Ramcharitmanas: मोहन भागवत के पक्ष में उतरे स्वामी प्रसाद, बोले- भागवत ने ढोंगियों की कलई खोल दी, अब तो मानस से आपत्तिजनक टिप्पणी हटाएं

Ramcharitmanas: आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भगवान के लिए हर कोई समान है और उनके लिए कोई जाति या संप्रदाय नहीं है। ये बयान आते ही स्वामी प्रसाद ने अपनी मांग को एक कदम और आगे बढ़ाया है।

Written By :  Dhanish Srivastava
Update: 2023-02-06 06:35 GMT

स्वामी प्रसाद मौर्य व आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Pic: Social Media)

Swami Prasad Maurya on Bhagwat: रामचरितमानस पर चल रही राजनीति के बीच मोहन भागवत के बयान ने मुद्दे को और अधिक गर्मा दिया है। लगातार इस पर बोल रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने अब मोहन भागवत की बात को आगे रखते हुए रामचरितमानस पर फिर टिप्पणी की है।

अपने ट्वीट में स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा है 'जाति व्यवस्था पंडितों, ब्राह्मणों ने बनाई है, यह कहकर संघ प्रमुख श्री भागवत ने धर्म की आड़ में महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों को गाली देने वाले तथाकथित धर्म के ठेकेदारों व ढोंगियों की कलई खोल दी, कम से कम अब तो रामचरितमानस से आपत्तिजनक टिप्पणी हटाने के लिये आगे आएं।'

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स्वामी प्रसाद मौर्य इतने पर ही नहीं रूके, इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया। जिसमें कहा- यदि यह बयान मजबूरी का नहीं है तो साहस दिखाते हुए केंद्र सरकार को कहकर, रामचरितमानस से जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर नीच, अधर्म कहने तथा महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों को प्रताड़ित, अपमानित करने वाली टिप्पयों को हटवायें, मात्र बयान देकर लीपा पोती करने से बात बनने वाली नही है।'

यानी स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके समर्थकों को भागवत के बयान से अपने स्टैंड पर कायम रहने की नई ताकत मिल गई है। इससे पहले अखिलेश यादव व भाजपा के कुछ नेता और बिहार के एक मंत्री भी रामचरितमानस के मुद्दे से जुड़े बयान दे चुके हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि रामचरितमानस पर पॉलिटिक्स लोकसभा चुनाव तक गरमाती रहेगी।

भागवत के बयान पर हिंदू महासभा बौखलाई कहा- ब्राह्मणों को देश निकाला दे दीजिए

हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने एक बयान जारी कर कहा कि पहले आरएसएस कहती है कि मुसलमानों का दिल जीतेंगे और अब ब्राह्मणों पर टिप्पणी बर्दाश्त करने लायक नहीं है। उन्होंने संघ प्रमुख को नसीहत देते हुए कहा कि वो इतने बड़े संगठन के शीर्ष पद पर हैं, उन्हें ऐसे बयानों से बचना चाहिए, जो उन्हें विवादों की श्रेणी में लाकर खड़ा करें। पुरातन काल से ही हमारी सामाजिक व्यवस्था वर्ण व्यवस्था से चलती है न कि जाति व्यवस्था से। किसी भी गलती के लिए व्यक्ति दोषी हो सकता है, पूरा समाज या बिरादरी नहीं। संघ प्रमुख अपने बयान पर पुनर्विचार करें, या उन्हें लगता है कि ब्राह्मण समाज ने इतना घोर पाप किया है तो उन्हें दे निकाला दे दीजिए।   

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