?

अजय मिश्रा का जन्म 25 सितम्बर, 1960 को लखीमपुर खीरी के निघासन में बनबीरपुर में हुआ। उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है और व्यवसाय कृषिविद उद्योगपति है। पिता का नाम अंबिका प्रसाद मिश्रा और माता प्रेमदुलारी मिश्रा हैं। उनकी पत्नी का नाम पुष्पा मिश्रा है। उनके दो बेटे और एक पुत्री हैं।

उन्होंने अपना सियासी सफर जिला पंचायत सदस्य के तौर पर शुरू किया । टेनी पहली बार साल 2012 में बीजेपी के टिकट पर निघासन सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 2014 में लखीमपुर संसदीय सीट पर हुए चुनाव में वो लड़े और बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। उन्होंने 2,88,304 मतों से कांग्रेस पार्टी के अरविंद गिरि को हराया.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर दोबारा लखीमपुर खीरी सीट से अजय मिश्रा टेनी ने 5,84,285 वोट पाकर 2,16,769 मतों के अंतर से जीत दर्ज की।गठबंधन से सपा प्रत्याशी डॉ. पूर्वी वर्मा को मात दी। सूबे के ब्राह्मण समीकरण को साधने के लिए केंद्रीय नेतृत्व को एक अदद ब्राह्मण चेहरे की जरूरत थी, जिसके लिए अजय मिश्रा मुफीद साबित हुए। इस तरह से मोदी कैबिनेट में अजय मिश्रा को हाल ही में एंट्री मिली और उन्हें गृह राज्य मंत्री बनाया गया।

'महाराज' के नाम से जाने जाते हैं अजय मिश्रा

अजय मिश्रा को लखीमपुर इलाके में 'महाराज' के नाम से जाना जाता है।एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले अजय राजनीति में उतरने से पहले वकालत भी करते थे। वह पहलवानी भी किया करते थे। खीरी क्षेत्र में कुस्ती का दंगल कराते रहते हैं।

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