इलाहाबाद: अपनों ने किया बेसहारा तो 70 साल की बीना उप्रेती ने जिंदगी से हार नहीं मानी। वह आज उन बुजुर्ग महिलाओं के लिए मिसाल हैं जो अपनों से मिले जख्मों के चलते या तो टूट जाती हैं या जिंदगी के आगे हार मान लेती हैं।
देखिए वीना की कहानी
इलाहाबाद की सड़कों पर ई-रिक्शा चलाती बीना उप्रेती के जज्बे को लोग सलाम करते हैं और इन्हें बटरफ्लाई दादी के नाम से पुकारते हैं। उनके पति CSIR से रिटायर साइंटिस्ट हैं और बच्चे विदेशों में नौकरी करते हैं इसके बावजूद बीना रिक्शा चलाने को मजबूर है।
यह है बीना उप्रेती की कहानी
-बीना उप्रेती के पति उमेश चंद्र उप्रेती की पहली पत्नी की मौत साल 1999 में हो गई थी।
-उमेश के अपनी पहली पत्नी से 3 बच्चे थे और तीनों बच्चे घर में सौतेली मां को लाने के खिलाफ थे।
-बावजूद इसके उमेश ने बीना से साल 2000 में शादी कर ली।
-शादी के 1-2 साल तक तो सब ठीक चला, लेकिन उसके बाद परिवार में झगड़े बढ़ने लगे।
पति-बच्चों ने अकेला छोड़ा
-उमेश के तीनों बच्चे भी विदेश में जाकर नौकरी करने लगे।
-साल 2006 में जब उमेश चंद्र रिटायर हुए तो उन्होंने ऑफिस के तरफ से मिला अपना सरकारी आवास भी छोड़ दिया और दिल्ली चले गए।
-जिसके बाद तीनों बच्चों और पति ने बीना उप्रेती को अकेला छोड़ दिया।
अपनी तलाकशुदा बहन की भी देखभाल करती हैं बीना
-साल 2006 से बीना इलाहाबाद के आलोपी नगर में अपने पैत्रक घर में रह रही हैं।
-बीना के साथ उनकी एक तलाकशुदा बहन भी रहती हैं।
-जिनकी देख-रेख भी बीना करती हैं।
मां-बाप को बेसहारा छोड़ देने वालों को दिखाया आईना
-हालांकि बीना उप्रेती को इसका अफसोस भी नहीं है।
-उन्होंने कुछ ऐसा करने की ठानी जिसकी वजह से वो न केवल लोगों के लिए एक मिसाल बनीं बल्कि उन्होंने उन लोगों को आईना दिखाया जो अपने मां-बाप को मजबूर समझ कर बेसहारा छोड़ देते हैं।
ट्यूशन पढ़ाकर खरीदा ई-रिक्शा
-बीना ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर और जो कुछ उनके पास था सब मिलाकर उन्होंने एक ई-रिक्शा खरीदा।
-वह आज इलाहाबाद की सडकों पर ई-रिक्शा पर सवारियों को भरकर उनकी मंजिल पर पहुंचाती हैं।
पति और बच्चों के लिए छोड़ी अपनी नौकरी
-बीना बताती है कि उन्होंने 40 साल पहले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एमए और बीएड की पढ़ाई पूरी की थी।
-बीना ने पति को पूरा समय देने और बच्चों को संभालने के लिए कॉलेज में लगी अपनी नौकरी छोड़ दी।
-जिंदगी के आखिरी दिनों में जब बीना को अपने जीवनसाथी और बच्चों की जरुरत थी तो दोनों ने बीना को घर से निकालकर सड़क का रास्ता दिखा दिया।
सवारियों की पहली पसंद है बीना का ई-रिक्शा
-आज इलाहाबाद की सड़कों पर बीना अपने पूरे हौसले के साथ ई-रिक्शा को फर्राटे से दौड़ाती हैं।
-शहर की सड़कों में सवारी का इंतजार कर रही महिला सवारियों की पहली पसंद बीना का ई-रिक्शा है।
-जिसमे बैठकर वह बीना के हौसले से भी रूबरू होती हैं।
-तितली की शक्ल वाला यह -ई-रिक्शा आज बीना उप्रेती की पहचान बन गया है इसीलिये आसपास के लोग उन्हें बटरफ्लाई दादी के नाम से बुलाते हैं।
फ्री में देती हैं गरीब लड़कियों को ट्यूशन
यह बटरफ्लाई दादी समय निकालकर पड़ोस के गरीब घरो की लडकियों को फ्री में ट्यूशन भी देती हैं।जिससे गरीब घरो की लड़कियां उनके जैसे हालात में जिंदगी की जंग न हार जाएं।
बीना उप्रेती भले ही अपने बागबान में अकेली हैं, लेकिन उन्हें जिंदगी का एक फलसफा शायद बखूबी मालूम है कि यहां रोने से कुछ नहीं मिलता और जिंदगी जीने का नाम है ।