Pilibhit News: किसानों ने गन्ने की खेती छोड़ी, नींबू और हल्दी की खेती को अपनाया, ये है वजह

जनपद पीलीभीत में टाइगर रिजर्व क्षेत्र से सटे ग्रामीण इलाकों में किसानों ने गन्ने की खेती छोड़ नींबू और हल्दी की खेती करना शुरू कर दिया है।

Report :  Pranjal Gupata
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2021-07-22 06:42 IST

पीलीभीत: किसानों ने गन्ने की खेती छोड़ी, नींबू और हल्दी की खेती को अपनाया

Pilibhit News: यूपी के तराई के जनपद पीलीभीत में टाइगर रिजर्व क्षेत्र से सटे ग्रामीण इलाकों में जंगली जानवरों के खौफ से किसानों ने गन्ने की खेती बंद कर दी। कई सीजन खाली बैठने के बाद अब किसानों ने नींबू और हल्दी की खेती करना शुरू कर दी है। जिससे अब किसानों को 4 गुना मुनाफा मिल रहा है। जंगल से सटे खेतों में बाघ सहित जंगली जानवरों का खतरा भी कम हो गया है।

इस बात की जानकारी होने पर डीएम पुलकित खरे ने जंगल से सटे ग्रामीण इलाकों का जब दौरा किया तो किसानों की नींबू और हल्दी की खेती देखकर किसानों की सराहना करते हुए उनके सुझाव को जंगल से सटे ग्रामीण इलाकों में गोष्ठी के तौर पर पेश करते नजर आए।

जंगली जानवरों के खौफ से किसानों ने गन्ने की खेती छोड़ी

तस्वीरें यूपी के पीलीभीत टाइगर रिजर्व से सटे कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव पुरैना महाराजपुर की हैं, यहां किसानों ने बाघ एवं अन्य जंगली जानवरों के खौफ से गन्ने की खेती करना बंद कर दी है। बीते कई सीजन खाली बैठने के बाद अब किसानों ने हल्दी और नींबू की खेती करना शुरू कर दिया है। इससे न केवल जंगल के किनारे रह रहे किसानों को जंगली जानवरों से निजात मिली है बल्कि किसानों की आय भी दुगुनी हो गई है।

 पीलीभीत: नींबू की खेती


 टाइगर रिजर्व क्षेत्र के कारण बाघ बनते थे मुसीबत

वहीं, जंगल से सटे इलाकों में डीएम ने दौरा किया और बाद में खेती देखने पहुंच गए। जिसको देख डीएम ने किसानों की सराहना कर उनके सुझाव को जंगल से सटे करीब 2 दर्जन से अधिक गांव में गोष्ठी के माध्यम से पहुंचाने का वादा भी किया। ग्रामीणों का साफ तौर से कहना है कि जंगल किनारे टाइगर रिजर्व क्षेत्र से सटे इलाको में गन्ने की खेती एक मुसीबत बनी हुई थी। जिसके कारण लोगों ने बाघ की दहशत की वजह से गन्ने की खेती करना छोड़ दी।

पीलीभीत: हल्दी की खेती करता किसान 

अब नींबू और हल्दी जैसी औषधियों वाले पौधों की खेती

पिछले कई सीजन के बाद अब नींबू और हल्दी जैसी औषधियों वाले पौधों को लगाना शुरू कर दिया, इससे उन्हें दो गुनी आय के साथ साथ घास खाने वाले वन्य जीवों के आने का खतरा नही रहता, जिनके पीछा करते हुए अक्सर बाघ आकर लोगो को निवाला बना देता था। क्योंकि गन्ने के खेतों में बड़ी आसानी से बाघ अपना डेरा जमा लेता था और छिप जाता था। बाद में ग्रामीणों के साथ साथ वन्य जीवों को भी अपना निवाला बना लेता था।

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