ताजमहल: न्यायालय ने उठाया प्रदूषण का मुद्दा, उद्योगों पर गिर सकती है गाज

Update:2018-08-28 16:04 IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि आगरा में विश्व प्रसिद्ध ताजमहल की सुरक्षा और संरक्षा के लिए दृष्टिपत्र तैयार करते समय इसमें ताज ट्राइपेजियम जोन में प्रदूषण और वहां कार्यरत उद्योगों जैसे मुद्दों को भी ध्यान में रखना चाहिए। ताज ट्राइपेजियम जोन (टीटीजेड) करीब 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है जिसके दायरे में उप्र के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिले और राजस्थान का भरतपुर जिला शामिल है।

न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि प्राधिकारियों को ताजमहल के संरक्षण के मुद्दे को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘यदि एक बार ताजमहल खत्म हो गया तो आपको दूसरा अवसर नहीं मिलेगा।’’

इस बीच, केंद्र ने न्यायालय को सूचित किया उसने आगरा को धरोहर शहर घोषित करने का प्रस्ताव तैयार कर भेजने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को लिखा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायालय से कहा कि केंद्र के इस पत्र का जवाब एक महीने के भीतर दिया जाएगा। केंद्र ने पीठ को यह भी बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ताजमहल के लिए एक धरोहर योजना तैयार कर रहा है और तीन महीने के भीतर ही इसे यूनेस्को के समक्ष पेश किया जाएगा। पीठ ने इस मामले की सुनवाई 25 सितंबर के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले, ताजमहल को प्रदूषण से संरक्षा प्रदान करने के लिए जनहित याचिका दायर करने वाले पर्यावरणविद अधिवक्ता महेश चंद्र मेहता ने न्यायालय से कहा था कि विश्व प्रसिद्ध इस ऐतिहासिक स्मारक के आसपास अतिक्रमण रोकने के लिए प्राधिकारियों द्वारा कुछ भी नहीं किया गया है। शीर्ष अदालत मेहता की इसी याचिका पर सुनवाई के समय से ही ताजमहल की प्रदूषण से संरक्षा और सुरक्षा के लिए हो रहे उपायों और इसके आसपास की विकास की गतिविधियों की निगरानी कर रही है।

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