Ramcharitmanas vivad: अचानक! सपा कार्यालय से क्यों हटा लिये गये ये पोस्टर?
Ramcharitmanas vivad: सपा प्रदेश कार्यालय के बाहर रामचरितमानस पर स्वामी के बयान के समर्थन में कई पोस्टर लगे थे। लगे पोस्टर्स और बैनर पर रामचरितमानस और शूद्र को लेकर टिप्पणी की गई थी।
Ramcharitmanas vivad: रामचरितमानस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी किनारा करती नजर आ रही है। रविवार को मामला उस समय चर्चा में आ गया जब समाजवादी पार्टी कार्यालय के बाहर "गर्व से कहो हम शूद्र हैं" लिखे पोस्टर हटा दिए गए। इन पोस्टर्स और बैनर पर रामचरितमानस और शूद्र को लेकर टिप्पणी की गई थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश के बाद कार्यालय के बाहर से पोस्टर हटाये गये। विधान सभा सत्र के बजट से एक दिन पहले सपा कार्यालय में लगे पोस्टरों ने सियासत को और गरमा दिया। हो सकता है इनकी तपिश विधानसभा सत्र के दौरान भी देखने को मिले।
बीते दिनों समाजवादी पार्टी ने सभी पदाधिकारियों और प्रवक्ताओं को धार्मिक मुद्दों पर बोलने से बचने के लिए सख्त निर्देश दिये थे। इस संबंध में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने सभी पदाधिकारियों को पत्र भेजकर कहा था कि समाजवादी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं, पार्टी नेताओं, पदाधिकारियों तथा टी.वी. पैनलिस्ट को धार्मिक मुद्दों पर न बोलें। उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी डा. लोहिया के आदर्शों से प्रेरणा लेकर लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद में आस्था रखती है। राजेन्द्र चौधरी ने खासकर पैनलिस्टों से कहा है कि वे अपने बयानां, टी.वी. चैनलों की बहस में इसका विशेष ध्यान रखें।
इस मुद्दे से किनारा कर रही सपा
समाजवादी पार्टी द्वारा स्वामी प्रसाद मौर्या को राष्ट्रीय महासचिव बनाने के बाद यह मामला और गरमा गया था। माना जा रहा था कि अखिलेश यादव स्वामी के इस बयान से नाखुश हैं। बीते दिनों अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्या को पार्टी कार्यालय पर मिलने के लिए बुलाया था। माना जा रहा था कि अखिलेश यादव स्वामी पर काफी नाराज हैं। लेकिन इसके बाद उन्हे पार्टी में अहम पद देने स्पष्ट हो गया कि अखिलेश यादव का स्वामी को मौन समर्थन है।
शिवपाल ने शुरू में ही कर लिया था किनारा
शिवपाल यादव रामचरितमानस विवाद से शुरू में ही किनारा कर लिए थे। उन्होंने कहा था कि हम राम और कृष्ण को मानने वाले लोग हैं।
सपा उठाती रहेगी जातीय जनगणना की मांग
राजेंद्र चौधरी ने कहा कि समाजवादी पार्टी लोहिया की सप्तक्रान्ति और लोकनायक जयप्रकाश की सम्पूर्ण क्रान्ति तथा सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है। जातीय जनगणना की मांग भी हम निरंतर करते रहे हैं।