PPS Shrishchandra: कौन हैं ASP श्रीशचंद्र, जिसने नेजा मेला को अनुमति देने से किया इनकार
PPS Shrishchandra: यूपी के फतेहपुर जनपद के रहने वाले श्रीषचंद्र 2004 बैच के यूपी पीपीएस अफसर हैं। श्रीशचंद्र का जन्म 14 जुलाई 1977 को हुआ था। उन्होंने हिंदी से एमफिल और पीएचडी की है।;
ASP Shrishchandra
PPS Shrishchandra: संभल जनपद में लगातार चर्चा में बना हुआ है। कभी जामा मस्जिद के सर्वे और फिर रंगाई-पुताई को लेकर। तो कभी डीएसपी अनुज चौधरी के बयान को लेकर। इस सब के बाद फिर संभल में एक और नया विवाद खड़ा हो गया है। अब जनपद के एएसपी श्रीशचंद्र ने बयान सुर्खियों में है। जिसमें उन्होंने जिले में हर साल लगने वाले नेजा मेला को अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि किसी भी आक्रमणकारी के सम्मान में इस तरह के मेले का आयोजन ठीक नहीं है। संभल में हर साल होली के बाद सैयद सालाद मसूद गाजी के नाम से नेजा मेले का आयोजन किया जाता है। सैयद सालाद मसूद गाजी महमूद गजनवी का सेनापति था। भारत में हुए कई आक्रमण में वह भी शामिल था। इन्हीं तथ्यों का हवाला देते हुए एएसपी श्रीषचंद्र ने नेजा मेला पर रोक लगा दी है।
कौन हैं एएसपी श्रीशचंद्र
यूपी के फतेहपुर जनपद के रहने वाले श्रीशचंद्र 2004 बैच के यूपी पीपीएस अफसर हैं। श्रीशचंद्र का जन्म 14 जुलाई 1977 को हुआ था। उन्होंने हिंदी से एमफिल और पीएचडी की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी और यूपीपीएससी की परीक्षा पास कर पीपीएस अफसर बन गये।
साल 2022 में संभल में तैनाती से पहले श्रीशचंद्र महानिदेशक ओपी सिंह के पीआरओ पद की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। वह प्रयागराज में एएसपी के पद का दायित्व भी निभा चुके हैं। 2004 से पुलिस सेवा में आने के बाद अब तक वह कई जिलों में मिली जिम्मेदारियों को बखूबी निभा चुके हैं। 23 अगस्त 2022 में उन्हें संभल में एएसपी पद पर तैनाती दी गयी थी।
नेजा मेला पर क्या बोले एएसपी श्रीचंद्र
कोतवाली में हुई नेजा कमेटी की बैठक में एएसपी श्रीशचंद्र ने कहा कि मसूद गाजी ने भारत पर आक्रमण कर यहां का खजाना लूटा। देश को कंगाल करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि अगर समाज में कोई भी कुरीति चली आ रही है तो उसे बदलना बेहद जरूरी है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि सोमनाथ मंदिर को लूटने वाले के नाम पर मेला लगाने के बारे में कमेटी सोच भी कैसे सकती है। बेकसूर लोगों का खून बहाने वाले आक्रांताओं के नाम पर मेले के आयोजन को अनुमति नहीं दी जा सकती है।