World Suicide Prevention Day 2021: भारत में क्यों बढ़ रहा है आत्महत्या का प्रतिशत: डॉ.अखिलेश शुक्ला

World Suicide Prevention Day 2021: आत्महत्या दिवस पर मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम टीम द्वारा जागरूकता कैंप का आयोजन किया...

Report :  Sharad Awasthi
Published By :  Ragini Sinha
Update: 2021-09-10 09:53 GMT

World Suicide Prevention Day 2021: जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम टीम द्वारा सशस्त्र सीमा बल मजरा फॉर्म में आत्महत्या दिवस पर जागरूकता कैंप का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व आत्महत्या को रोकना था। कार्यक्रम में उपस्थित जवानों को परिस्थितियों से निपटने की जानकारी दी गई। इसके पश्चात जिला चिकित्सालय खीरी में विश्व आत्महत्या दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन नोडल अधिकारी एनसीडी सेल और जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनिल कुमार गुप्ता द्वारा किया गया। नोडल अधिकारी डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता, मानसिक चिकित्सक डॉक्टर अखिलेश शुक्ला ने ओपीडी में आए हुए लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बताया गया। साथ ही विश्व आत्महत्या दिवस के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।

 भारत में आत्महत्या दर में 35 प्रतिशत की वृद्धि

कार्यक्रम में लोगों के उपचार हेतु आवश्यक दवाएं भी उन्हें उपलब्ध कराई गईं। कार्यक्रम में मनोचिकित्सक द्वारा बताया गया कि विश्व आत्महत्या दिवस को मनाने की जरूरत आज क्यों पड़ रही है। उन्होंने कहा कि आत्महत्या से मरने वाले सभी लोगों में से 78% पुरुष हैं। वहीं, पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं आत्महत्या का प्रयास करती हैं। 10-34 आयु वर्ग के लोग ज्यादातर आत्महत्या करने का प्रयास करते हैं। 1999 के बाद से भारत में कुल आत्महत्या दर में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आत्महत्या से मरने वाले 46 प्रतिशत लोगों में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का निदान किया सकता है, जबकि आत्महत्या से मरने वाले लगभग आधे लोगों में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति खराब होती है। अनुसंधान से पता चलता है कि 90% अनुभवी लक्षण हैं। सभी वयस्कों का 4.8%, 18-25 आयु वर्ग के 11.8 प्रतिशत, युवा वयस्क हाई स्कूल के छात्रों का 18.8 प्रतिशत और 46.8 प्रतिशत समलैंगिक हाई स्कूल के छात्र आत्महत्या की उच्चतम दरों में शामिल है। 

कैदियों के लिए आत्महत्या मौत का प्रमुख कारण

भारतीय समलैंगिक युवाओं में अन्य युवाओं की तुलना में आत्महत्या का प्रयास करने की संभावना 4 गुना अधिक होती है। ट्रांसजेंडर वयस्कों में सामान्य आबादी की तुलना में आत्महत्या का प्रयास करने की संभावना लगभग 12 गुना अधिक होती है। अगर जेलों में बंद लोगों की बात की जाए, तो स्थानीय जेलों में बंद लोगों के लिए आत्महत्या मौत का प्रमुख कारण है।

कार्यक्रम में एपिडिमियोलॉजिस्ट डॉ. राकेश गुप्ता, सैक्रेटिक सोशल वर्कर अतुल कुमार पांडेय, सैक्रेरिक नर्स विवेक मित्तल, एफएलसी विजय वर्मा, काउंसलर देवनंदन श्रीवास्तव, सचिन मिश्रा आदि उपस्थित थे।

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