TV TODAY फर्जी स्टिंग केस: SC ने लगाई विधानसभा की कार्यवाही पर रोक

Update:2016-03-04 08:33 IST

लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी सरकार को बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने फर्जी स्टिंग ऑपरेशन मामले में टीवी टुडे के पत्रकारों को विधानसभा में पेश होने के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

टीवी टुडे नेटवर्क (टीवीटीएन) के पत्रकारों को शुक्रवार को 12 बजकर 30 मिनट पर विधानसभा में पेश होना था। इससे पहले उन्हें 26 फरवरी को सदन में पेश होने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इन लोगों की तरफ से सदन में पेश होने के लिए कम समय दिए जाने का हवाला दिया गया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे ने आरोपियों को चार मार्च को सदन में पेश होने का आदेश दिया था।

विधानसभा अध्यक्ष ने दी जानकारी

प्रश्नकाल के बाद विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे ने सदन को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी विधानसभा की इस कार्यवाही पर चैनल के आरोपी पदाधिकारियों को स्टे दे दिया है और इस पर चल रही सदन की कार्यवाही पर चार माह तक के लिए रोक लगा दी है।

बुलाई गई सर्वदलीय बैठक, तय होगी आगे की कार्रवाई

माता प्रसाद पांडे ने कहा कि इस संबंध में सर्वदलीय बैठक होगी और आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।

यह सदन और पीठ की अवमानना: मौर्या

-नेता विरोधी दल स्वामी प्रसाद मौर्या का कहना था कि इस बारे में प्रतिपक्षी गणों का अभिमत अब तक प्राप्त नहीं हुआ है। सदन चल रहा है ऐसी हालत में यह सदन और पीठ की अवमानना है। -मौर्या ने कहा कि विधानसभा की कार्यवाही पर रोक लगाना अव्यवहारिक और असंवैधानिक होने के साथ यह पीठ की अवमानना भी है।

-मौर्या ने कहा कि निर्णय में पीठ की अनदेखी की गई है। जब दंड का प्रावधान ही नहीं किया गया ऐसे में सदन की कार्यवाही पर रोक लगाने का अधिकार संविधान में सुप्रीम कोर्ट को नहीं दिया गया है।-संवैधानिक संस्थाओं के अस्तित्व पर ऐसे निर्णय सवालिया निशान खड़े करते हैं। इस निर्णय को कदाचित उचित नहीं ठहराया जा सकता।

-सुप्रीम कोर्ट से इस आशय का पत्राचार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को अपनी गरिमा और मर्यादा का ध्यान रखने के साथ इस सदन की मर्यादा का भी ख्याल रखना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय औचित्यपूर्ण नहीं: माथुर

-कांग्रेस के विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय औचित्यपूर्ण नहीं है। लोकदल के दलबीर सिंह ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा की इस कार्यवाही को छिपा लिया हो। इसलिए इस पर विधिक राय लेने के बाद आगे कदम उठाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का स्वायत्ता में दखल देना बड़ी बात: आजम

संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने कहा कि जो चीजें सामने आ रही हैं, उसे पूरा देख देख रहा है। अपने विभाग का जिक्र करते हुए खां ने कहा कि जब हम किसी अधिकारी को निलम्बित करते हैं तो कोर्ट के जरिए उसे रोका जाता है यहां तक कि यह आदेश भी कोर्ट से आ जाता है कि उसे कहां नियुक्त किया जाए।-न्यायपालिका की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि वह हमसे ज्यादा संजीदा और पढे लिखे लोग हैं।

टीआरपी का खेल

-जेएनयू मामले पर आजम ने कहा कि आखिर देश कहां जा रहा है। पूरा सिस्टम बिल्कुल चरमराने के कगार पर खड़ा है।

-टीआरपी, कारोबार और धंधे के लिए इस हद तक चले जाना कहां तक उचित है। सुप्रीम कोर्ट का स्वायत्ता में दखल देना बड़ी बात है।

-इस बीच उन्होंने यह जुमला भी उछाला कि बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जाएगी।

-आजम ने कहा कि मैंने अपने खिलाफ जांच कराई, अगर एक धब्बा भी निकल आता तो आज मुझे इस्तीफा देना पड़ता, मेरा परिवार खत्म हो जाता। जेएनयू घटना के संदर्भ में मीडिया का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक घटना से लोकतंत्र और न्यायतंत्र की साख दांव पर लगी है। जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो बहुत देर हो जाएगी।

कोर्ट को इस भावना से कराएंगे अवगत: माता प्रसाद

विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे ने अंत में कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट विधानसभा की प्रोसिडिंग को रोक सकता है या नहीं। यह देखा जाएगा और फिर न्यायालय को भी इस भावना से अवगत कराने की कोशिश करेंगे।

इन्हें पेश होना था सदन में

4 मार्च को सदन में चैनल के मैनेजिंग एडिटर सुप्रिया प्रसाद, आउअपुट हेड मनीष कुमार,एसआईटी हेड दीपक शर्मा, हेडलाइंस टुडे के मैनेजिंग एडिटर राहुल कंवर, एडिटर और एंकर पुण्य प्रसून बाजपेई, रिपोर्टर हरीश शर्मा, एंकर गौरव सावंत और पदम्बा जोशी पेश होंगे।

रिपोर्ट में ये लगी हैं धाराएं, इनका है ये मतलब

IPC 295ए- ऐसे काम जिससे किसी वर्ग या धर्म का अपमान हुआ हो या उनकी भावनाएं आहत हुई हों।

IPC 463- फर्ज़ी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉड्‌र्स का इस्तेमाल

IPC 464- फर्जी दस्तावेज तैयार करना

IPC 465- फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले को 2 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों

IPC 469- किसी की छवि को क्षति पहुंचाने की दुर्भावना से इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार कर उसका इस्तेमाल करना। इसमें दोषी होने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है।

IPC 471- फर्जी इलेक्ट्रॉनिक फुटेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना।

CrPc 200, CrPc 202- अभियोजन के लिए परिवादी की उपस्थिति आवश्यक है।

Tags:    

Similar News