Russia Ukraine War: सृष्टि अली के जज़्बे को सलाम! Ukraine से सही सलामत पहुंची लखनऊ, MBBS छात्रा ने कहा- '2017 से हमले के बारे में सुन रहे थे'
Russia Ukraine War: रूस यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसी लखनऊ की एमबीबीएस छात्रा सृष्टि अली भारत वापस आ गई हैं। न्यूज़ट्रैक से खास बातचीत।
लखनऊ: यूक्रेन (Ukraine) में एमबीबीएस का कोर्स कर रही, राजधानी के कैसरबाग इलाके की रहने वाली सृष्टि अली गुरुवार को सुरक्षित अपने घर पहुंच गई। साल 2017 से सृष्टि यूक्रेन में हैं और वह 27 फ़रवरी को वहाँ से भारत के लिये निकली थी। जिसके बाद, माल्दोवा होते हुए रोमानिया पहुंची। उसके बाद, रोमानिया से दिल्ली होते हुए लखनऊ पहुंच गई। बता दें कि सृष्टि एमबीबीएस के पांचवें वर्ष की छात्रा हैं। जो अकेले यूक्रेन के ओडेसा स्थित अपने कॉलेज से निकली थी। 'न्यूज़ट्रैक' संग बातचीत में सृष्टि अली ने यूक्रेन से लेकर लखनऊ तक के अपने पूरे सफ़र की आपबीती बताई।
'23 फरवरी की रात से ख़राब हुए हालात'
सृष्टि ने यूक्रेन और रूस के बीच शुरू हुए युद्ध (Russia Ukraine War) से आम आदमी की मनोदशा के बारे में बताते हुए कहा कि ''वहां 23 फ़रवरी की रात से हालात ख़राब होने शुरू हो गए थे। शुरुआत में तो सभी लोग दहशत में आ गए थे। लेकिन, वहां पर खाने-पीने और शेल्टर की वजह से कोई ख़ास दिक्कत नहीं उठानी पड़ी।"
27 फ़रवरी को निकली यूक्रेन से
सृष्टि अली ने बताया कि वह 27 फरवरी की सुबह यूक्रेन के ओडेसा शहर से बस से निकली। इसके बाद, माल्दोवा के पलांका बॉर्डर पहुंच गई। फ़िर, चिसनो शहर से रोमानिया देश के बुचारेस्ट पहुंच गई। सृष्टि ने बताया कि यहां तक पहुंचने में उनका 125-150 डॉलर खर्च हुआ। जबकि, बुचारेस्ट से दिल्ली गुरुवार को सुबह 6 बजे तक पहुंच गई थी। सृष्टि को दिल्ली से इनोवा से शाम 6 बजे तक लखनऊ के कैसरबाग स्थित घर तक सरकारी खर्च पर पहुंचाया गया।
ओडेसा मेडिकल नेशनल यूनिवर्सिटी, ओडेसा (यूक्रेन)- पलांका बॉर्डर, चिसनो (माल्दोवा)- बुचारेस्ट (रोमानिया)- दिल्ली- लखनऊ
रोमानिया तक पहुंचने में ख़र्च हुए 10,500 रुपये
ओडेसा मेडिकल नेशनल यूनिवर्सिटी में पढ़ रही सृष्टि अली ने बताया कि "मैंने यह निर्णय कर लिया था कि मुझे हर हाल में इस वॉर जोन से निकलना है। जिसके बाद, लगभग 100-150 डॉलर ख़र्च कर मैं बुचारेस्ट तक पहुंच सकी। हम जिस बस से माल्दोवा तक पहुंचे, उसमें भारतीय तिरंगा लगा हुआ था। इससे रास्ते में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। और मैं आसानी से घर पहुँच गई।"
माल्दोवा के लोगों ने की काफ़ी मदद
सृष्टि अली ने अपने सफर का हाल बयान करते हुए बताया कि "जब मैं माल्दोवा पहुंची। तब वहां के स्थानीय लोगों और एनजीओ ने मेरी और बाकी लोगों की बहुत मदद की। उन्होंने हमें कम्बल दिये। खाना-पानी दिया। हमारा हाल-चाल जाना। हर तरह की सहायता का भरोसा जताया।" सृष्टि ने कहा कि इस पूरे सफ़र में मुझे भारत आने से पहले सबसे ज़्यादा सुकूँ अग़र कहीं मिला, तो मुझे माल्दोवा में महसूस हुआ।
'हमले के बारे में 2017 से सुन रही थी'
लखनऊ के कैसरबाग इलाके में रहने वाली सृष्टि अली साल 2017 में यूक्रेन पढ़ने गई थी। बता दें कि यूक्रेन में एमबीबीएस का कोर्स छः वर्ष का होता है। सृष्टि का कहना है कि वह जबसे यूक्रेन गई हैं, तब ही से यह सुन रही थी कि रशिया हमला करने वाला है। सृष्टि ने बताया कि "हर साल मुझे यह बात सुनने को मिलती रही कि इस साल रशिया यूक्रेन पर हमला करने वाला है। ऐसा हो जाएगा। वैसा हो जाएगा। लेकिन, यह अब हुआ।"
पढ़ाई पर ख़र्च हुए अब तक लगभग 50 लाख रुपये
सृष्टि अली के माता और पिता दोनों सरकारी कर्मचारी हैं। पिता ज़ाहिद अली नगर विकास राज्यमंत्री के कार्यालय में और माता अंजू ख़ान सीएचसी अस्पताल में कार्यरत हैं। माता-पिता दोनों का कहना है कि उन्होंने पिछले 5 वर्षों में फ़ीस के रूप में 35 लाख रुपये दिए हैं। वहीं, बेटी के फ्लैट लेकर रहने की वजह से खाने-पीने व अन्य ख़र्च मिलाकर 15 लाख रुपये और ख़र्च हुए। इसके लिये, दोनों ने अपने जीपीएफ तक का पैसा निकाल लिया है।
'ऑनलाइन क्लास चल रही हैं'
सृष्टि ने बताया कि अभी भी उनकी ऑनलाइन क्लास चल रही है। जैसे ही हालात सामान्य होंगे, वह फ़िर से जाकर अपनी पढ़ाई पूरी करेंगी। एमबीबीएस के पांचवे वर्ष के दूसरे सेमेस्टर की छात्रा सृष्टि अली ने बताया कि मेरी ऑनलाइन क्लासेस जारी हैं। जैसे ही सिचुएशन अंडर कंट्रोल (हालात काबू में) होगा, हम दोबारा वहां जाकर पढ़ाई करेंगे। और अब की बार उम्मीद रहेगी, कि कोर्स पूरा करके ही वापस लौटें।